Krishna Janmashtami 2022: ममता का सुख संसार की सबसे बड़ी दौलत है. मातृत्व सुख से वंचित महिलाओं के लिए अचूक प्रयोग बताया जा रहा है. आने वाली जन्माष्टमी (Janmashtami) पर आप संध्या समय में स्नान करके नए वस्त्र पहन लें और रात 12 बजे बाल गोपाल (Bal Gopal) की एक छोटी सी मूर्ति को सबसे पहले दूध, दही और फिर शुद्ध जल से स्नान करवाएं. स्नान करवाते समय लगातार बोलना है- ‘‘नंद के आनन्द भयौ, जय कन्हैया लाल की’’. मंत्रोच्चारण करने के बाद पंजरी का प्रसाद (Panjiri Prasad) श्रीकृष्ण भगवान (Shri Krishna) को चढ़ाने की परम्परा है. शाम के समय पहले से ही बनाकर प्रसाद रख दिया जाता है.


धनिया मिश्रित सौंठ से बनाएं पंजरी


एक बात विशेष तौर पर ध्यान रखने लायक है कि सामान्यत: पंजरी आटे से बनती है, लेकिन कृष्ण भगवान को अर्पित करनेवाली पंजरी को धनिया मिश्रित सौंठ से बनाया जाता है. आप सभी महिलाओं को मालूम होगा कि नौ महीने गर्भावास्था के बाद मां बच्चे को जन्म देती है तो विशेष तौर पर पंजरी खिलाई जाती है और कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) के दिन भी ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक महिला खुद को बाल गोपाल की मां के रूप में ही देखती है. इसी वजह से पंजरी के प्रसाद का अत्यधिक महत्व है.


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संतान सुख से वंचित महिला का प्रसाद


संतान सुख से वंचित महिलाओं को पंजरी का प्रसाद ग्रहण करने के बाद गौंद को भी प्रसाद स्वरूप ग्रहण करना चाहिए. इसके बाद पंचामृत (Panchamrita) भी प्रसाद स्वरूप तुलसी दल सहित ग्रहण करें. पंचामृत किसी भी विशेष पूजन के दिन बनाते हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दूध, दही, शहद, घी और शक्कर से मिलकर पंचामृत बनता है. लिहाजा पंचामृत को बनाकर पहले से ही तैयार रखना चाहिए. इसमें तुलसी दल विशेष रूप से रखें और फिर प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें.


अब मुरली मनोहर से प्रार्थना करें कि हे ठाकुर जी! जिस तरह प्रत्येक जन्माष्टमी आप हमारे घर आकर विराजते हैं उसी तरह मेरे घर आंगन में भी नटखट अंश स्वरूप में आकर विराजे. जहां बालक है वहां सरलता है, जहां सरलता है वहां स्पष्टता है, जहां स्पष्टता है वहां ईश प्रवेश बहुत आसान है और जहां ईश्वर है, वहां आपकी मनोकामना अधूरी नहीं रह सकती. श्रद्धापूर्वक उपाय करने से मनोवांछित कामना पूरी होगी. 


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