Wushu Star International Championship 2023: बेटियां अब हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रही हैं. कहते हैं कि बेटी मां बाप का मान, अभिमान और सम्मान होती है. ऐसी ही एक बेटी है, जिसने सात समुंदर पार रूस में गोल्ड मेडल जीत अपने देश का और अपने पिता का नाम रोशन किया है. मंजू चौधरी (Manju Chowdhary) ने मॉस्को (Moscow) में आयोजित अंतरराष्ट्रीय वुशु स्टार चैंपियनशिप (Wushu Star International Championship) में गोल्ड मेडल जीता है. इसमें पहला मुकाबला इंडोनेशिया से हुआ. दूसरा मुकाबला कजाकिस्तान से था.
वहीं फाइनल में मुकाबला मेजबान टीम रूस से था. मंजू चौधरी ने रूस से फाइनल जीतकर अपना लोहा मनवा लिया है. राजस्थान (Rajasthan)के जोधपुर (Jodhpur) की बेटी मंजू चौधरी ने रूस में आयोजित इंटरनेशनल चैंपियन में गोल्ड मेडल जीता है. यह गोल्ड मेडल मंजू ने अपने करियर के लिए नहीं बल्कि 2 साल से बेड रेस्ट कर रहे अपने पिता का नाम रोशन करने के लिए जीता है. जो खुद भी एक नेशनल प्लेयर हैं.
मंजू चौधरी का परिवार भी खेलों से जुड़ा
मंजू चौधरी का परिवार हमेशा से ही खेलों से जुड़ा रहा है. पिता भगाराम राजस्थान पुलिस के नेशनल लेवल के वॉलीबॉल प्लेयर रह चुके हैं. इसके अलावा मंजू की बड़ी बहन सुनीता और भाई ओमप्रकाश एथलीट और वॉलीबॉल के नेशनल प्लेयर हैं. इससे पहले भाई गौतम स्टेट लेवल का मेडल जीत चुके हैं. गोल्ड मेडल विजेता मंजू चौधरी के पिता भगाराम का 2 साल पहले एक्सीडेंट हो गया था. उसके बाद से वो ना तो चल पाते हैं और ना ही कुछ बोल पाते हैं. वो अनकॉन्शियस हो चुके हैं.
इसके बावजूद मंजू ने एक कदम भी पीछे नहीं हटाया. अपने पिता के सम्मान के लिए वो लगातार प्रैक्टिस करती रहीं और अब मेडल जीत लिया. मंजू चौधरी चाहती थीं कि उनकी जीत से उनके पिता को इतनी खुशी मिले कि वो खड़े हो जाएं, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. हालाकिं मंजू चौधरी जब मेडल जीत घर लौटी तो उन्होंने पिता को अपना मेडल पहनाया. बेटी की जीत की खुशी के चलते पिता की बॉडी में कुछ असर देखने को मिला. मंजू चौधरी अब खेलो इंडिया में खेलकर अपने पिता के लिए मेडल जीतेंगी. वो उम्मीद भी लगाए हुए हैं कि उनके पिता खड़े हों और उससे बातें करें.
मंजू चौधरी के कोच विनोद आचार्य ने क्या बताया
मंजू चौधरी के कोच विनोद आचार्य बताते हैं कि, वो जब गेम में शामिल हुई थीं. उस समय उनका वजन 90 किलो था. मंजू गेम खेलने के लिए नहीं अपना वजन कम करने के लिए मैदान में उतरी थीं. धीरे-धीरे उन्होंने वजन कम किया. साथ ही गेम के प्रति उसकी रूचि बढ़ गई. अब उनका वजन 70 किलो हो चुका है. इसके अलावा मंजू का चयन खेलो इंडिया गेम्स में मुक्केबाजी के लिए भी हुआ है.
मंजू चौधरी पिछले 7 सालों से कई नेशनल और इंटरनेशनल गेम खेल चुकी हैं. वो अपनी जीत का श्रेय अपने परिवार वालों को देती हैं. मंजू का कहना है कि मां और पिता ने हमेशा उन्हें खेलों के प्रति समर्पित रखा. ऐसे में बचपन से ही खेलों से उनका जुड़ाव हो गया. वो अब आगे और भी इस तरह मेडल जीतेंगी और परिवार का नाम रोशन करेंगी.