Jodhpur Crime News: जीआरपी ने एक बड़े अपराधी को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है. गिरफ्तार व्यक्ति को जहरखुरानी का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है. गिरफ्तार बदमाश डॉक्टर मिश्रा बनकर ट्रेनों में यात्रा करने वालों से दोस्ती करता था. बाद में वह उनको जहर खिलाकर उनका सामान लूट लेता था. गिरफ्तार बदमाश राजस्थान सहित सात राज्यों में इस तरह सैकड़ों लोगों के साथ लूटपाट कर चुका है.जीआरपी की टीम ने सात दिन तक उसका पीछा कर उसे दिल्ली में गिरफ्तार किया. वहां से उसे जोधपुर लाया गया है.


किन किन राज्यों में है बाबू खान पठान की तलाश


जीआरपी थाना अधिकारी महेश श्रीमाली ने बताया कि मध्य प्रदेश के मंदसौर निवासी 59 साल के बाबू खान पठान को गिरफ्तार किया गया है. बाबू खान राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब की ट्रेनों में जहरखुरानी कर चुका है. उन्होंने बताया कि सफर के दौरान पैसेंजरों को बेहोश कर वह उनके सामान लूटकर फरार हो जाता था. 


थानाधिकारी ने बताया कि 1999 में दिल्ली जीआरपी ने नशीला पदार्थ बेचते हुए पहली बार पठान को पकड़ा था. उसे तिहाड़ जेल में रखा गया था.  वहां उसने तिहाड़ जेल की डिस्पेंसरी में काम किया. जेल से बाहर आते ही उसने डॉक्टर बनकर लोगों को लूटने का काम शुरू कर दिया.


श्रीमाली ने बताया कि बाबूखान ट्रेन और स्टेशनों पर अकेले यात्रा करने वाले यात्री को अपना टारगेट बनाता था.वह उस यात्री से डॉक्टर बनकर मिलता है. उसे चाय पिलाकर दोस्ती करता है.यात्री को चाय के बाद नमकीन में ऐसी दवा मिलाकर खिला देता जिससे यात्री का पेट गड़बड़ हो जाता था. इसके बाद बदमाश डॉक्टर बनकर उसे नशीली दवा दे देता. इससे यात्री अचेत हो जाता है. इसके बाद वह यात्री को सुला देता और उसका कीमती सामान लेकर फरार हो जाता था. पठान के खिलाफ जोधपुर में 2021 में एक मामला दर्ज हुआ था. उसी मामले में यह वांछित था.


रेल यात्रियों को कैसे शिकार बनाता है बाबू खान पठान 


जीआरपी थाना अधिकारी ने बताया कि आरोपी बाबू खान पठान हमेशा सफारी सूट में रहता था. वह पैसेंजर से डॉक्टर मिश्रा बनकर दोस्ती करता था. अपने आपको डॉक्टर बताते हुए छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज बताता था. दोस्ती के बाद खुद के रुपये से चाय मंगवाता था. नमकीन भी लाता था.और यात्री को शिकार बनाकर फरार हो जाता था. पठान बहुत ही शातिर है.वह अपने पास फर्जी सिम का कीपैड मोबाइल रखता था.उसे वह महीने में एक-दो बार ही चालू करता था. सफर के दौरान अपनों से बात करने के लिए वह किसी यात्री का भी फोन उपयोग में ले लेता था. उसने न तो अपना आधार कार्ड बनवाया है, न उसके नाम से कोई सिम कार्ड जारी हुआ है और न कोई बैंक अकाउंड है. वह अपने शौक पूरा करने के लिए इन वारदातों को अंजाम देता था.


बाबू खान पठान के खिलाफ जीआरपी थाना अहमदाबाद के तीन मामलों में स्थायी वारंट है. वहीं जीआरपी थाना राजकोट के दो, रतलाम के दो, पुलिस थाना भीमगंज मंडी कोटा के एक मामले में स्थायी वारंट जारी है. वह कई साल तक तिहाड़ जेल में रहा है. वह 2015 से 2017 तक रतलाम और 2020 से 2021 तक साबरमती जेल में सजा काट चुका है.


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