Jodhpur News: जोधपुर में भारी बारिश से बाढ़ जैसे हालात, पानी के बहाव के साथ बह गई कार, सामने आया वीडियो
Rajasthan Weather Update: राजस्थान के अधिकांश हिस्से बारिश से सराबोर हो चुके हैं. राज्य में मानसून पूर्व और मानसून की अब तक की बारिश औसत से 53 प्रतिशत अधिक रही है.
Rajasthan News: राजस्थान के कई हिस्सों में लगातार बारिश का सिलसिला जारी है. इसकी वजह से शहरों में जलजमाव जैसी स्थिति पैदा हो गई है. जोधपुर (Jodhpur) में भारी बारिश की वजह से सड़कों पर जलभराव से यातायात प्रभावित हुआ है. यहां एक कार के पानी के बहाव के साथ बहने का वीडियो सामने आया है. राज्य के कई हिस्सों में बाढ़ जैसी स्थिति के चलते लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
राज्य के बूंदी में भी लगातार बरसात होने से तालेड़ा नदी में उफान आने से अकतासा पुलिया पर 2-3 फीट पानी देखा गया. यहां एक युवक पानी के सैलाब में फंस गया. इसके बाद बचाव अभियान चलाकर युवक को ग्रामीणों और पुलिस ने बचा लिया. बूंदी के निचले इलाकों में जलभराव से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
#WATCH राजस्थान: जोधपुर में भारी बारिश के कारण सड़कों पर जलभराव से यातायात प्रभावित हुआ। गाड़ी पानी के बहाव के साथ बहती देखी गई। बाढ़ जैसी स्थिति के चलते लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। (25.07) pic.twitter.com/1TIn6zaeQl
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 25, 2022
औसत से 53 प्रतिशत अधिक बारिश
बारिश का महीना सावन अभी खत्म भी नहीं हुआ है, लेकिन राजस्थान के अधिकांश हिस्से बारिश से सराबोर हो चुके हैं. मौसम विभाग के आंकड़ों की भाषा में कहें तो राज्य में मानसून पूर्व और मानसून की अब तक की बारिश औसत से 53 प्रतिशत अधिक रही है. इस दौरान राज्य के 33 में से 25 जिलों में औसत बारिश सामान्य से अधिक हुई. साथ ही, इस बार उन इलाकों में बारिश खूब हो रही है जो विशुद्ध थार रेगिस्तान में आते हैं. इससे किसानों और पशुपालकों के चेहरे खिले हुए हैं.
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, सावन के महीने में अभी कुछ ही दिन बीते हैं. लेकिन उत्तर पश्चिम मानसून पूरे राज्य में छा चुका है. मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, एक जून से 23 जुलाई तक राज्य में औसत बारिश 247.5 मिलीमीटर रही जो कि इस अवधि की सामान्य 161.9 मिलीमीटर बारिश से 53 प्रतिशत अधिक है.
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कहां कितनी बारिश हुई
आंकड़ों के अनुसार, इस दौरान पूर्वी राजस्थान में औसत 224.1 मिलीमीटर से 42 प्रतिशत अधिक 318.4 मिलीमीटर बारिश हुई. वहीं, पश्चिमी राजस्थान में बारिश 112.4 मिलीमीटर के औसत से 70 प्रतिशत अधिक 190.9 मिलीमीटर हुई. इस अवधि में राज्य के 25 जिलों में औसत बारिश सामान्य से अधिक (औसत से 20 प्रतिशत या अधिक) रही है.
मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान राज्य के पश्चिमी हिस्सों के जिलों में 190.9 मिलीमीटर बारिश हुई जो इस दौरान 112.4 मिलीमीटर की सामान्य बारिश से 70 प्रतिशत अधिक है. राज्य के पश्चिमी जिलों बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, चुरू, नागौर, गंगानगर वे इलाके हैं, जहां थार का रेगिस्तान पसरा है और जहां बारिश का औसत आमतौर पर कम ही रहता है.
औसत से अधिक बारिश
अब तक औसत बारिश की बात की जाए तो गंगानगर जिले में 239.6 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है जो कि 92.6 मिलीमीटर औसत बारिश से 159 प्रतिशत अधिक है. राज्य में इस साल अब तक जिन जिलों में बारिश औसत से 100 प्रतिशत या उससे अधिक रही है उनमें गंगानगर पहले स्थान पर है. इसके अलावा, बीकानेर में यह औसत से 148 प्रतिशत, जैसलमेर में 126 प्रतिशत एवं चुरू में औसत से 122 प्रतिशत अधिक रही है.
पश्चिमी राजस्थान के केवल एक जिले पाली में बारिश औसत से आठ प्रतिशत कम रही है. पाली राज्य का एक मात्र जिला है जहां इस दौरान बारिश औसत से कम रही है. इस दौरान राज्य के जिन जिलों में औसत बारिश सामान्य (औसत से 19 प्रतिशत कम या ज्यादा) रही है उनमें हनुमानगढ़, भरतपुर, करौली, सवाई माधोपुर, प्रतापगढ़, जालोर, सिरोही एवं पाली हैं.
मौसम विभाग ने क्या कहा
मौसम विज्ञान केंद्र, जयपुर के निदेशक राधेश्याम शर्मा के अनुसार, पूरे राज्य में ही बारिश अच्छी और औसत हो रही है लेकिन पश्चिमी राजस्थान में यह अधिक इसलिए नजर आ रही है क्योंकि वहां औसतन कम बादल छाते हैं. उन्होंने कहा कि पश्चिमी राजस्थान के इलाकों में इस बार बारिश औसत से अधिक रहने की एक वजह यह भी है कि वहां मानसून पूर्व की बारिश अच्छी हुई और मानसून भी सामान्य समय से चार पांच दिन पहले वहां पहुंच गया. वहीं, मानसून के सक्रिय होने के बाद वहां थोड़े बहुत अंतराल के बाद लगातार बारिश हो रही है.
जारी रहेगा बारिश का दौर
शर्मा ने कहा कि राज्य में इस बार मानसून ने 30 जून को दस्तक दी थी और बारिश का दौर अभी जारी रहेगा. जानकारों के अनुसार, बारिश से भले ही शहरी इलाकों में लोगों को कई बार परेशानी हो रही हो, लेकिन किसानों के लिए यह वरदान साबित हो सकती है जहां सावणी यानी सावन के बाद बोई जाने वाली खरीफ फसलों की गतिविधियां जोर पकड़ेगी.