Rajasthan News: राजस्थान के जोधपुर में सिलिकोसिस जैसी प्राण घातक बीमारी के नाम पर सिलिकोसिस मरीजों को जारी किए गए. प्रमाण पत्र में गड़बड़ी के संबंध में मिली शिकायतों पर अब जिला क्षय निवारण केंद्र द्वारा संज्ञान लिया गया है. 


जिला क्षय निवारण केंद्र के जिला क्षय रोग अधिकारी और नोडल अधिकारी सिलिकोसिस डॉक्टर सुरेश कुमार ने बताया कि जिला जोधपुर में राजकीय क्षेत्र में संचालित 10 सिलिकोसिस केन्द्रों द्वारा 1 अप्रैल, 2023 से 8 फरवरी, 2024 तक जारी कुल 2329 सिलिकोसिस प्रमाण पत्रों की पुनः जांच के लिए प्रधानाचार्य एवं नियंत्रक, डॉ.एस.एन. मेडिकल कॉलेज और संलग्न सिलिकोसिस चिकित्सालय समूह, जोधपुर के द्वारा क्षय और वक्ष रोग, रेडियोडायग्नोसिस, मेडिसिन विभाग की विशेषज्ञता के तीन सदस्य मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया.





पूर्व में ही जा चुका था रिजेक्ट
डॉ. कुमार ने बताया कि जांच रिपोर्ट के अनुसार जांच के अधीन 2329 प्रकरणों में से सिलिकोसिस पॉजिटिव प्रकरण संख्या 1798 है. सिलिकोसिस नेगेटिव प्रकरण संख्या 531 है. राज्य स्तर पर निदेशक, विशेष योग्यजन विभाग की समीक्षा में जिला स्तर पर 142 सिलिकोसिस प्रमाणित प्रकरणों को पूर्व में ही रिजेक्ट किया जा चुका था. उन्होंने बताया कि जांच अधीन 2329 प्रकरण सूची में 109 प्रकरण तो ऐसे थे, जो वस्तुतः जिला स्तर पर सिलिकोसिस प्रमाणित हुए ही नहीं थे. पोर्टल में आवेदित नवीन केस होकर प्रक्रियाधीन थे. ऐसे में मेडिकल बोर्ड के द्वारा प्रभावी नेगेटिव संख्या 280 होती है. 


ज्यादातर प्रकरणों  में सिलिकोसिस पाया गया था
डॉक्टर सुरेश कुमार ने आगे बताया कि मेडिकल बोर्ड ने यह भी निष्कर्ष दिया, कि एक ही एक्स रे पर दो रेडियोलॉजिस्ट की राय में 15 से 20 प्रतिशत का Inter-observer variation पाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि गठित मेडिकल बोर्ड के अनुसार, ज्यादातर प्रकरणों (80%) में जिनमें सिलिकोसिस पाया गया था. उनमें टी.बी. या पुराने टी.बी. के calcification के बदलाव थे. साथ ही, मेडिकल बोर्ड के द्वारा इन प्रकरणों को निरस्त किया गया.


ऑनलाईन रेफर किया जाता है रेडियोग्राफर
नोडल अधिकारी, सिलिकोसिस डॉ. कुमार ने बताया की राज्य स्तर पर सिलिकोसिस प्रमाणीकरण के लिए सिलिकोसिस ऑनलाइन वेब पोर्टल है. ई- मित्र से प्रार्थी का पंजीयन होता है, ऑनलाइन सूचित दिवस को राजकीय चिकित्सालय में चिकित्सा अधिकारी के द्वारा चिकित्सकीय परीक्षण किया जाता है. उन्होंने बताया कि सिलिकोसिस के प्रारम्भिक लक्षण पाए जाने पर उसे नैदानिक जांच के लिए रेडियोग्राफर को ऑनलाइन रेफर किया जाता है. डिजिटल एक्स-रे ऑनलाइन अपलोड होता है.


जनरेट हो जाती है ऑनलाइन रिपोर्ट 
उन्होंने बताया कि राज्य के सिलिकोसिस प्रमाणीकरण से सम्बद्ध एवं पंजीकृत रेडियोलोजिस्ट्स में किन्हीं एक को रेण्डम आधार पर पोर्टल से राय के लिए प्रकरण Allocate होता है. साथ ही, उन्होंने बताया कि रेडियोलॉजिस्ट के द्वारा सिलिकोसिस ग्रसित पाए जाने अथवा नहीं पाए जाने की जैसे भी राय हो के साथ प्रकरण ऑनलाईन चिकित्सा अधिकारी को ऑनलाइन ही लौटाया जाता है. इस राय अनुसार सिलिकोसिस प्रमाण पत्र अथवा सिलिकोसिस आवेदन निरस्त के संबंध में ऑनलाइन रिपोर्ट जनरेट हो जाती है.


इस ऑनलाईन पोर्टल में प्रारम्भिक स्तर पर चिकित्सा अधिकारी के एकल क्षेत्राधिकार में नहीं है, कि वह सिलिकोसिस प्रमाण पत्र जारी कर दे, वह एक्सरे एवं रेडियोलॉजिस्ट की राय अनुसार निर्दिष्ट होता है. सिलिकोसिस प्रमाण पत्र जारी होने के उपरांत, निदेशालय, विशेष योग्यजन, जयपुर अर्थात राज्य स्तर से आवश्यक समीक्षा उपरांत लाभार्थी को सहायता राशि ऑनलाइन रूप में बैंक खाते में जमा होती है, जिला स्तर से जिला प्रशासन और चिकित्सा विभाग के स्तर पर संबंधित को सहायता राशि न तो स्वीकृत होती है, न ही बैंक खाते में जमा कराई जाती है. 


जिला जोधपुर में दिनांक 1 जनवरी,2023 से 15 जून, 2024 तक की समय अवधि में सिलिकोसिस पोर्टल में कुल 37,969 ऑनलाइन आवेदन हुए, जिसमें से 1482 का सिलिकोसिस प्रमाणीकरण हुआ.


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