Rajasthan News:  इस साल मार्च महीने में मई और जून जैसी तेज गर्मी का प्रकोप शुरू हो चुका है. मौसम विभाग ने आशंका जताई है कि आने वाले दिनों में गर्मी का प्रकोप और तेज होगा. मार्च महीने में तापमान 41 से 42 डिग्री के करीब पहुंच चुका है.  आमतौर पर मार्च महीने में तापमान 34 डिग्री के आसपास रहता है. मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में सामान्य अधिकतम तापमान से दो डिग्री तापमान अधिक होने की संभावना जताई है. इस तेज गर्मी के चलते आम जनजीवन तो प्रभावित होगा ही इसी के साथ ये तेज गर्मी किसानों के लिए भी खराब है. जोधपुर काजरी के डायरेक्टर ओपी यादव ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में बताया कि तेज गर्मी और बढ़ता तापमान किसानों की फसलों के लिए कैसे हानिकारक है.


फसल की प्रक्रिया पर पड़ेगा प्रभाव
ओपी यादव के मुताबिक फसलों के लिए तापमान केंद्रीय बिंदु होता है. नॉर्मल तापमान से कम या अधिक तापमान होता है तो फसल की प्रक्रिया पर बहुत प्रभाव पड़ता है. इसका अंतत परिणाम यह होता है कि फसल की क्वालिटी में कमी हो जाती है. इसके अलावा तापमान दो डिग्री तक बढ़ता है तो जो ह्यूमिडिटी भी बढ़ जाती है, जिसके कारण फसलों में लगने वाली बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ जाता है और फसलों में कीड़े लगने लग जाते हैं.


पानी की कम हो जाती है उपलब्धता
तापमान बढ़ता है तो पानी का वेपोरेशनल की स्पीड और अधिक बढ़ जाती है. खेतों में पानी की उपलब्धता फसलों के लिए कम रह जाती है, जिससे पौधों को सूखे का सामना करना पड़ता है. यही नहीं तापमान बढ़ने से मृदा (मिट्टी ) में बदलाव आता है. मुर्दा कार्बन डाइऑक्साइड रिलीज ज्यादा होता है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग की ओर तेजी से बढ़ते हैं. सॉइल से कार्बन डाइऑक्साइड तेजी से रिलीज होने से नुकसान बढ़ने लगता है ग्लोबल वार्मिंग की चैन की शुरुआत तेजी से चलने लगती है.


उत्पादकता पर पड़ेगा प्रभाव
इसके अलावा गर्मी के दिनों में तापमान बढ़ता है तो इसका एक फायदा यह भी सिल्वर लाइन के तौर पर माना जाता है कि मानसून के साथ बारिश भी अधिक होगी तापमान अधिक होता है तो फसलों में प्रोसेसिंग में भी बदलाव होता रहता है, जिसका असर सीधा फसल की उत्पादकता और क्वालटी पर देखा जा सकता है. उत्पादकता कम होगी जैसे कोई पौधा 40 दिन में तैयार होता है. तापमान ज्यादा हो जाने के चलते 30 दिन में ही उपस्थित यार हो जाएगी जिसकी क्वालिटी और उत्पादन में कमी साफ नजर आएगी.


फसल की उपज होगी कम 
काफी ठंडे प्रदेश है जहां पर गेहूं की उपज तैयार है और गेहूं में इसका प्रभाव देखने को मिलेगा तापमान बढ़ने से गेहूं के दाने को पकने के समय में पांच दिन भी ज्यादा फसल पक गई तो 10 से 20% तक फसल की उपज कम होगी. तेज गर्मी और ग्लोबल वार्मिंग के बचाव के लिए कई सारे काम है जो किए जाने हैं लेकिन उसके लिए समय लगेगा किसान फसलों के लिए पॉलीहाउस का उपयोग कर सकते हैं या सीधी गर्मी उन फसलों पर नहीं गिरे इसको लेकर अन्य और भी कई साधन हैं. जिन्हें उपयोग में ले सकते हैं लेकिन यह बढ़ता तापमान चिंता का विषय बना हुआ है.


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