Jodhpur Police Commissionerate: राजस्थान पुलिस के 2011 बैच के दबंग आईपीएस गौरव यादव (Gaurav Yadav) इन दिनों जोधपुर (Jodhpur) पुलिस कमिश्नरेट वेस्ट के उपायुक्त पद पर तैनात हैं. हमेशा एक्शन के लिए तैयार रहने वाले आईपीएस गौरव यादव अपने टीम वर्क की बदौलत हर गतिविधि पर नजर बनाए रखते हैं. अपराध और अपराधियों पर नकेल कसने के लिए हमेशा कार्रवाई कर रहे हैं. वे अपराधियों और बदमाशों को सलाखों को पीछे भेजने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे. इस कारण इलाके के बदमाश और आदतन अपराधी वारदात करने से पहले सोचने को मजबूर हैं.


युवाओं के लिए प्रेरणादायक है कहानी
यूपीएससी जैसी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों को एक परीक्षा क्रैक करने में कई साल लग जाते हैं. वही गौरव यादव का नाम ऐसे छात्रों में लिया जाता है, जिनकी कहानी सभी युवाओं के लिए प्रेरणादायक है. वह जो ठान लेते हैं, उसे करते हैं. कहते हैं हमेशा चुनौतियों को स्वीकार करना चाहिए. इससे जीवन में आगे बढ़ने की हिम्मत मिलती है.  


'मजबूत होने चाहिए इरादे'
आईपीएस गौरव यादव ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत करते हुए बताया कि आपके इरादे मजबूत होने चाहिए. आपको करना है तो कुछ भी कर सकते हैं. किसी भी शरूआत में हार नहीं माननी चाहिए, सफलता जरूर मिलती है. यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्रों को दबाव में रहकर पढ़ाई नहीं करनी चाहिए. उन्हें प्रतिदिन पढ़ाई करनी चाहिए और हर घंटे के बीच ब्रेक भी लेना चाहिए.


उन्होंने कहा कि यह जरूरी नहीं कि 16 से 18 घंटे पढ़ाई करें, रोजाना 12 घंटे ही पढ़ाई करें, लेकिन प्रतिदिन करें. ऐसा नहीं हो कि कुछ दिन 18 घंटे पढ़ाई की और कुछ दिन ब्रेक दे दिया.


आजमगढ़ के रहने वाले हैं गौरव यादव
गौरव यादव का जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के छोटे से गांव में डॉ दिनेश कुमार यादव के घर 26 मई 1985 को हुआ. वे माता—पिता और छोटी बहन के साथ गांव मे रहते थे. गांव के ही सरकारी स्कूल में बारहवीं कक्षा तक की पढ़ाई की. उन्होंने बताया कि सरकारी स्कूल में टीचर नदारद रहते थे. पिता के सहयोग व खुद पढ़ाई करके परीक्षा पास की. बचपन से ही कुछ बड़ा करने की इच्छा थी.


आईआईटी कर इंजीनियर बनने का सपना था, लेकिन लोग कहते थे कि छोटे गांव के छोटे से स्कूल में पढ़ने वाला छात्र आईआईटी नहीं कर सकता. मैंने उसी समय ठान ली कि आईआईटी करना है. दिन रात एक करके अपने सपने को पूरा करने में लग गया. आखिर वो दिन भी आ गया, जिसका इंतजार था. 


आईआईटी के बाद प्राइवेट कंपनी में की जॉब
गौरव यादव ने आईआईटी करने के बाद प्राइवेट कंपनी में जॉब किया. लेकिन, खुद को भीड़ से भी अलग करना था. वे अपने जॉब से भी सन्तुष्ट नहीं थे, क्योंकि उनके सपने कुछ और थे. समाज के लिए कुछ करने के इरादे थे. कुछ दिनों बाद प्राइवेट जॉब छोड़कर एकबार फिर ठाना और यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. इसके बाद यूपीएससी क्लियर भी किया.


एक ट्वीट के बाद आए चर्चा में
यूपीएससी करने के बाद गौरव यादव राजस्थान पुलिस के बेड़े में शामिल हुए. प्रदेश में कई जिलों में पोस्टिंग मिली. कोटा में एसपी रहे. इस दौरान गौरव यादव अपने एक ट्वीट को लेकर चर्चा में आ गए थे. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा था, ''जब आप एक थैंकलैस जॉब का चुनाव करते हैं तो अगर कोई आपको शुक्रिया न कहे, तो आपको दुखी होने की कोई जरूरत नहीं है. तारीफ और तालियों का पीछा करना पागलपन है.'


अजमेर में सामने आई बड़ी चुनौती
आईपीएस गौरव यादव के सामने अजमेर पोस्टिंग के दौरान एक बड़ी चुनौती आई. एक युवक गायब हो गया था. उसके परिजन व समाज के लोग धरना प्रदर्शन कर रहे थे. अधिकारियों ने इस गुत्थी को सुलझाने की जिम्मेदारी गौरव यादव को दी. शुरुआत में तो कुछ भी स्पष्ट नहीं हो रहा था कि युवक का अपहरण हुआ है या खुद से कहीं गया है. हत्या की आशंका भी जताई जा रही थी. जांच शुरू की गई. उन्होंने कई लोगों से पूछताछ की, लेकिन कुछ नतीजा नहीं निकला. आखिरकार एक दिन एक मुखबिर ने सूचना दी कि आप पुष्कर जाइए, वहां पर जाने पर वह सब कुछ मिलेगा, जिसकी आपको तलाश है. 


पुष्कर जाकर किया हत्या का खुलासा
आईपीएस गौरव यादव अपनी टीम के साथ पुष्कर पहुंचे. वहां जांच पड़ताल की. इस मामले में फार्म हाउस के मालिक संदीप के नाम आया था. उसके पास पहुंचे, लेकिन वहां पर भी कुछ नहीं मिला, फिर लौट आए. मुखबिर का एक बार फिर फोन आया और कहा कि आपने सही तरीके से जांच नहीं की. आपको वहीं पर सब कुछ मिलेगा. एक बार फिर स्पेशल टीम के साथ वहां पहुंचे.


पूरे फार्म हाउस की जांच पड़ताल की. आखिर में एक सोफा की गद्दी नहीं थी और उसके पीछे कुछ खून के धब्बे लगे हुए थे. जांच की तो वह खून के धब्बे मिले. फार्म हाउस के मालिक और अन्य लोगों को पकड़कर पूछताछ की गई तो खुलासा हुआ कि पैसों के लेनदेन में उसी युवक को उठाकर लेकर आए थे. उसके साथ मारपीट की. इसी दौरान युवक की मौत हो गई. युवक को फार्म हाउस में ही गड्ढा खोदकर दफना दिया.


दूसरे दिन पता चला कि वह भूत बन जाएगा तो उसे वहां से निकालकर जलाया और राख को अलग-अलग क्षेत्रों में फेंक दिया. अब पुलिस के सामने एक और चुनौती थी, सोफे की गद्दी और राख को ढूंढना. तलाश शुरू की तो वह गद्दी भी मिल गई. इसके बाद आरोपियों की गिरफ्तारी कर उन्हें सजा दिलाई गई.


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