Jodhpur News: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर में पीजी एसोसिएशन का अनिश्चितकालीन धरना जारी है.धरना प्रदर्शन का शुक्रवार को आठवां दिन रहा. पीजी और यूजी स्टूडेंट्स की मांग है कि अधिक फीस की वसूली बंद हो और स्टाइपेंड बढ़ाया जाए. एसोएशिन के अध्यक्ष डॉ. रविप्रताप सिंह ने बताया कि 2017 में 7वां वेतन लागू हो गया था लेकिन लगातार पत्राचार के बावजूद आयुर्वेद स्नातकोत्तर स्टूडेंट्स लाभ से वंचित हैं.
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि विवि में स्नातकों को मिलनेवाला इंटर्नशिप स्टाइपेंड 7000 है. जबकि राजस्थान सरकार ने 21 फरवरी को आदेश जारी कर मदनमोहन मालवीय राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के स्नातक स्टूडेंट्स को इंटर्नशिप के दौरान मिलने वाला स्टाइपेंड बढ़ाकर 14,000 कर दिया. यूजी स्टूडेंट्स की फीस उदयपुर कॉलेज में 30 हजार है और विवि में 4 लाख 5 हजार रुपए.
फीस का तुलनात्मक विवरण
Udaipur College.
UG Fees 30,000 (तीस हजार )
PG Fees 15,000 (पंद्रह हजार)
Jodhpur College
UG Fees 4,05,000 (चार लाख पांच हजार )
PG Fees 6,00,000 (छह लाख)
एलोपैथी चिकित्सा पद्धति में वेतनमान की वृद्धि 2018 में और 2021 में हो चुकी हैं जबकि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में 2009 के बाद वेतनमान नहीं बढ़ा है. डॉक्टर रविप्रताप ने बताया कि इसकी जरूरत इसलिए ज्यादा महसूस हो रही है क्योंकि हर साल फीस के तौर पर 2 लाख रुपये प्रशासन ले रहा है. फीस ज्यादा होने से पीजी स्टूडेंट्स पीड़ित और लाचार महसूस कर रहे हैं. दोनों मांगों पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने राजस्थान सरकार का हवाला देकर छात्रों को मना कर दिया है. विरोध में 25 फरवरी से 24 घंटे लगातार विश्वविद्यालय ईकाई के सामने धरना प्रदर्शन हो रहा है. विश्वविद्यालय प्रशासन मांगों को ध्यान में रखते हुए एक ठोस निर्णय ले ताकि इंसाफ हो और हम काम पर लौट सकें.
आंदोलनरत छात्रों की मांग पर मिला आश्वासन
जोधपुर आयुर्वेद यूनिवर्सिटी के कुलपति अभिमन्यु कुमार ने एबीपी न्यूज को बताया कि छात्रों की मांगों को राज्य सरकार तक भेज दिया है. राज्य सरकार ने सकारात्मक रुख दिखाया है. अब वित्त विभाग कार्रवाई करेगा और जल्द मांगें पूरी होंगी. उन्होंने ये भी बताया कि जोधपुर आयुर्वेद विश्वविद्यालय ऑटोनॉमस बॉडी है. विश्वविद्यालय के पास अतिरिक्त आय का और कोई स्रोत नहीं है. उम्मीद है जल्द बच्चों की मांगों पर सरकार की ओर से आदेश आ जाएगा. ऐसे समय में बच्चों को हड़ताल नहीं बल्कि काम करना चाहिए.