Jodhpur News: देशभर में गरीबी के रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वालों को सरकारी तौर पर अलग श्रेणी में रखा गया है जिसे बीपीएल कहते हैं. बीपीएल की श्रेणी में आने वाले परिवार के लोगों के लिए सरकार विशेष सहायता प्रदान करती है, लेकिन बीपीएल की श्रेणी में आने वालों की बात की जाए तो कई ऐसे भी मिलेंगे जो इस श्रेणी के तहत न आते हुए भी सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं.
बीपीएल श्रेणी में आने वाले परिवार के लोग इसको अपना अधिकार मानते हैं जिसे वो अधिकार के तहत पीढ़ी दर पीढ़ी चाहते हैं कि उनके परिवार के लोग बीपीएल श्रेणी में ही रहे. जब सरकारी तौर पर ऐसे लोगों को चिन्हित किया जाता है तो राजनीति पार्टियां हस्तक्षेप कर ऐसे लोगों पर कार्रवाई होने से रोकती हैं क्योंकि यह कहीं न कहीं वोट बैंक का भी बड़ा जरिया बनता जा रहा है.
जोधपुर नगर निगम प्रभारी महेंद्र बारासा ने बताया कि बीपीएल श्रेणी में जुड़े हुए लोग अपने परिवार के लोगों को इसमें शामिल करना चाहते हैं. राज्य में हुई वर्ष 2002 की गणना के अनुसार बीपीएल परिवारों के बच्चे भी यह चाहते हैं कि उनका नाम बीपीएल में शामिल हो. इसको लेकर आज भी अपील की जा रही है लेकिन वर्ष 2011 में गणना हो चुकी है तो उसके आधार पर क्यों नहीं बीपीएल धारकों व उनकी श्रेणी में आने वालों का आकलन किया जाए क्योंकि बीपीएल श्रेणी में एक बार नाम जुड़ने के बाद उस परिवार के लोग यह चाहते हैं कि उनके बेटे का भी नाम बीपीएल श्रेणी में शामिल हो, उसे हटाया नहीं जाए और आने वाली पीढ़ी भी बीपीएल में ही रहे.
राज्य सरकार की ओर से बीपीएल श्रेणी के लोगों को 2 रुपए किलो अनाज दिये जाते हैं. इसको लेकर जांच की गई तो ऐसे कई सरकारी कर्मचारी चिन्हित किए गए जोकि बीपीएल श्रेणी की योजनाओं का लाभ ले रहे थे. जोधपुर जिले में ऐसे लोगों को चिन्हित कर वसूली की गई. इस अभियान के दौरान करीब 4 करोड़ रुपए से भी अधिक वसूली की गई.
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