Jodhpur News: लोन के लिए अप्लाई करते वक्त बैंक फॉर्मेलिटी के नाम पर डॉक्यमेंट्स की लंबी लिस्ट मांगी जाती है. डॉक्यमेंट्स पूरा होने पर ही लोन प्रोसेस होता है. लेकिन कई बार कुछ कारणों से लोन होते-होते अटक जाता है. ऐसे में कुछ लोग दूसरे बैंक के पास अपनी फाइल ले जाते हैं या कुछ दूसरे माध्यम से पैसा जोड़ने की जद्दोजहद में लग जाते हैं. राजस्थान के जोधपुर में रहने वाले अशोक जैन ने भी कुछ ऐसा किया. लोन रिजेक्ट होने पर उसने किसी दूसरे माध्यम से पैसे जोड़ने की कोशिश की और सफलता भी मिल गई. किस्सा 15 साल पुराना है, लेकिन आज बैंक ने कभी नहीं लिया गया 40 लाख रुपये के लोन की वसूली का नोटिस भेज दिया है.


15 साल बाद बैंक का नोटिस मिलने पर खुलासा


जाहिर है पीड़ित के साथ धोखा हुआ है. लेकिन धोखाधड़ी कैसे हुई, ये जानना आपके लिए भी जरूरी है. शख्स ने जब लोन के लिए बैंक में अप्लाई किया था तो दस्तावेजों की एक मोटी फाइल बनाकर अधिकारियों को सौंपी थी. हालांकि बैंक के लोन रिजेक्ट करने पर शख्स ने फाइल वापस नहीं मांगी. इसका फायदा जालसाजों ने उठाते हुए अशोक के नाम पर 40 लाख का लोन अप्रूव करवा लिया. इस बात से अंजान अशोक को 15 साल बाद बैंक की तरफ से नोटिस मिला तो हैरान रह गया. अशोक ने तुरंत जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट वेस्ट पुलिस थाना शास्त्री नगर में शिकायत दर्ज कराई.


थाना अधिकारी योगेंद्र चौधरी ने बताया कि अशोक जैन नामक शख्स ने फाइनेंस कंपनी के अधिकारी, फाइनेंस कंपनी और अन्य के विरुद्ध 420 का मामला दर्ज करवाया है. फाइनेंस कंपनी ने करीब 15 साल पहले शख्स का बस के लिए 40 लाख रुपए लोन खारिज कर दिया था और दस्तावेज नहीं लौटाए. उसी कंपनी के मालिक ने धोखाधड़ी करते हुए दूसरे शख्स के नाम से लोन उठा लिया. गारंटर के गलत पते भर कर लोन तो उठा लिया, मगर 15 साल बाद गारंटर के पते पर 26 मार्च को 3 करोड़ रुपए की रिकवरी का नोटिस आया.


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6 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज 


तब जाकर धोखाधड़ी का भांडा फूटा. गारंटर ने शास्त्री नगर थाने में फाइनेंस कंपनी के मालिक और कर्मचारियों पर केस दर्ज करवाया. पुलिस ने कंपनी के मालिक सहित 6 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. फरियादी और गारंटर अशोक जैन निवासी रामेश्वर नगर वासनी ने बताया कि गुजरात के हिम्मत नगर में रहने वाले दोस्त हाथी भाई पटेल बस खरीदना चाहते थे. गारंटर के रूप में अशोक दोस्त हाथी भाई संग लोन दिलाने के लिए तारा ऑटो फाइनेंस कंपनी के मालिक दिनेश देशलहरा से मिले. दिनेश ने श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कंपनी से लोन दिलाने का कहकर दस्तावेज जमा करवाए. इस दौरान दिनेश ने श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कंपनी के अधिकारी उमेश गोविंद रेवनकर, पी श्रीधर, गणेश, राजीव और बाला सुब्रह्मण्यम से मिलवाया और 15 दिन में फाइनेंस कराने का कहा.


25 दिन बाद भी लोन स्वीकृत नहीं होने पर दिनेश से दस्तावेज वापस मांगे. दिनेश ने बताया कि लोन कैंसिल हो जाने पर दस्तावेज वापस नहीं मिलते हैं. पिछले महीने 26 मार्च को गारंटर अशोक को गांव के पते पर वकील का नोटिस मिला. नोटिस से खुलासा हुआ कि हाथी भाई के नाम पर 40 लाख रुपए का लोन अगस्त 2007 में ही उठा लिया गया है. लोन का गारंटर अशोक जैन को बनाया गया है. लोन लेने के बाद किस्त नहीं भरी गई. किस्त की रिकवरी तीन करोड़ रुपए निकाली गई. इस तरह फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ हुआ. पुलिस ने तारा ऑटो फाइनेंस एजेंसी के मालिक दिनेश, श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कंपनी के अधिकारी उमेश गोविंद रेवनकर, पी श्रीधर, गणेश, राजीव और बाला सुब्रह्मण्यम के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है. 


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