Jodhpur News: जोधपुर जिला उपभोक्ता संरक्षण आयोग द्वितीय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि विद्युत विभाग को किसी उपभोक्ता की दुकान या फैक्ट्री के बिजली बिल की बकाया राशि के बदले घरेलू कनेक्शन काटने का अधिकार नहीं है. आयोग ने फैक्ट्री की पांच वर्ष पुरानी बिजली की बकाया राशि के आधार पर मालिक का घरेलू कनेक्शन काट देने पर जोधपुर डिस्कॉम पर 25 हजार रुपए जुर्माना लगाया है.
मामले के अनुसार चौखा, झवर रोड निवासी सरफराज नाजीक ने आयोग में परिवाद प्रस्तुत कर बताया कि उसके आवासीय मकान के कनेक्शन की कोई राशि बकाया नहीं होने के बावजूद विद्युत विभाग द्वारा फर्म नाजिक एंटरप्राइजेज की बकाया राशि उसके घरेलू बिजली बिल में जोड़कर कनेक्शन काटने की धमकी दी जा रही है, जबकि उक्त फैक्ट्री की सम्पत्तियों को वर्ष 2016 में ही ऋण राशि नहीं चुकाने के कारण बैंक द्वारा कुर्क कर नीलाम किया जा चुका है.
विद्युत विभाग द्वारा जवाब प्रस्तुत कर बताया गया कि परिवादी उक्त फैक्ट्री का मालिक है तथा विद्युत वितरण नियम व शर्तों के अनुसार फर्म की बकाया राशि के बदले उसका घरेलू कनेक्शन भी काट देने का उन्हें पूर्णअधिकार है. आयोग के अध्यक्ष डॉ श्याम लाटा, सदस्य डॉ अनुराधा व्यास व आनंद सिंह सोलंकी की बैंच ने सुनवाई के बाद निर्णय में कहा कि विद्युत नियम व शर्तों के अन्तर्गत अन्य कनेक्शन उसी व्यक्ति के नाम से होने पर ही विद्युत विभाग को दूसरे कनेक्शन से राशि वसूल करने का अधिकार है जबकि इस मामले में आवासीय व फर्म के कनेक्शन अलग अलग नाम से है.
आयोग में सुनवाई के दौरान ही विपक्षी गण द्वारा निर्णय का इंतजार किए बिना व परिवादी को नोटिस दिये बिना ही घरेलू बिजली कनेक्शन काट दिए जाने पर आयोग ने नाराजगी व्यक्त करते हुए इसे अधिकारियों की हठधर्मिता, मनमानी व स्वेच्छाचारिता पूर्ण आचरण बताला तथा परिवादी का विद्युत कनेक्शन तुरंत चालू करने के आदेश दिये हैं. आयोग ने विपक्षी जोधपुर डिस्कॉम को सेवा में कमी के लिए दोषी मानते हुए परिवादी को शारीरिक व मानसिक क्षतिपूर्ति के निमित्त 25 हजार रुपए अदा करने का भी आदेश दिया है.
15 दिन में ही मिला न्याय
उपभोक्ता कानून के अनुसार उपभोक्ता की शिकायत का चार माह में निस्तारण किया जाना आवश्यक है. इस मामले में विद्युत विभाग की मनमानी के विरोध में उपभोक्ता द्वारा 20 जनवरी को परिवाद प्रस्तुत कर आयोग का दरवाजा खटखटाया गया था. आयोग ने उसी दिन विपक्षी गण को नोटिस जारी किये गये तथा लगातार सुनवाई कर 15 दिन में ही (3 फरवरी को) उपभोक्ता के पक्ष में परिवाद का निस्तारण कर उसे न्याय दिलवाया है.