Rajasthan Politics: राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मिटा पाएगी पायलट-गहलोत के बीच की खटास?
Bharat Jodo Yatra: राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में राजस्थान के चार नेता शामिल होंगे. यात्रा झालावाड़, कोटा, दौसा और अलवर जिले से होकर गुजरेगी. मल्लिकार्जुन खरगे पर भी सब की नजरें हैं.
Rajasthan News: राहुल गांधी (Congress leader Rahul Gandhi) की 7 सितंबर को कन्याकुमारी से शुरू हुई भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) दिसंबर के महीने में गुजरात से झालावाड़ (Jhalawar) के रास्ते राजस्थान में प्रवेश करेगी. राजस्थान के विभिन्न जिलों में 21 दिन तक भारत जोड़ो यात्रा चलेगी उसके बाद दिल्ली (Delhi) के रास्ते कश्मीर रवाना होगी. कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में कुल 117 कांग्रेस के नेता भाग लेंगे जिनमें से राजस्थान के भी 4 नेता शामिल होंगे. जानकारी के अनुसार भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान के झालावाड़, कोटा, दौसा और अलवर जिले से होकर गुजरेगी.
राजस्थान में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा अपना कितना असर दिखा पायेगी यह देखने वाली बात होगी क्योंकि राजस्थान का सियासी घमासान किसी से भी छुपा नहीं है. मुख्यमंत्री की सीट को लेकर सचिन पायलट (Sachin Pilot) और अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के बीच की लड़ाई को भारत जोड़ो यात्रा मिटा पायेगी या नहीं यही सवाल सबके जेहन में है.
जिलों में नहीं हो रही संगठनात्मक नियुक्ति
मुख्यमंत्री की सीट को लेकर चल आपसी कलह को लेकर विपक्ष ने हमेशा कांग्रेस पार्टी को घेरा है और यही कारण है कि राजस्थान के कई जिलों में अभी तक जिला कार्यकारिणी का गठन नहीं हुआ है. कांग्रेस में कई वर्षों से जिलाध्यक्ष, ब्लॉक अध्यक्ष के पद खाली हैं. 2023 का चुनाव कैसे और किसके नेतृत्व में लड़ा जायेगा इसका फैसला भी अभी हाईकमान को करना है.
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे के सामने बड़ी चुनौती
सवाल है कि क्या कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पायलट और अशोक गहलोत की गुत्थी को सुलझा पाएंगे. उनके सामने राजस्थान के सियासी घमासान को सुलझाना एक बड़ी चुनौती है. अभी दोनों ही नेताओं के समर्थक वक्त का इन्तजार कर रहे हैं कि सचिन पायलट और अशोक गहलोत में राजस्थान में कौन कद्दावर नेता बनकर उभरेगा. सभी की निगाहें राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे के फैसले पर टिकी हैं.
बीजेपी में भी चल रही है आपसी खींचतान
राज्य में भारतीय जनता पार्टी में भी आपसी कलह देखने को मिल रही है. मुख्यमंत्री बनने के लिए बीजेपी के बड़े नेता भी अपना शक्ति प्रदर्शन कर हाईकमान को अपनी ताकत का अहसास करा रहे हैं. विगत दिनों पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी देव दर्शन यात्रा का आयोजन कर अपना शक्ति प्रदर्शन किया तो वहीं प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया ने भी रामदेवरा तक पदयात्रा शुरू की.
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पुनिया की रामदेवरा की पदयात्रा की जानकारी जैसलमेर-बाड़मेर के सांसदों और केंद्र सरकार में मंत्री कैलाश चौधरी के साथ ही दोनों जिलों के बीजेपी विधायकों, वरिष्ठ नेताओं पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को दी गई थी लेकिन सतीश पुनिया की रामदेवरा की पदयात्रा में कोई नहीं पहुंचा. सतीश पुनिया अकेले ही रामदेवरा मंदिर पहुंचे तो बीजेपी में भी आपसी कलह खुलकर सामने आ गया. अब जनता और पार्टियों के कार्यकर्ताओं को इन्तजार है कि दोनों ही पार्टियों के अंतर्कलह का अंत कैसे होगा? कौन मुख्यमंत्री का चेहरा होगा और किसके नेतृत्व में विधानसभा का चुनाव लड़ा जायेगा, यह देखने वाली बात होगी.
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