(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Jodhpur News: जोधपुर में देश की सबसे लंबी कुंडली, यश कंवरी की जन्मपत्री आज भी बनी है अबूझ पहेली
जोधपुर प्राच्य विद्या पीठ में संस्कृत भाषा में कुंडली बनाने वाले ओशान सिंह की ओर से इतनी बड़ी कुंडली बनाने का कारण और राजस्थान से उसके संबंधों की अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है.
Rajasthan News: राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान जोधपुर (Rajasthan Oriental Research Institute, Jodhpur) में कई प्राचीन पांडुलिपियां व ग्रन्थ संरक्षित रखे गए हैं. प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान में रिसर्चर के लिए महत्वपूर्ण जानकारियों का खजाना उपलब्ध है. कई रिसर्चर यहां रिसर्च कर रहे हैं. वहीं आज इस खजाने में से एक महत्वपूर्ण इतिहास की जानकारी आपसे सांझा कर रहे हैं. यहां पर संभवत देश की सबसे बड़ी तीन सौ चौदह फुट लंबी एक महिला की जन्म कुंडली है जो आज भी एक अबूझ पहेली बनी हुई है. संस्कृत भाषा में कुंडली बनाने वाले ओशान सिंह की ओर से इतनी बड़ी कुंडली बनाने का कारण और राजस्थान से उसके संबंधों की अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई हैं.
314 फिट लंबी जन्मकुंडली
ग्रह नक्षत्रों के माध्यम से भविष्य दर्शाने वाली जन्म कुंडली में सुंदर बेलबूटों को बॉर्डर के अलावा राशियों के अलग-अलग स्वरूपों को विभिन्न पशुओं के भाव व दशाओं के साथ वर्णन करने वाले चित्रों का समावेश किया गया है. जो दिखने मे बहुत सुंदर है कलात्मक जन्मकुंडली को सरंक्षित रखा गया हैं. आप भी देखिये 314 फीट लंबी जन्मकुंडली
किसकी है ये कुंडली
यह कुंडली यश कंवरी महिला के नाम पर 117 साल पहले बनी जिसकी लंबाई 314 फुट है. जन्म पत्री में विभिन्न भाव कुंड, लाभ कुंड, दशम भाव, भाग्य, शत्रु भाव कुंडलिका, संतान भाव कुंडली तुला लग्न, राहु लग्न, शनि दृष्टि, शुक्र भाव मृग भाव चलित, सुख भाव कुंडली, तुला लग्न सहज भाव, धन भाव, कष्ट गणित दृष्टि, मैत्री प्रयोजन माह केतु लग्न, गुरु भाव कुंडली बुध भाव, मंगल स्वरूप सूर्य लग्न गृह गोचर फल के साथ जीवन के कई चीजों का उल्लेख किया हुआ है. यह जन्मकुंडली किसी खास आयोजन के लिए बनाई गई उसका कारण अभी भी अज्ञात है.
ऐतिहासिक धरोहरों की करते हैं देखभाल
राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान जोधपुर विभाग में विविध 25 विषयों के अनेक दुर्लभ ग्रंथ संग्रहित हैं जिनमें जन्म पत्रियां भी समाहित है. वृहद आकार की 314 फीट की एक जन्मपत्री ओशान सिंह की पुत्री यश कंवरी की भी है जिसमें उसके भविष्य का सचित्र व सुन्दर चित्रांकन है. अन्य सैकड़ों वर्ष प्राचीन पाण्डु लिपिया व ग्रंथो का संग्रहण कर रखा गया हैं. विभाग समय-समय पर ऐतिहासिक धरोहरों की देखभाल व रख रखाव किया जाता है.
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