Jodhpur Jwala Mata Temple: हिमाचल के कांगड़ा जिले में देवी मां ज्वाला के रूप में साक्षात विराजमान हैं. हर साल लाखों श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए वहां जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिमाचल के बाद राजस्थान में भी ज्वाला माता के मंदिर हैं. आस्था का सैलाब उमड़ता जोधपुर शहर में स्थित ज्वाला मां के मंदिर की मान्यता है कि जोधपुर की इस पहाड़ी से मां जवाला महिषासुर मर्दिनी के रूप में प्रकट हुईं थीं और आज भी मां भक्तों पर मेहरबान हैं. इस मंदिर में सैकड़ों वर्ष से अखंड ज्योत प्रज्वलित है.
पर्यटकों के लिए खास है मंदिर
मंदिर में पूजा करने वाले पंडित अशोक शर्मा ने बताया कि यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है, ऊंची पहाड़ी पर है और पर्यटकों को भी बहुत पसंद आता है. देश-विदेश के पर्यटक भी यहां पर पहुंचते हैं और यहां से पूरे जोधपुर को निहारते हैं, साथ ही मंदिर के दिन दर्शन करते हैं
बता दें कि यह मंदिर जोधपुर की स्थापना से पहले का है यानी महाभारत काल का है. क्योंकि अज्ञातवास के दौरान पांडव भीम ने यहां पर अज्ञातवास काटा था. यह जगह जोधपुर के सबसे ऊंचाई पर है, यहां से कई मील तक नजर रखी जा सकती है. भीम यहां पर पूजा कर और आशीर्वाद लेकर पांडव निकले थे. बता दें कि यहां पर एक भीम की बड़ी सी प्रतिमा है, उसके साथ ही एक नाडी बनी हुई है जिसके बारे में कहा जाता है कि भीम ने अपने नाखून से खोद कर उस नाडी को बनाया था.
मां के आधे स्वरूप के पीछे है ये कहानी
सैकड़ों वर्ष पहले साधु संत यहां पर साधना किया करते थे, उस दौरान महिषासुर मर्दिनी स्वरूप मां ज्वाला उनकी साधना को देख कर खुश हुईं. भक्तों से कहा बोलो तुम्हें क्या चाहिए. भक्तों ने कहा मां हमें धन वैभव कुछ नहीं एक बार आप के साक्षात दर्शन करने हैं, उस दौरान मां ने कहा कि अगर तुम लोग चिल्लाये या बोले तो मैं वहां से निकल जाऊंगी. मां ने जैसे ही प्रकट होना शुरू किया, मां के आधे से अधिक शरीर पहाड़ी में से बाहर निकलने लगा, उसी दौरान मां की सवारी सिंह भी वहां पर प्रकट हुआ और जोर से दहाड़ कर कहां है मां में आ गया हूं, आप मेरी पीठ पर सवार होइये, यह सुनकर वहां पर मौजूद भक्त डर गए और चिल्लाने लगे. जैसे ही भक्त चिल्लाए, मां उसी दौरान जिस परिस्थिति में थी उस परिस्थिति में ही रुक गईं.
यहां के पंडित अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि मां का स्वरूप बहुत सुंदर है, आधे से अधिक शरीर उभरा हुआ है बाकी एक पांव आधा व एक पांव पूरा दोनों जमीन के अंदर हैं. मां का स्वरूप महिषासुर मर्दिनी का है, अगर वो भक्त न बोलते तो मां का पूर्ण स्वरूप यहां पर देखने को मिलता. आज भी मां के मंदिर में जो भी आकर मन्नत मांगता है उसकी मन्नत पूरी होती है.
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