पद्म श्री से सम्मानित राजस्थान के किसान तैयार करेंगे ICAR का सिलेबस, प्राकृतिक खेती का लंबा अनुभव
Jhalawar News: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने राजस्थान के 2 किसानों को पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए बनी कमेटी में जगह दी है. हुक्मीचंद पाटीदार पिछले कई वर्षों से प्राकृतिक खेती करते आ रहे हैं.
Jhalawar News: खेतों की फसल को उपजाऊ बनाने के लिए रसायन का छिड़काव किया जाता है. अब धीरे-धीरे जैविक खेती के प्रति किसानों का झुकाव हो रहा है. खेती के बारे में एक किसान से बेहतर कौन समझ सकता है. तभी तो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने राजस्थान के 2 किसानों को जगह दी है. पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए बनी कमेटी में कृषि विशेषज्ञ और जैविक पद्धति से खेती करनेवाले किसान शामिल हैं. हुक्मीचंद पाटीदार पिछले कई वर्षों से प्राकृतिक खेती करते आ रहे हैं. झालावाड़ के मानपुरा गांव निवासी वरिष्ठ नागरिक किसान हुक्मीचंद को प्राकृतिक खेती पर 2018 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से पद्म श्री सम्मान मिल चुका है.
40-40 एकड़ में प्राकृतिक खेती कर रहे हुक्मीचंद पाटीदार की राह आसान नहीं थी. जैविक खेती शुरू करने पर लोगों ने पागल तक कहा और आर्थिक रूप से कमजोर होने की भविष्यवाणी की. लोगों की तरफ से तरह तरह के ताने सुनने को मिले. ताने सुनने के बाद भी किसान ने जुनून बरकरार रखा. हालांकि इस दौरान आर्थिक नुकसान भी हुआ लेकिन जैविक खेती का काम करते रहे. अब धीरे-धीरे पूरी दुनिया इसी राह पर चलने लगी है. किसान ने खेतों में काम करने के लिए कक्षा 10 की पढ़ाई भी छोड़ दी. अब वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर टीम को जैविक खेती पर पाठ्यक्रम तैयार करने का काम सौंपा गया है. पैतृक गांव मानपुरा को पूरी तरह से रसायन मुक्त खेती में मदद करने पर 2018 में पद्म श्री सम्मान मिल चुका है.
पाटीदार को जैविक संतरे उगाने में दक्षता हासिल है. दक्षता के कारण भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय पाठ्यक्रम समिति में शामिल किया गया है. दालें, प्याज, धनिया और सौंफ जैसी कृषि उपज का बड़ा हिस्सा यूरोप को निर्यात किया जाता है. उन्होंने कहा, " वर्षों से मैंने खेत के कार्बन चक्र को बढ़ाने के लिए कई प्रयोग किए हैं. इसके प्रभाव से मिट्टी सूक्ष्मजीवों और कीड़ों के विकास की खातिर अधिक अनुकूल हो गई है. सूक्ष्मजीव और कीड़े मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए आवश्यक हैं. मैं हमेशा पंचगव्य या गायों से प्राप्त पांच तत्वों का इस्तेमाल करने की वकालत करता हूं, ताकि मिट्टी को पोषण मिल सके और फसलों को स्वस्थ बनाएं." पाटीदार जैविक खेती विषय पर राजस्थान के चार कृषि विश्वविद्यालयों में सलाहकार हैं. उन्होंने कहा, "केवल कृषि विश्वविद्यालय बागवानी और कृषि में बीएससी, एमएससी और पीएचडी जैसे पाठ्यक्रम चलाते हैं. मेरा मॉड्यूल प्राकृतिक और गोबर से संबंधित कृषि है. अह स्कूलों, कॉलेजों और में पेश किया जाएगा.
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