Jodhpur News: जोधपुर सेंट्रल जेल में 300 कैदियों को गारंटर नहीं मिल रहा है. मामूली अपराधों में बंद कैदियों को जमानत मिल गई है, लेकिन मुचलका नहीं भरने के कारण रिहाई संभव नहीं हो पा रही है. आसाराम का रसोइया प्रकाश भी उन बदकिस्मत कैदियों में से है. जमानत मिलने के बावजूद उसने मुचलका नहीं भरा है. अवैध शराब बेचने के जुर्म में बंद प्रकाश खुद ही बाहर निकलना नहीं चाहता. प्रकाश आसाराम के साथ जेल में पिछले कई वर्षों से कैद है.
420 के मामले में गवाह दो वर्षों से है कैद
कई परिवार आर्थिक रूप से मजबूत नहीं होने के कारण भी अपनों को जेल से छुड़ाकर बाहर ले आने में असमर्थ हैं. एबीपी न्यूज़ की टीम ने आज जोधपुर में कैदी के परिवार से मुलाकात की. परिवार का सदस्य कैलाश सोनी छोटी गलती पर पिछले 2 वर्षों से सेंट्रल जेल की सलाखों के पीछे है. बड़े भाई विजय सोनी ने बताया कि कैलाश सोनी चांदी की अंगूठी बनाने का काम करता था. छोटे भाई ने 420 के मामले में गवाही दी थी. गवाह बनने पर पुलिस तलाश करने लगी. पुलिस के डर से उसने एक बार घर छोड़ दिया.
परिवार के पास नहीं है जमानत की राशि
दोबारा वापसी पर पुलिस घर से पकड़कर ले गई. घर की बदनामी से कैलाश सोनी को गहरा आघात लगा. सदमे से उसे ब्रेन हेमरेज हो गया और बाद में उसकी मौत हो गई. कुछ समय बाद मेरी मां भी सदमे से चल बसी. मां चाहती थी कि बेटा बाहर आ जाए लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सका. परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण दो टाइम का खाना भी मुश्किल से मिलता है. विजय सोनी ने बताया कि जमानत के लिए अदालत जाने पर वकील 20-25 हजार रुपए मांगते हैं. हमारे लिए इतनी बड़ी रकम का जुगाड़ करना संभव नहीं है.
दिन रात एक कर मैं अपने परिवार और छोटे भाई के परिवार का गुजर-बसर कर रहा हूं. भाई की मौत के सदमे से पूरा परिवार बीमार हो चुका है और सभी लोग दवाई पर निर्भर रहने लगे हैं. विजय सोनी के मुताबिक कैलाश सोनी ठीकठाक कमाई कर लेता था. सगाई के कुछ दिनों बाद 420 के मामले में गवाही देने पर भाई उलझ गया और मामला अभी तक नहीं सुलझा है. हम जेल में भाई से मिलने भी नहीं जा सकते क्योंकि जब मेरे भाई को पुलिस ने पकड़ा था उस दौरान उसका आधार कार्ड भी ले गए. अब जेल में मिलने जाने पर आधार कार्ड नंबर मांगा जाता है और आधार हमारे पास है ही नहीं.