Jodhpur News: जोधपुर के माचिया सफारी पार्क (Machia Safari Park) का रेस्क्यू सेंटर हर दिन चुनौतियों से जूझता है. किसी भी समय फोन आने पर रेस्क्यू टीम जानवर को बचाने निकल जाती है. जानवरों को रेस्क्यू सेंटर लाकर टीम उपचार करती है और फिर छोड़ देती है. रेस्क्यू सेंटर के डॉक्टर ज्ञान प्रकाश ने बताया कि हमारे पास कई ऐसे जानवर आते हैं जो बहुत ज्यादा घायल होते हैं या फिर बहुत छोटी उम्र के होते हैं. उनको इलाज देने के बाद फिर छोड़ दिया जाता है. लेकिन जून के महीने में हमारे पास एक बंदर की सूचना मिली.
बंदर के बच्चे को जिंदगी जीने की दी जा रही है ट्रेनिंग
मौके पर पहुंचे तो बंदर के एक दिन का बच्चा मिला. प्रेगनेंसी के दौरान मां की मौत हो गई थी. हम रेस्क्यू सेंटर लेकर आए और बच्चे को अपने बच्चों की तरह पाला पोसा. दूध पिलाने के लिए खास तौर पर ह्यूमन मिल्क काम में लिया जाता था. धीरे-धीरे बड़ा होने लगा तो इसको हमने नेचर के साथ रखा हुआ है ताकि खुद से जीने और खाने के लिए मेहनत करने योग्य हो सके. ज्ञान प्रकाश ने कहा कि मात्र 1 दिन की उम्र के बंदर का बच्चा रेस्क्यू सेंटर लाए थे तो काफी गंभीर स्थिति में था.
इस दौरान उसे सिर्फ दूध बोतल से पिलाया जाता था. बोतल से पिलाने के साथ कई बार हमारे सामने समस्या भी आती थी क्योंकि छोटे बंदर नटखट होते हैं और उछल कूद करने लगते हैं. बंदर का बच्चा इतना घुल मिल गया कि दूध की बोतल देखने के साथ दौड़ पड़ता. अब बच्चा बड़ा हो रहा है और हम इसे छोड़ देंगे. रेस्क्यू सेंटर में सभी तरह के जंगली जानवर को उपचार के लिए लाया जाता है. इन सभी जानवरों को ह्यूमन से दूर रखा जाता है.
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