Jodhpur: जोधपुर एम्स में डायबिटीज मैनेजमेंट में नर्सेज के अप-स्किलिंग प्रोग्राम की हुई शुरुआत, मिलेगा ये फायदा
Jodhpur News: जोधपुर में इंडिया-स्वीडन हेल्थकेयर इनोवेशन सेंटर ने ‘स्किल फॉर स्केल’ प्रोग्राम की शुरुआत की है. इससे देशभर के पांच हजार नर्सेज की अपस्किलिंग होगी.
Jodhpur AIIMS: जोधपुर एम्स में नर्सिंग अपस्किलिंग की शुरुआत हुई है. स्वीडिश ट्रेड कमिश्नर ऑफिस, एम्स नई दिल्ली और एम्स जोधपुर के बीच साझेदारी के साथ गठित इंडिया-स्वीडन हेल्थकेयर इनोवेशन सेंटर ने ‘स्किल फॉर स्केल’ प्रोग्राम की शुरुआत की है. यह एक ऐसी ई-लर्निंग पहल है. जिसके माध्यम से नर्सेज को व्यावहारिक ज्ञान से लैस करने की तैयारी की गई है ताकि वे गैर-संचारी रोगों के प्रबंधन के लिए रोगियों की देखभाल से संबंधित नवीनतम तरीकों को अपना सकें.
यह एम्स जोधपुर से प्रमाणित है
यह कार्यक्रम एम्स जोधपुर द्वारा प्रमाणित है और स्वास्थ्य विज्ञान महानिदेशालय (डीजीएचएस) द्वारा समर्थित है. इसके तहत देश भर के नर्सेज को निशुल्क पंजीकरण करने और अपनी सुविधा के अनुसार सीखने का अवसर मिलेगा.
जोधपुर एम्स डायरेक्टर ने दी जानकारी
जोधपुर एम्स में डायरेक्टर संजीव मिश्रा ने ‘स्किल फॉर स्केल’ प्रोग्राम की जानकारी है. उन्होंने बताया कि, इस प्रोग्राम के पहले चरण में एनपीसीडीसीएस के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए एनसीडी डोमेन के भीतर उपलब्ध विविध संसाधनों से निर्मित विश्व स्तरीय व्यापक पाठ्यक्रम पर आधारित डायबिटीज मैनेजमेंट, इस रोग की रोकथाम और इससे संबंधित जागरूकता पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. मधुमेह को रोकने और प्रबंधित करने के लिए लोगों को मानकीकृत और गुणवत्ता परामर्श, देखभाल और सहायता सेवाएं प्रदान करने के लिए नर्सेज को लैस करने के लिहाज से बुनियादी और उन्नत मॉड्यूल बनाए गए हैं.
नर्सेज को किया जायेगा तैयार
पहले वर्ष में 5000 नर्सेज को लक्षित करने वाले अपस्किलिंग कार्यक्रम की आवश्यकता के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए एम्स जोधपुर के डायरेक्टर डॉ संजीव मिश्रा ने कहा, ‘‘हमारे देश में गैर-संचारी रोग आज भी सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी एक महत्वपूर्ण समस्या बने हुए हैं. ये मृत्यु दर और रुग्णता के अनुपात के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं. गैर-संचारी रोगों के बढ़ते बोझ को नियंत्रित करने में हमें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि हमारे पास प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों की कमी है.
इसके साथ ही अपर्याप्त ज्ञान और कौशल वाले प्राथमिक देखभाल प्रदाता जैसी कुछ चुनौतियां हैं. इस पहल के माध्यम से हम मरीजों की देखभाल से संबंधित नॉलेज गैप को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं. इस कार्यक्रम का पाठ्यक्रम सावधानी से तैयार किया गया है ताकि नर्सेज को भारत में गैर-संचारी रोगों की बढ़ती घटनाओं के साथ रोगियों के लिए विशेष देखभाल, आवश्यक सहायता सेवाएं और मानकीकृत परामर्श देने में सक्षम बनाया जा सके.’’
स्वीडिश ट्रेड कमिश्नर ने कही ये बात
महत्वपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रमों पर स्वीडिश ट्रिपल हेलिक्स मॉडल में काम करने के महत्व के बारे में बताते हुए स्वीडिश ट्रेड कमिश्नर सेसिलिया ऑस्करसन ने कहा, ‘‘हम इन दो महत्वपूर्ण पहलों की शुरुआती सफलता को देखकर खुश हैं. जो लोगों की क्षमताओं को प्रभावित करने और हमारे मौजूदा हेल्थकेयर इकोसिस्टम को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं. इन कार्यक्रमों को सरकार और प्रमुख उद्योग संगठनों की ओर से समर्थन मिले इस दिशा में हम प्रभावी तरीके से काम करते हैं. हम दोनों देशों के बीच इन क्रॉस लर्निंग कार्यक्रमों को विकसित करना जारी रखेंगे ताकि गैर-संचारी रोगों के मैनेजमेंट को और बेहतर बनाया जा सके और रोगियों को लाभान्वित किया जा सके.’’
प्रोफेसर सुरेश के शर्मा, प्रोफेसर और प्रिंसिपल, कॉलेज ऑफ नर्सिंग, एम्स जोधपुर के नेतृत्व में गठित एक सलाहकार समिति के निर्देशन में यह पहल जारी रहेगी. सलाहकार समिति में एम्स दिल्ली, एम्स जोधपुर, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस), इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर), यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज (यूसीएमएस), इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनसी), एस्ट्राजेनेका इंडिया और बिजनेस स्वीडन के प्रमुख लोग शामिल हैं.
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