Jat community Reservation Protest: राजस्थान के भरतपुर जिले के उच्चैन थाना क्षेत्र के गांव जयचौली में जाट आरक्षण आंदोलन का आज 8 वें दिन भी महापड़ाव जारी है. 17 जनवरी से महापड़ाव गांधीवादी तरीके से चल रहा था.  22 जनवरी को जाट समाज की 11 सदस्य कमेटी को वार्ता के लिए जयपुर बुलाया गया था. पहले सरकार की तरफ से 4 सदस्यीय गठित कमेटी के साथ वार्ता होनी थी. उसके बाद मुख्यमंत्री से वार्ता का कार्यक्रम तय किया गया था, लेकिन जाट समाज की दो दौर की वार्ता सरकार की तरफ से गठित कमेटी के सदस्यों से ही वार्ता हो पाई है और मुख्यमंत्री से कोई वार्ता नहीं हुई. सरकार से जाट प्रतिनिधिमंडल की वार्ता विफल होने के बाद आंदोलन कभी भी उग्र रूप ले सकता है. नेम सिंह फौजदार (Nem Singh Faujadar) ने सभी जाट सरदारी से तैयार रहने की अपील की है किकभि आपको सन्देश पहुंच सकता है. 

 

जाट आरक्षण संघर्ष समिति की तरफ से जो 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल जयपुर वार्ता के लिए गया था, वापस महापड़ाव स्थल पर पहुंच गया है. जाट आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार ने  महापड़ाव स्थल से जाट सरदारी से अपील की है कि सभी लोग अपने-अपने गांव में तैयार हो जाएं. हम रणनीति के हिसाब से कभी भी संदेश पहुंचा सकते हैं. आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार ने बताया वार्ता का 21 जनवरी को वार्ता का निमंत्रण डीग-कुम्हेर विधायक शैलेष सिंह लेकर आए थे. आंदोलन कोई भी हो उसका समाधान वार्ता से होता है.

 

नेम सिंह फौजदार ने कहा कि आरक्षण संघर्ष समिति ने हमेशा वार्ता के द्वार खुले रखे हैं. वार्ता का निमंत्रण मिला समाज  ने 11 सदस्यों की कमेटी बनाकर वार्ता के लिए जयपुर भेजा था. सरकार ने 4 सदस्यीय कमेटी मंत्री कन्हैया लाल चौधरी ,मंत्री अविनाश गहलोत ,नदबई विधायक जगत सिंह और डीग-कुम्हेर विधायक शैलेश सिंह वार्ता के लिए गठित की थी, लेकिन पहले दौर की वार्ता में मंत्री कन्हैयालाल चौधरी और डीग-कुम्हेर विधायक शैलेष सिंह मौजूद थे, जिसमें से विधायक जगत सिंह और अविनाश गहलोत अनुपस्थित रहे. हमने कन्हैया लाल जी के सामने अपनी बात रखी कि आपकी कमेटी के सदस्य ही यहां पर पूरे नहीं है.

 

तीन सदस्य कमेटी के सामने रखी 3 मांगें

 

दूसरे दिन 23 जनवरी को फिर से तीन सदस्य कमेटी से विधानसभा के अंदर वार्ता हुई, जिसमें मंत्री अविनाश गहलोत, मंत्री कन्हैया लाल चौधरी और विधायक डॉक्टर शैलेश सिंह मौजूद थे. हमने तीन बिंदु कमेटी के सामने रखें. पहला बिंदु था भरतपुर धौलपुर की जाट समाज को केंद्र की ओबीसी में आरक्षण यह हमारी प्रमुख मांग है. 1998 से जाट समाज जिसके लिए संघर्ष कर रहा है. दूसरी मांग है,चयनित अभ्यर्थी जिसमें हमारे विभिन्न विभागों की 56 बच्चे हैं. हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी उन्हें नियुक्ति नहीं दी गई है. तीसरी मांग है, 2016 और 17 में जो आरक्षण आंदोलन के दौरान हमारे लोगों पर मुकदमे लगे. वह मुकदमे वापस लिए जाएं.  

 

 नहीं हुई मुख्यमंत्री से वार्ता 

 

आरक्षण संघर्ष समिति की तरफ से वार्ता के लिए भेजे गए प्रतिनिधिमंडल से मुख्यमंत्री का मिलने का समय दोपहर एक बजे का दिया था, लेकिन मुख्यमंत्री ने वार्ता के लिए कोई समय नहीं दिया और  हमसे कहा गया कि माननीय प्रधानमंत्री मोदी आ रहे हैं, जिनकी अगुवाई के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (Bhajanlal Sharma) व्यस्त हैं. संघर्ष समिति नहीं चाहती कि किसी तरह का कोई आंदोलन हो. सरकार आंदोलन उग्र करवाना चाहती है. जाट आरक्षण के लिए यह आंदोलन आखिरी आंदोलन है और यह आर पार का होगा. सरकार की मंशा इस तरह की रहती है कि आंदोलन उग्र हो जाए, आग लग जाए, उसके बाद वार्ताएं होती हैं. नेम सिंह ने अपील करते हुए कहा है की समाज के लोग तैयार रहें. कभी भी संदेश पहुंच सकता है कि हमें आरक्षण की जरूरत है और हमें आरक्षण चाहिए.

 

जाट आरक्षण संघर्ष समिति को सरकार ने दिया झांसा? 

 

सभी गांव में जहां-जहां से जो रास्ते गुजरते हैं, वहां लोगों को कभी भी हम संदेश पहुंचा सकते हैं. संघर्ष समिति जो भी निर्णय लेती है कि आगे क्या करना है. आंदोलन का रुख क्या होगा. यह संघर्ष समिति आज यानी 24 जनवरी को तय करेगी. आंदोलन जब तक जारी रहेगा, जब तक आरक्षण का नोटिफिकेशन जारी नहीं होगा. हमसे वार्ता में कहा गया था कि अगर आपको मुख्यमंत्री से मिलवा देते हैं तो क्या आप महापड़ाव खत्म कर देंगे, लेकिन हमने कहा कि महापड़ाव तब खत्म होगा जब आरक्षण मिल जाएगा. चाहे यह आंदोलन कितना भी लंबा चले आंदोलन की रणनीति समय-समय पर बदली जाएगी. जाट आरक्षण संघर्ष समिति का कहना है कि हमे जगह-जगह महापड़ाव करना पड़ेगा. हमारी आंदोलन की पूरी तैयारी है. 22 को आंदोलन उग्र होना था. सरकार ने आरक्षण संघर्ष समिति को झांसा देकर धोखा किया है. इसका समाज जवाब देगा.