Rajasthan Literature Festival: शब्दों की चमक, संवादों की गूंज और तालियां की गड़गड़ाहट के साथ कुछ यूं अनोखे अंदाज में साहित्य की सुगंध से जोधपुर को महका कर विदा हुआ, तीन दिवसीय राजस्थान साहित्य उत्सव, साहित्य कुम्भ (Rajasthan Literature Festival). कला और संस्कृति विभाग और जवाहर कला केंद्र की ओर से जनाना बाग, जोधपुर में आयोजित इस उत्सव में साहित्य के समसामयिक मुद्दों को मंच ने पूरे पुरजोर तरीके से सबके सामने रखा. साहित्यक गतिविधियों का गवाह ने इस उत्सव ने सांस्कृतिक गतिविधियों की रंग-बिरंगी छटा भी देखी. विभिन्न अकादमियों और जिला प्रशासन ने उत्सव के सफलता में अहम योगदान निभाया.
एबीपी न्यूज़ से इला अरुण (Ila Arun) ने बात करते हुए बताया कि इस साहित्य महाकुंभ का जो आयोजन किया गया है वह भारत सरकार और हमारे मुख्यमंत्री की परिकल्पना से हुआ है. इस दौरान सारी एकेडमी ने मिलकर आयोजन किया है जो बहुत ही अद्भुत है. इसका राजस्थान में सरकार के सहयोग से होना बहुत ही जरूरी था. राजस्थान एक कला का गढ़ है. यहां साहित्य भी है, संगीत भी है और नाट्यशास्त्र भी है. इसके लिए उन्होंने कम समय में यह कुंभ तैयार किया है. मुझे ऐसा ही लगा कि जैसे हम संगम में नहा रहे हैं. हर आदमी जो यहां पहुंचा है. उसने कुछ न कुछ पाया है. यह एक शुरुआत है लेकिन शुरुआत भर नहीं है. यह निरंतर आगे भी बढ़ती रहेगा.
रंगमंच है यह दुनिया सारी, अपना किरदार निभाए जाओ
इला अरुण ने कहा कि विश्व रंगमंच दिवस (World Theatre Day) पर मुझे जोधपुर की धरती पर आने का मौका मिला. इस मौके से मुझे बहुत खुशी हुई है. इस साल हमारा ग्रुप इला अरुण का ग्रुप जिसे छात्रवृत्ति पढ़ने के दौरान मिली थी वह संगीत नाटक अकादमी से ही मिली थी. यह 40 साल का सफर है. 40 साल तक थिएटर करना असंभव प्रतीत होता है. वो भी बिना किसी सरकारी सहायता के. आज उसी जोधपुर में मुझे अंतरराष्ट्रीय थिएटर दिवस पर सभी लोगों से मिलने का मौका मिला जिसके लिए मैं आभारी हूं. जोधपुर में फेलोशिप अवार्ड भी यहीं मिला था. 27 मार्च विश्व रंगमंच दिवस पर हमारे सभी सहयोगियों के साथ हम स्टेज पर खड़े थे. दोबारा स्टेज लगा दोबारा मेकअप लगा तो हमें लगा कि हम जीवित हैं. कहते हैं कि रंगमंच है यह दुनिया सारी, अपना किरदार निभाए जाओ.