Jodhpur News: सर्दियों में आधी रात को बनती है जोधपुर की ये खास मिठाई, विदेशों तक है इसकी जबरदस्त डिमांड
सर्दी के लिए खास तरह से तैयार की गई मिठाई फीणी बाजारों में मिलने लगी है. सर्दी बढ़ने के साथ ही फीणी की मांग भी बढ़ गई है. लोग सुबह के नाश्ते में दूध के साथ फीणी खाने का आनंद लेते हैं.
Jodhpur News: राजस्थान के दूसरे सबरे बड़े शहर जोधपुर की पहचान यहां के खास खानपान और रहन-सहन से जुड़ी हुई है. जोधपुरवासियों को खंडे और खावण खंड के नाम से भी जाना जाता है. खंडो का मतलब यहां पर पत्थरों की बड़ी-बड़ी खाने हैं और पत्थरों के मकान बनाए जाते हैं. वहीं खावण खंडे इसलिए कहा जाता है कि यहां के लोग खाने-पीने के बहुत ही शौकीन हैं.
फीणी की मांग बढ़ी
चूंकी अब सर्दियां आ चुकी हैं इसलिए सर्दी के लिए खास तरह से तैयार की गई मिठाई फीणी बाजारों में मिलने लगी है. सर्दी बढ़ने के साथ ही फीणी की मांग भी बढ़ गई है. लोग सुबह के नाश्ते में दूध के साथ फीणी खाने का आनंद लेते हैं और अपने साथियों को भी खिलाते हैं. यहां के लोग इसे चाव से खाते-खिलाते हैं. राजस्थान के जोधपुर शहर की फीणी अपने आप में अनूठी स्वाद के लिए प्रसिद्ध है. यह देश में ही नहीं विदेश में भी पहचान रखती है.
कैसे बनती है
फीणी मिठाई विदेशियों को भी खूब पसंद आती है. इसे मेहमानों को भी बड़े चाव से खिलाया जाता है. एक कटोरी में दूध डाला जाता है और अलग प्लेट में साबुत फीणी डालकर रखा जाता है. इसे दूध में अपनी सुविधानुसार डाल कर चम्मच से खाया जाता है. फीणी मैदा और शुद्ध घी से तैयार की जाती है. इसके लिए जमा हुआ घी बेहतर होता है. फीणी सर्दी में ही मिलती है और जितनी तेज सर्दी होती है उतनी बढ़िया फीणी बनकर तैयार होती है. यह मिठाई देखने में जितनी नाजुक और सुंदर लगती है बनने में उतनी ही कठिन होती है. इसको बनाने वाले कारीगर बहुत अनुभवी होते हैं. यह मैदे को घी के साथ मिलाकर बनाई जाती है.
उपहार में भी दी जाती है
जोधपुर के पदम जी हलवाई ने फीणी बनाने का काम बरसों पहले शुरू किया था. अब उनके पोते और बेटे दुकान को चला रहे हैं. पदम जी हलवाई आठ रुपया महीना की तनख्वाह पर काम कर रहे थे. अचानक उनको लगा कि अब खुद का काम करना चाहिए तो उन्होंने फीणी का काम शुरू किया. धीरे-धीरे कारोबार करोड़ों में पहुंच गया. जोधपुर में बनने वाली इस फीणी को दूर दूर से लोग लेने के लिए आते हैं और अपने मिलने वालों को उपहार के रूप में भी देते हैं क्योंकि यह एक पौष्टिक आहार है. इसको खाने से किसी तरह का साइड इफेक्ट नहीं होता है और इससे सेहत भी अच्छी बनी रहती है.
सर्दियों में ही बनती है
फीणी बहुत मेहनत से बनाई जाती है. सबसे पहले मैदे का गोल बनाया जाता है. उस मैदे के गोल को कुछ समय के लिए घी के अंदर रख दिया जाता है. फीणी तेज़ सर्दी हो तभी बनती है नहीं तो फीणी तैयार नहीं होती है. यह तेज सर्दी में घी में डुबोकर आधी रात को खुली छत पर जहां पर तेज सर्दी हो वहां पर बनाई जाती है. हाथों से इसके रेशे बनाकर यह बहुत मेहनत के बाद तैयार होती है. फीणी और उसके गोल लोए बना कर रख दिया जाता है. फिर उसको घी में जैसे ही डालते हैं तो वह तार-तार अलग हो जाती है.
बहुत मेहनत से बनती है
इसके बाद खुबसूरत लच्छे जैसी फीणी तैयार होती है. इसे बनाना बहुत ही मेहनत का काम है. फीणी बनाने में 300 ग्राम मैदा और 700 ग्राम के मिश्रण डाला जाता है जिसके बाद 1 किलो फीणी तैयार होती है. इस व्यवसाय से हजारों परिवारों का रोजगार जुड़ा हुआ है. फीणी को कई तरह से अलग-अलग फ्लेवर में भी बनाया जाता है. केसर फीणी, मिठी फीणी, मलाई फीणी और लाल फीणी ज्यादा चलन में है.
ये भी पढ़ें:
Udaipur News: ऑपरेशन करते वक्त मरीज के पेट में ऐसा क्या मिला कि डॉक्टर भी रह गए हैरान