Jodhpur News: सालों से जोधपुर में ऐतिहासिक जलाशयों की सफाई में लगा है ये विदेशी नागरिक, कहानी है दिलचस्प
Jodhpur News: आयरलैंड निवासी 74 वर्षीय केरेन ने जोधपुर को ठिकाना बना लिया है. पेंशन के पैसे से गुजारा करनेवाले केरेन कभी प्राचीन जलाशयों की सफाई करते वक्त साथ मजदूर भी लगाते हैं.
![Jodhpur News: सालों से जोधपुर में ऐतिहासिक जलाशयों की सफाई में लगा है ये विदेशी नागरिक, कहानी है दिलचस्प Jodhpur News foreigner attracted by Marwar language and culture ANN Jodhpur News: सालों से जोधपुर में ऐतिहासिक जलाशयों की सफाई में लगा है ये विदेशी नागरिक, कहानी है दिलचस्प](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/12/15/2fa418ca5c9a86bc0260b4d5bc73208f_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Jodhpur News: विदेशी सैलानियों में भारत की पुराने ऐतिहासिक स्थलों को लेकर दिलचस्पी लगातार बढ़ती जा रही है और अब रखरखाव की खुद जिम्मेदारी उठा रहे हैं. जोधपुर में पुराने समय में लोगों को पानी की जरुरत जलाशयों (बावड़ी, झालरें और कुण्ड) से पूरी होती थी. राजा, महाराजाओं के समय इन जलाशयों को बनाने में कलात्मक रूप का ध्यान रखा जाता था. मारवाड़ की बोली और संस्कृति ने एक विदेशी को यहां रहने पर मजबूर कर दिया है. केरेन का कहना है कि राजस्थान रेगिस्तानी इलाका है. यहां पानी की समस्या बहुत है. पुराने समय की ऐतिहासिक धरोहर को सुरक्षित रखने के लिए राजस्थान सरकार कुछ नहीं कर रही है. पिछले 7 वर्षों से केरेन जोधपुर में ही रह रहे हैं. अब केरल का वीजा एक्सपायर हो चुका है. मौत के बाद देह दान भारत में करने की इच्छा है. केरेन ने इसके लिए दस्तावेज तैयार कर लिए हैं.
जलाशयों में गंदगी देख विदेशी ने खुद से सफाई की ठानी
74 वर्षीय केरेन आयरलैंड के रहने वाले हैं. पेशे से टीचर रह चुके केरेन के दो बच्चे हैं. दोनों की शादी हो चुकी है. केरेन चाहते तो इंग्लैंड में अच्छी जिंदगी जी सकते थे. पेंशन के पैसे से गुजारा करनेवाले केरेन कभी प्राचीन जलाशयों की सफाई करते वक्त साथ मजदूर भी लगाते हैं. मजदूर का भुगतान अपनी जेब से करते हैं. केरेन को बचपन से ऐतिहासिक धरोहरों में दिलचस्पी थी. खासतौर पर ऐतिहासिक जलाशयों (बावड़ी, झालरें और कुण्ड) को गंदगी से बचाने की. वर्ष 2013 में भारत भ्रमण पर आए केरेन यहीं के होकर रह गए. राजस्थान के कई शहरों में केरेन घूम चुके हैं. जोधपुर और जैसलमेर के पुराने जलाशय में गंदगी देख उन्होंने खुद से सफाई की ठानी और कई जलाशयों को साफ किया. केरेन जोधपुर के एक गेस्ट हाउस में प्रतिदिन 100 रुपए किराया देकर रहते हैं. विजिट वीजा पर रुके केरेन को भारत की संस्कृति ने बहुत आकर्षित किया. उन्होंने जो कर दिखाया है जोधपुर के रहनेवाले नहीं कर पाये और ना ही नगर निगम. केरेन की सलाह है कि मेडिटेशन, एजुकेशन, पर्यटन को बढ़ावा मिल सकता है.
Omicron: ममता सरकार ने कोविड-19 प्रतिबंधों को 15 जनवरी तक बढ़ाया, क्रिसमस और नए साल पर दी ये छूट
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)