Jodhpur Violence: जोधपुर हिंसा मामले के तीन आरोपियों को अंतरिम राहत, गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
Jodhpur Violence: जोधपुर शहर में 2 और 3 मई को हुए सांप्रदायिक हिंसा मामले के आरोपियों को अंतरिम राहत मिली है. हाईकोर्ट ने तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए एफआईआर की केस डायरी मांग ली है.
Jodhpur Violence: जोधपुर शहर में 2 और 3 मई को हुए सांप्रदायिक हिंसा मामले के आरोपियों को अंतरिम राहत मिली है. पुलिस ने कई लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर हिंसा का आरोपी बनाया था. एफआईआर के खिलाफ आरोपियों में हितेश व्यास, अरविंद पुरोहित और हिमांशु गहलोत ने राजस्थान हाईकोर्ट की शरण ली. मामले की सुनवाई न्यायाधीश दिनेश मेहता ने की. हाईकोर्ट ने तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए दर्ज सभी एफआईआर की केस डायरी मांग ली है और घटना का सीसीटीवी फुटेज के साथ 23 मई को जांच अधिकारी को तलब किया है. अब इस मामले में आगामी 23 मई को सुनवाई होगी.
कैसे हुई थी जोधपुर हिंसा की शुरुआत ?
जालोरी गेट सर्कल पर 2 मई की रात झंडा लगाने पर दो गुटों में जमकर मारपीट हुई. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर भीड़ को तितर बितर करने के लिए आंसू गैस का गोले छोड़ा और लाठीचार्ज किया. 3 मई की सुबह ईद की नमाज के बाद हुए विवाद में पुलिस ने हल्का बल प्रयोग करते हुए दंगाइयों को खदेड़ दिया. मामला स्वतंत्रता सेनानी बालमुकुंद बिस्सा की प्रतिमा पर झंडा लगाने से जुड़ा था. आरोप है कि दंगाई जिस क्षेत्र से निकले उस क्षेत्र में हिंसा फैलाते रहे.
जांच के साथ आरोपियों की धर पकड़ जारी
शहर के कई क्षेत्र में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई. पुलिस और प्रशासन ने एहतियातन तौर पर शहर में कर्फ्यू लगाया दिया. हिंसा की जांच के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एसआईटी का गठन किया. शहर में अमन और भाईचारा खराब करने वाले दोषियों के खिलाफ सख्ती से निपटने का आदेश दिया. पुलिस ने 1500 से 2000 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. 322 लोगों को 151 की धारा और हिंसा मामले में 30 आरोपियों को गिरफ्तार किया. पुलिस हिंसा मामले की जांच अभी भी कर रही है और आरोपियों की धर पकड़ जारी है.