राजस्थान (Rajasthan) के जोधपुर (Jodhpur) में बीती रात झालावाड़ का रहने वाला गरीब मजदूर परिवार मजदूरी के लिए आया हुआ था. वे मजदूरी करने के बाद रात को फुटपाथ पर सो रहे थे. उसी दौरान 4 साल के बच्चे को कोई उठा ले गया. वे सुबह 5 बजे उठे तो बच्चा नहीं मिलने पर पुलिस थाने पहुंचे. पुलिस कमिश्नर डीसीपी भुवन भूषण यादव और एडीसीपी नाजिम अली ने 4 साल के मासूम बच्चे के अपहरण के मामले को देखते हुए एसीपी देरावर सिंह के नेतृत्व में एक टीम बनाई. एसएचओ अमित सियाग, डीएसटी टीम दिनेश डांगी बच्चे की तलाश के लिए तुरंत एक्शन में आए. 


चंगुल से मुक्त कराया, दो गिरफ्तार
इसके बाद सैकड़ों सीसीटीवी कैमरे चेक किए गए. सीसीटीवी में दो युवक एक मोटरसाइकिल पर बच्चे को उठाकर ले जाते हुए दिखे. सीसीटीवी कैमरे में अपहरणकर्ता बच्चे को नागोरी के क्षेत्र में ले जाते दिखे तो पुलिस टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए अपहरणकर्ताओं से मासूम को मुक्त कराया. पुलिस ने मात्र 8 घंटे में अपहरणकर्ताओं से बच्चे को छुड़ाकर उसके मां-बाप को सुपुर्द कर दिया. दोनों युवकों को गिरफ्तार किया गया है. अपहरण का खेल हैरान करने वाला है. 




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क्यों किया अपहरण
डीसीपी भुवन भूषण यादव ने बताया कि अपहरणकर्ता दो युवकों से पूछताछ में पता चला कि इन दोनों की परिचित रेखा को संतान नहीं हो रही थी. वह शादी के 8 साल बाद भी काफी परेशान थी क्योंकि उसे बच्चा चाहिए था. 10000 रुपये में बच्चा लाने की डील किस्तों में हुई 1000 रुपये एडवांस दिया गया. अपहरणकर्ता दोनों मोटरसाइकिल पर सवार होकर आए और सड़क के फुटपाथ पर सो रहे मजदूरों के मासूम बच्चे प्रदीप पर उनकी नजर पड़ी. वे उसे उठाकर वहां से फरार हो गए. उन्होंने बच्चे को ले जाकर रेखा को दे दिया. रेखा बच्चे को देखते ही बहुत खुश हुई. वह सुबह उठकर उसे नए कपड़े पहनाकर खाना खिला रही थी. उसी दौरान पुलिस मौके पर पहुंची और रेखा सहित दोनों लोगों को धर दबोचा.


बच्चों की गुमशुदगी के आंकड़े
देशभर में छोटे बच्चे बच्चियों की गुमशुदगी के मामले बढ़ते जा रहे हैं. छोटे बच्चों की गुमशुदगी के आंकड़े चिंताजनक हैं. लड़कियों की गुमशुदगी सबसे अधिक दर्ज हो रही है. उत्तर भारत के चार बड़े प्रदेशों में बच्चों की गुमशुदगी के मामलों में चिंताजनक वृद्धि हुई है. गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) की तरफ से जारी नई रिपोर्ट के मुताबिक गत वर्ष मध्य प्रदेश में 29 और राजस्थान में 14 बच्चे हर दिन लापता हुए. क्राई की तरफ से जारी स्टेटस रिपोर्ट आन मिसिंग चिल्ड्रेन' में बताया गया है कि दिल्ली के आठ जिलों से गत वर्ष रोजाना पांच बच्चे लापता हुए. उत्तर प्रदेश के 58 जिलों में औसतन रोजाना आठ बच्चों (छह लड़कियां और दो लड़कों) की गुमशुदगी दर्ज हुई.


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