Rajasthan News: जोधपुर जिले में स्थित शेरगढ़ विधानसभा क्षेत्र के छोटे से कस्बे भुंगरा में 8 दिसंबर को तगत सिंह के घर में बेटे की बारात की तैयारियां चल रही थी. घर में खुशियों का माहौल था. रिश्तेदार और मेहमान घर में मौजूद थे. अचानक गैस की टंकियों से रिसाव के बाद एक के बाद एक ब्लास्ट हो गए. जिसमें करीब 60 से भी ज्यादा लोग झुलस गए थे. 


अब तक करीब दूल्हे माता-पिता और बहन सहित 33 लोगों की जान जा चुकी है और आंकड़ा लगातार डरावना होता जा रहा है, क्योंकि अभी भी अस्पताल में कई लोगों का उपचार चल रहा है. जिस घर में शादी थी उस घर में पिछले 5 दिनों से रोजाना एक डेड बॉडी आ रही है. दूल्हे के एक भाई को गांव में ही रोका गया है, क्योंकि जितने लोग दम तोड़ रहे हैं उनकी अंत्येष्टि की जा सके. 8 दिसंबर के बाद रोजाना 4-5 गठरिया में सिमटकर शव आ रहे हैं.




धरने पर बैठे परिजन
जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में पीड़ितों के परिवार और समाज के लोगों ने धरना दे दिया है और अब समाज की ओर से मुआवजे की राशि बढ़ाने को लेकर मांग की जा रही है. जिसमें घायलों को 25 लाख रुपये और मृतकों को 50 लाख रुपये के साथ नौकरी की मांग की जा रही हैं. समाज के लोगों ने सरकार के विरुद्ध गुस्से के साथ अल्टीमेटम दिया है कि हमारी मांगे मानी नहीं गई तो समाज का उग्र आंदोलन होगा. अब तक 36 कौम का समर्थन इस आंदोलन को मिल चुका है.


क्या कहना है गांव वालों का?
गांव वालों का कहना है कि हमने पूरे जीवन में इतनी लाश नहीं देखी थी, जो पिछले एक सप्ताह में हमने एक साथ गांव में देख ली. सभी लोग इस कदर जल गए हैं कि उनके अंतिम दर्शन भी नहीं कर सकते. समझ नहीं आ रहा है कि यह गांव है या शमशान है. दरअसल, इस घटना में कुल 54 लोग झुलसे थे. इनमें से 6 ही ठीक हुए हैं. 17 घायल जोधपुर के अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं. अस्पताल में परिजन आईसीयू की खिड़कियों से टकटकी लगाए देखते रहते हैं. वार्ड से कोई भी आवाज आती है तो दिल बैठ जाता है. अस्पताल की कोई गाड़ी गांव पहुंचती है तो गांव वालों को चिंता होने लगती हैं. 




गांव के लोगों ने बताया कि इस घटना में बच्चों का शरीर गल गया था और हाथ लगाने पर पिघल रहा था. घायलों में कोई डेढ़ साल का मासूम है तो कोई 60 साल का बुजुर्ग भी है. ट्रॉली पर से मरीजों को शिफ्ट करना मुश्किल हो रहा है. छोटे बच्चे अधिक झुलसे उनका शरीर इतना गल गया था. हाथ लगाओ तो मानो वह हिस्सा पिछल गया हो इंफेक्शन के फैलने का अधिक डर था. सारी कोशिश के बावजूद भी बच्चे हमारे हाथों में दम तोड़ रहे हैं.


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