India and France air force Exercise: भारत (India) और फ्रांस (France) की एयरफोर्स का सातवां संयुक्त युद्धाभ्यास गरुड़ जोधपुर में शुरू हो गया. भारत और फ्रांस के राफेल (Rafale) जोधपुर (Jodhpur) के आसमान में गरजने लग गए. फ्रांस के 220 सैनिकों की टुकड़ी चार राफेल फाइटर जेट व मल्टी रोल टैंकर ट्रांसपोर्ट के साथ जोधपुर पहुंची.


दूसरी तरफ इंडियन एयर फोर्स की तरफ से राफेल, सुखोई, तेज व जैगुआर फाइटर जेट के अलावा एलसीएच को इस युद्धाभ्यास में उतारे गए. दोनों देशों की एयरफोर्स के बीच यह युद्धाभ्यास 12 नवंबर तक चलेगा. इस दौरान दोनों देश की एयरफोर्स अपने-अपने अनुभव एक-दूसरे के साथ सांझा करेंगे.   


छह युद्धाभ्यास हो चुके हैं


दोनों देशों की एयरफोर्स के बीच गरुड़ सीरिज के पहले छह युद्धाभ्यास हो चुके हैं, उनमें से तीन भारत में और तीन फ्रांस में हुए हैं. वर्ष 2014 में जोधपुर में यह युद्धाभ्यास हो चुका है. इस युद्धाभ्यास के बाद ही भारत के राफेल खरीदने के सौदे ने तेजी पकड़ी थी और आज राफेल इंडियन एयरफोर्स का हिस्सा बन चुका है.


 फ्रांस वायु सेना के 220 जवानों की टुकड़ी के साथ जोधपुर पहुंची है. दोनों देशों की सेनाओं के बीच यह सातवां अभ्यास है. इससे पहले पहला, तीसरा और पांचवां अभ्यास 2003, 2006 और 2014 में वायु सेना स्टेशन ग्वालियर, कलाईकुंडा और जोधपुर में आयोजित किया गया था.


दो वर्ष पूर्व हुआ था डेजर्ट नाइट


जोधपुर के आसमान में 02 वर्ष पहले से भारत और फ्रांस के फाइटर्स जेट राफेल के बीच रोमांचक मुकाबला हो चुका है. डेजर्ट नाइट नाम का यह युद्धाभ्यास जोधपुर एयरबेस पर हुआ था. थार के रेगिस्तान में युद्धाभ्यास होने के कारण इसका नाम डेजर्ट नाइट रखा गया. यह युद्धाभ्यास दोनों देशों के बीच नियमित रूप से होने वाले युद्धाभ्यास गरुड़ से अलग था.


सामरिक विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ माह से राफेल उड़ा रहे भारतीय पायलट अपनी क्षमता दर्शाएंगे. वहीं कई बरस से राफेल उड़ा रहे फ्रांस एयरफोर्स के पायलटों से मुकाबला करने के साथ उन्हें इस विमान के बारे में काफी कुछ सीखने को मिलेगा. युद्धाभ्यास के दौरान दोनों देशों के पायलट्स अपने अनुभवों को एक-दूसरे से शेयर करेंगे.


युद्धाभ्यास के लिए इसलिए जोधपुर को चुना


थार के रेगिस्तान का सिंह द्वार कहलाने वाले जोधपुर का मौसम अमूमन एकदम साफ रहता है. वहीं यहां का तापमान दोनों देशों के पायलट्स और अन्य स्टाफ के लिए पूरी तरह से मुफिद है. जोधपुर से सीमा क्षेत्र तक बगैर किसी रूकावट के लंबी दूरी तक उड़ान भर सकते हैं. 8 साल पहले जोधपुर में राफेल उड़ाने वाले पायलट्स को यहां का मौसम बहुत रास आया था.


उन्होंने कहा भी था कि फ्रांस में हमें इस तरह मुक्त आकाश नहीं मिलता है. साथ ही जोधपुर एयरबेस काफी पुराना होने के साथ पश्चिमी सीमा का सबसे महत्वपूर्ण एयरबेस माना जाता है. इन कारणों से इस युद्धाभ्यास के लिए जोधपुर को चुना गया.


8 साल पहले भी जोधपुर में गरजे थे राफेल


साल 2014 में भारत-फ्रांस वायुसेना के संयुक्त युद्धाभ्यास गरुड़ में राफेल जोधपुर में अपनी ताकत दर्शा चुका है. उस समय राफेल और सुखोई के बीच रोमांचक मुकाबला देखने को मिला था. इस युद्धाभ्यास में फ्रांस के एयर चीफ डेनिस मर्सियर ने सुखोई से उड़ान भरी थी. 


तत्कालीन एयर चीफ मार्शल अरुप राहा ने सबसे पहले जोधपुर में ही राफेल उड़ा इसका परीक्षण किया था. इसके बाद राफेल सौदा तेजी से आगे बढ़ा. इस सौदे की नींव सही मायने में जोधपुर के युद्धाभ्यास के दौरान राफेल की क्षमता को जांचने और परखने के बाद ही रखी गई थी.


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