पतंगबाजी अब खेल बन गया है. खासतौर से मकर सक्रांति, उत्तरायण के दिन पतंग उड़ाने की खास वजह भी है और इस दिन देशभर में पतंग उड़ाई जाती है. इस दिन को पतंग उत्सव के रूप में मनाया जाता है. राजस्थान में राजा बिका जी ने पतंग उड़ाकर पतंग के धागे को तोड़ दिया और कहा कि यह पतंग जहां गिरेगी वहीं बीकानेर का किला बनाया जाएगा, पतंग जहां गिरी वहीं बीकानेर का किला बनाया गया. जोधपुर के पुश्तैनी पतंग व्यवसाय करने वाले मोहम्मद नासिर ने बताया कि यह हमारा पुश्तैनी काम है. इस पतंग को इस कारण बनाया गया कि एक जगह से दूसरी जगह संदेश भेजा जा सके. धीरे धीरे यह चलन में आ गई. बता दें कि यह लघु उद्योग कम लागत में शुरू किया जा सकता है. इस काम को घरेलू महिलाएं व छोटे बच्चे भी करते हैं और जोधपुर ही नहीं पूरे देश में करोड़ों रुपए का व्यापार है और इससे अच्छी कमाई भी की जा सकती है.
मोहम्मद नासिर ने कहा कि जब पीएम नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे उस दौरान पतंगबाजी और पतंग का व्यापार बहुत छोटा था. नरेंद्र मोदी ने इस व्यापार को 7 करोड़ से 700 करोड़ तक पहुंचा दिया और इसको एक उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा जिससे पूरी दुनिया में पतंग उत्सव की अपनी पहचान बन चुकी है और इसमें देश-विदेश के कई पतंगबाज मौजूद रहते हैं.
पतंग उड़ाने की परंपरा भगवान श्री राम के समय में हुई थी शुरू
पौराणिक कथा में कहा गया है कि मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा भगवान श्री राम के समय में शुरू हुई थी. मकर राशि के दिन ही श्रीराम ने पतंग उड़ाई थी और वह पतंग इंद्रलोक में चले गए. स्वर्ग लोक में पतंग इंद्र के पुत्र जयंत की पत्नी को मिली उनको काफी पसंद आई और उसको अपने पास रख दिया जयंत की पत्नी ने सोचा कि जिसकी पतंग है वह इसे लेने जरूर आएगा उधर भगवान राम ने हनुमान जी को पतंग लेने के लिए भेजा जब हनुमान जी जयंत की पत्नी से पतंग वापस करने के लिए कहा तो जयंत की पत्नी ने भगवान राम के दर्शन पाने की इच्छा जताई. हनुमान ने भगवान राम को पूरी बात बताई.
भगवान राम ने कहा कि वह चित्रकूट में उनके दर्शन कर सकती हैं. हनुमान जी भगवान राम का संदेश जयंत को भेजा जिसके बाद जयंत की पत्नी ने हनुमान जी को पतंग लौटा दी. भगवान राम की ओर से शुरू की गई इस परंपरा को आज भी निभाया जाता है.
इसे भी पढ़ें :
Indian Railway: राजस्थान के इन 13 ट्रेनों से कर सकते हैं यात्री बगैर आरक्षण के सफ़र, जानिए पूरी खबर