Joadhpur: मंदिर में लगी प्रतिमाओं और शिवलिंग को खंडित करने पर नागा साधुओं में आक्रोश, जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर की ये मांग
Rajasthan News: नागा साधुओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि महंत की ओर से दी गई शिकायत दर्ज नहीं की गई. महंत को जेल भेजने के बाद पीछे से असामाजिक तत्वों ने पुलिस की मौजूदगी में मंदिर में तोड़फोड़ की है.
Jodhpur News: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के गृह जिले जोधपुर (Jodhpur) के चौका क्षेत्र की एक पहाड़ी पर नागा साधुओं की तपोस्थली बनी हुई थी. ये तपोस्थली वन विभाग की जमीन पर बनी हुई थी. यहां मंदिर लगी प्रतिमा और शिवलिंग को तोड़ दिया गया. इस बात से नाराज सैकड़ों की तादाद में नागा साधु शुक्रवार को जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय में कलेक्टर को ज्ञापन देने पहुंचे. उन्होंने आरोप लगाया कि मदिर की जमीन और वहां लगी प्रतिमाओं को उस क्षेत्र के भु-माफियाओं और असामाजिक लोगों ने पुलिस की मौजूदगी में तोड़ा.
उन्होंने ऐसे असामाजिक लोगों और पुलिस के जवानों पर कार्रवाई की मांग को लेकर एडीएम एम एल नेहरा को ज्ञापन दिया. साधु-संतों ने आरोप लगाया कि जोधपुर के सिद्धनाथ रोड के पास हरिओम बाबा का 100 वर्षों से अधिक पुराना धुणा और शिवलिंग स्थापित मंदिर है. उस मंदिर में पिछले 12 सालों से महंत अमितनाथ अघोर पूजा पाठ और सेवा कर रहे हैं. कुछ भू-माफिया और असामाजिक तत्व मिलकर मंदिर से बाबा को भगाकर उसकी संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा करने का षड्यंत्र कर रहे थे. महंत अमितनाथ का एक व्यक्ति से झगड़ा हो गया. इस झगड़े में युवक के सिर में चोट आने के कारण पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर महंत अमितनाथ अगोर को जेल भेज दिया.
नागा साधुओं ने लगाया ये आरोप
नागा साधुओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि महंत की ओर से दी गई शिकायत दर्ज नहीं की गई. महंत को जेल भेजने के बाद पीछे से असामाजिक तत्वों ने पुलिस की मौजूदगी में मंदिर में तोड़फोड़ की है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत साधुओं के सानिध्य में रहते हैं. वो साधुओं के साथ हो रहे इस तरह से अन्याय पर कार्रवाई करें. साथ ही मंदिर का पुनर्निर्माण करवाएं. नागा साधुओं ने कहा की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जिस माली समाज से आते हैं, उसी समाज के लोगों ने भू-माफियाओं के साथ मिलकर मंदिर में शिवलिंग और देव प्रतिमाओं से तोड़फोड़ की है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हम साधु-संतों और नागा बाबाओं के साथ हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध कोई कठोर कदम उठाएं और ऐसे लोगों पर कठोर कार्रवाई करें, जो समाज में वैमनस्य पैदा कर रहे हैं.
वहीं अधिवक्ता कुलदीप सिंह ने कहा कि हरिओम महाराज के 100 वर्षों से पुराने धूणे को अगर वन विभाग ने तोड़ा, तो उसने बिना नोटिस दिए या बिना किसी आदेश के ऐसा कैसे किया. उन्होंने कहा कि महंत अमितनाथ अघोरी के झूठे मुकदमे में जेल में बंद होने की अवधि में इसे कैसे और क्यों तोड़ा गया. पुलिस उन लोगों के विरुद्ध कार्यवाई करे जो लोग वीडियो में तोड़फोड़ करते साफ नजर आ रहे हैं. उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए.
पुलिस ने क्या कहा
वहीं इस मामले में पुलिस कमिश्नरेट वेस्ट के डीसीपी गौरव यादव ने बताया कि हरिओम मंदिर के महंत और उसी क्षेत्र के रहने वाले कुछ लोगों में झगड़ा हुआ था. झगड़े के बाद महंत के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गई. उन्होंने बताया कि मंदिर में पुलिस के द्वारा किसी भी तरह तोड़फोड़ नहीं की गई है. यही नहीं जब मंदिर में तोड़फोड़ की गई, उस दौरान पुलिस वहां पर मौजूद नहीं थी. ये कार्रवाई वन विभाग के द्वारा की गई है.