Jodhpur Rain: राजस्थान (Rajasthan) के जोधपुर (Jodhpur) जिले में 3 दिन की भारी बारिश से हर तरफ पानी-पानी हो गया है. जिले में अति बारिश के बाद खेतों में पानी का तेज बहाव होने की वजह से किसानों की फसलों, ट्यूबेल और तारबंदी का भारी नुकसान हुआ है. जोधपुर जिले के लोहावट, ओसियां, तिंवड़ी, बावड़ी, मंडोर और डांगियावास तहसील क्षेत्र में 40 से 50 गांव में किसानों के खेतों में भारी नुकसान हुआ है. ग्रामीण क्षेत्रों में 26 और 27 जुलाई को हुई तेज बारिश के बाद छोटे बांध और तालाब टूटने से कई गांव में बाढ़ की स्थिति बन गई. 

 

पानी का बहाव जिस ओर निकला उधर तबाही का तांडव देखने को मिला. बारिश के पानी के तेज बहाव के रास्ते में आने वाले खेतों में खड़ी फसलों सहित ट्यूबेल, पशु बाड़े, खेत की तारबंदी भी बह गए. लोहावट में एक दर्जन से अधिक गांवों में बरसात का पानी इकट्ठा होकर नदी का रूप ले लिया, जिससे रास्ते में आने वाले बोरवेल भी जमींदोज हो गए. ऐसे में किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हो गया.

 

नुकसान के मुआवजे के लिए किसान करें ये काम

 

जिला कलेक्टर हिमांशु गुप्ता ने अति बारिश की वजह से खेतों में हुए नुकसान के मुआवजे के लिए आवेदन ऑनलाइन प्रक्रिया को शुरू किया है. इस प्रक्रिया के तहत 72 घंटे के भीतर शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है, जिसके बाद प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को मुआवजा मिलेगा. जिला कलेक्टर हिमांशु गुप्ता ने किसानों और जनप्रतिनिधियों से अपील की है कि जल्द से जल्द सभी अपने काश्तकारी के रूप में आवेदन करें.

 


 

इन फसलों को पहुंचा ज्यादा नुकसान

 

जिले में सिंचित क्षेत्र में प्याज, लहसुन, मूंगफली, कपास की बड़ी मात्रा में बुआई हुई है. वहीं बाजरा और मूंग की फसलें भी खेतों में खड़ी थी, जिसमें किसान उत्साह से निराई-गुड़ाई का काम कर रहे थे, लेकिन अति बारिश से किसानों के अरमानों पर पानी फिर गया है. किसानों ने अतिवृष्टि से खराब हुई फसलों और जमींदोज बोरवेल के मुआवजे की मांग दिलवाने की मांग रखी है. भारतीय किसान संघ के तुलसाराम सिंवर ने बताया कि जिले में 26 और 27 जुलाई को हुई अतिवृष्टि से क्षेत्र में मूंगफली, मूंग, बाजरा और कपास की फसलों को बड़ी मात्रा में नुकसान हुआ है.

 

नुकसान का सर्वे कराने की मांग

 

उन्होंने कहा कि किसानों को खेत में खुले में भंडारित किए प्याज और लहसून के डूबने से भी नुकसान हुआ है. वहीं बहाव क्षेत्र में आने वाले बोरवेल, पशु बाड़े, खेतों की तारबंदी में भी बड़ी संख्या में नुकसान हुआ है.  ऐसे में प्रशासन क्षेत्र में वास्तविक नुकसान का सर्वे करवाकर किसानों को तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान करें, ताकि किसान पुनः फसल बुआई करने और अपने बोरवेल को ठीक करवाकर बची हुई फसल में सिंचाई कर सकें.