Elevated Road Jodjpur: जोधपुर में बढ़ते यातायात दबाव से मुक्ति के लिए हार्टलाइन रोड पर प्रस्तावित एलिवेटेड रोड के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. लंबे समय से राजनीतिक दावपेंच में उलझे इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को अब भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण(NHAI) ने धरातल पर उतारने का फैसला किया है. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने हाल ही में प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसलटेंट की नियुक्ति की है.
जिसके द्वारा शीघ्र ही डीपीआर तैयार की जाएगी. डीपीआर तैयार होने के बाद इसकी निविदाएं आमंत्रित कर निर्माण कार्य शुरू होगा. यह सूचना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक ट्वीट के जरिये दी.
केंद्रीय मंत्री नीतिन गडकरी से की मुलाकात
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री और जोधपुर के सांसद गजेन्द्र सिंह शेखावत ने भी शनिवार को दिल्ली में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नीतिन गडकरी से मुलाकात कर 1700 करोड़ रुपए के जोधपुर के लिए सबसे अहम प्रोजेक्ट को जल्द से शुरू करने का आग्रह किया था. गडकरी ने उन्हें इस प्रोजेक्ट को लेकर हुए डवलपमेंट से अवगत कराया था. आज मुख्यमंत्री गहलोत ने गडकरी से वार्ता की. इस दौरान गडकरी ने इस प्रोजेक्ट को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के माध्यम से पूरा करवाने के फैसले की सूचना दी.
ऐसी होगी एलिवेटेड रोड
शहर में प्रस्तावित एलिवेटेड रोड 9.6 किमी लंबी होगी. इसकी लागत करीब 1700 करोड़ रुपए आएगी. यह देश की दूसरी सबसे लंबी एलिवेटेड रोड होगी, जो सिंगल पिलर पर बनेगी. अगर काम तय समय पर होता है तो शिलान्यास के चार-साढ़े चार साल बाद यह पूरी तरह बन जाएगी. सिंगल पिलर की संख्या 220 रहेगी, हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि पिलर की संख्या ग्राउंड की लोड बियरिंग कैपेसिटी (एसबीसी) के अनुसार कम-ज्यादा भी हो सकती है. ऐसा रेडियस को बैलेंस करने के लिए किया जाता है.
बरसों पुरानी है योजना
एलिवेटेड रोड का प्लान बरसों से चल रहा है लेकिन यह मूर्त रूप लेने का नाम ही नहीं ले रहा है. वर्ष 2012-13 में अशोक गहलोत के दूसरी बार सीएम रहते तत्कालीन महापौर रामेश्वर दाधीच ने इस प्लान पर काम शुरू किया था. तब यह प्लान पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) पर प्रस्तावित था, लेकिन फिजिबिलिटी रिपोर्ट आने तक प्रदेश में सरकार बदल गई और काम रुक गया.
शहर के लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए जुलाई 2019 के बजट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस एलिवेटेड रोड की डीपीआर बनाने की घोषणा की. इसके बाद जेडीए ने बड़ौदरा की फर्म जियो डिजाइन एंड रिसर्च कंपनी को फिजिबिलिटी रिपोर्ट बनाने का काम सौंपा था. जेडीए ने रिपोर्ट एप्रूव्ड करने के बाद डीपीआर राज्य सरकार के पास भेज दी. इसके बाद पैसों को लेकर संकट खड़ा हो गया.
राजनीति में उलझी
इसके बाद यह प्रोजेक्ट राजनीति में उलझ गया. शेखावत ने अपने स्तर पर प्रयास कर नीतिन गडकरी से मिलकर इसे सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के माध्यम से पूरा कराने का दबाव डाला. इसके बाद गडकरी ने अपनी सहमति दे दी कि केन्द्र सरकार इस प्रोजेक्ट को पूरा करेगी. उसी दौरान गहलोत सरकार के शहर निकाय मंत्री शांति धारीवाल ने अपनी जोधपुर यात्रा के दौरान इस प्रोजेक्ट पर सवालिया निशान लगा इसे खारिज कर दिया.
इससे एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया. वहीं राज्य सभा सांसद जोधपुर के राजेन्द्र गहलोत के एक सवाल के जवाब में गडकरी ने लिखित में जवाब दिया कि ऐसा कोई प्रोजेक्ट विचारणीय नहीं है. इससे राजनीति गरमा गई. बाद में मुख्यमंत्री गहलोत और केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने अपने-अपने स्तर पर गडकरी से बात की. शेखावत के साथ बैठक में गडकरी ने सहमति जताई कि केन्द्रीय मंत्रालय इस परियोजना को अपने हाथ में लेगा.
एलिवेटेड रोड एक नजर में
मंडोर रोड को कृषि मंडी से जोड़ते शुरू होगी, एलिवेटेड रोड -भदवासिया ओवरब्रिज के ऊपर से गुजरेगी. पावटा सर्किल से राइकाबाग बस स्टैंड की तरफ उतरेगी टू-लेन-कलेक्ट्रेट के मुख्य गेट के पास से एलिवेटेड रोड को जोड़ेगी, पुरी तिराहे से रेलवे स्टेशन की तरफ उतरेगी टू-लेन, पांचवीं रोड से 12वीं रोड की तरफ उतरेगी टू-लेन
आखलिया तिराहे से प्रतापनगर रोड के समानांतर उतरेगी, एलिवेटेड आखलिया से सोजती गेट, पावटा होकर महामंदिर, भदवासिया होकर कृषि मंडी मंडोर की तरफ उतरेगी.
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