Seasonal Diseases in Rajasthan: राजस्थान में बे-मौसम की बारिश के बाद ठंड बढ़ने लगी है. मौसम के मिजाज में बदलाव के साथ बच्चों और बुजुर्गों को मौसमी बीमारियों ने जकड़न शुरू कर दिया है. ठंड बढ़ने से मौसमी बीमारियों का छोटे बच्चों और बुजुर्गों पर प्रकोप बढ़ गया है. हालांकि यह बदलते मौसम के साथ साधारण बात है. लेकिन खांसी, जुकाम जैसी आम सी दिखने वाली बीमारी रात में बच्चों और बुजुर्गों को बेचैन कर देती है. मौसमी बीमारियों में शुमार खांसी, जुकाम और सांस लेने में तकलीफ सहित कार्डियक अटैक और स्ट्रोक का भी खतरा बढ़ जाता है. अस्पतालों में इलाज के लिए मरीजों की लंबी-लंबी लाइन लग रही है.
जोधपुर के मथुरा दास माथुर अस्पताल के अधीक्षक विकास राजपुरोहित ने बताया कि जब भी मौसम में बदलाव या जैसे-जैसे ठंड बढ़ती है तो आमतौर पर खांसी, जुकाम, बुखार सांस लेने में दिक्कत, दमा की बीमारी या कार्डिक अटैक सहित कई तरह के बीमारियों से ग्रसित मरीजों की संख्या अस्पतालों में बढ़ने लगती है. सांस लेने की दिक्कत और कमजोर इम्यूनिटी सहित कई अन्य बीमारियों से ग्रसित मरीजों की संख्या अस्पतालों में बढ़ने लगती है. उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि ऐसे मरीजों को दिक्कत होने पर डॉक्टर से परामर्श लेकर ही दवा लेनी चाहिए, हालांकि अभी स्थिति बेकाबू नहीं हुई है. इस बार सर्दी की शुरुआत धीमी है, फिर भी हमारी तरफ से सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.
बच्चों में निमोनिया को लेकर अलर्ट
पीडियाट्रिक डिपार्मेंट में 3 से 5 साल के छोटे बच्चों को बार-बार जुकाम, खांसी और उल्टी जैसी बीमारियों की शिकायत के चलते उन्हें अस्पताल में एडमिट किया जा रहा है. ऐसे मरीजों की संख्या ओपीडी में लगातार बढ़ रही है. हालिया दिनों में ओपीडी में 50 फीसदी मरीजों की संख्या बढ़ी है. इलाज के लिए आने वाले अधिकतर बच्चों को वायरल निमोनिया की शिकायत है. अस्पतालों में बच्चों को दिखाने के लिए परिजनों की लंबी-लंबी कतारें नजर आ रही हैं. खास बात यह है कि चिकित्सा विभाग राजस्थान ने भी बच्चों में निमोनिया बीमारी को लेकर अलर्ट जारी किया है.
ठंड में वायरल या निमोनिया आम बात
डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉक्टर अनुराग सिंह ने बताया कि बच्चों का ज्यादा ख्याल रात में रखने की जरुरत होती है. इस मौसम में बच्चों में वायरल निमोनिया आम बात है क्योंकि वायरस डिफरेंट फॉर्म में अटैक करते हैं. ऐसे में खांसी, जुकाम और सांस लेने में दिक्कत होने पर तुरंत डॉक्टर से इलाज करवाएं. निमोनिया पुराना होने पर बच्चों के लिए घातक हो सकता है. उन्होंने कहा कि इस दौरान 3 से 4 साल के छोटे बच्चों को हमेशा हाइड्रेट रखना चाहिए. बच्चों में इम्यूनाइजेशन बढ़ाने के लिए उन्हें सभी तरह के टीके लगावाने चाहिए. इसके लिए अच्छे खानपान की बहुत जरुरत होती है.
ठंड बढ़ने पर कार्डियक अटैक बढ़ जाता है खतरा
सर्दियों में बच्चों को गर्म कपड़ों का ध्यान रखें. बच्चों को पानी की पहुंच से दूर रखें, भीगने से उनके जल्दी बीमार होने की आशंका बढ़ जाती है. वायरस के चलते निमोनिया की शिकायत होने पर 20 फीसदी बच्चों को ही अस्पताल में एडमिट किया जाता है और कई बच्चों में खांसी, जुकाम एलर्जी होता है. तापमान में गिरावट के साथ ही कार्डियक अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. सर्दी में रक्त धमनियां सिकुड़ जाती हैं. जिसकी वजह से मरीजों को परेशानी हो सकती है. ऐसे में जो पुराने रोगों से ग्रसित मरीज है या ऐसे मरीज जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है, इस तरह के मरीजों की विशेष देखभाल की जरुरत होती है. किसी भी तरह की दिक्त होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें और सावधानी सबसे बेहतर इलाज है.
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