Jat Community Reservation Protest: राजस्थान के भरतपुर जिले में जाट समाज की तरफ से केंद्र में ओबीसी के आरक्षण की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन महापड़ाव में भारी संख्या में महिलाएं लाठियां लेकर पहुंचीं. महिलाओं ने अपना दम कम दिखाते हुए कहा कि अपने बच्चों के भविष्य की खातिर हमें आरक्षण चाहिए और इस लड़ाई के लिए कोई भी कुर्बानी देनी पड़े हम तैयार हैं.

 

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि केंद्र में बीजेपी की सरकार और प्रदेश में भी बीजेपी की सरकार है. यह हुए डबल इंजन और राजस्थान के मुख्यंत्री भजन लाल शर्मा भरतपुर के रहने वाले हैं तो, भरतपुर वासियों के लिए ट्रिपल इंजन की सरकार है. इसलिए भरतपुर-धौलपुर के जाट समाज को केंद्र में ओबीसी का आरक्षण नहीं मिला तो कभी नहीं मिलेगा.

 

दरअअसल, भरतपुर और धौलपुर जिलों के जाट केंद्र की ओबीसी वर्ग में आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. अभी जाट समाज की तरफ से शांतिपूर्ण तरीके से महापड़ाव किय अजा रहा है और आज यानी 19 जनवरी को महापड़ाव का तीसरा दिन है. आज यानी शुक्रवार को आंदोलन स्थल पर भारी संख्या में महिलाएं लाठियां लेकर पहुंचीं. इस दौरान उन्होंने कहा कि बच्चों के भविष्य की खातिर आरक्षण चाहिए. उन्होंने कहा कि इस लड़ाी के लिए कोई भी कुर्बानी देनी पड़ी तो हम तैयार हैं.

 

बता दें कि भरतपुर और धौलपुर जिलों के जाट समाज को केंद्रीय सेवाओं में ओबीसी के आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है. प्रदेश  के अन्य जिलों के जाट केंद्र की सेवाओं में ओबीसी के आरक्षण का लाभ मिल रहा है. इसलिए भरतपुर और धौलपुर के जाट समाज की तरफ से वर्ष 1998 से आरक्षण की मांग कर रहे हैं.   


 

शांतिपूर्ण तरीके से कर रहे आंदोलन 

 

जाट समाज की तरफ से अभी महापड़ाव शुरू किया गया है. आंदोलनकारी जाट समज के लोग शांतिपूर्ण तरीके से मुंबई दिल्ली रेल मार्ग से करीब 300 मीटर दूर उच्चैन थाना क्षेत्र के गांव जयचौली में  बैठकर आंदोलन कर रहे हैं. इसके अलावा जाट नेताओं ने अल्टीमेटम दे दिया है कि राम मंदिर की वजह से 22 जनवरी तक शांतिपूर्ण आंदोलन रहेगा, लेकिन 23 जनवरी को चक्का जाम कर दिया जाएगा. खास बात यह है कि आंदोलन का तीसरा दिन है लेकिन सरकार की तरफ से आंदोलनकारी से कोई भी वार्ता नहीं हो पाई है.

 

'23 जनवरी से होगा उग्र आंदोलन'

 

भरतपुर धौलपुर जाट आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह ने कहा, "फिलहाल आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है, लेकिन सरकार इसे जाट समाज की कमजोरी नहीं समझे. अगर सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी तो 23 जनवरी से चक्का जाम कर दिया जाएगा. जाटों में आपसी फुट नहीं है, लेकिन यदि सरकार यह समझती है तो फिर 23 जनवरी को सरकार भी देख लेगी कि जाटों में कितनी एकता और ताकत है, जब पूरे जिले में हर जगह चक्का जाम कर दिया जायेगा. आज आंदोलन का तीसरा दिन है, मगर सरकार की तरफ से अब तक आंदोलनकारियों से बात करने कोई नहीं पहुंचा है."