Kaila Devi National Park: राजस्थान के कैलादेवी अभयारण्य आने वाले पर्यटकों का इंतजार अब खत्म हो गया है. सरकार ने इस नेशनल पार्क में जंगल सफारी शुरू की है. इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री रमेश चंद मीना ने खान की चौकी से जिप्सी को हरी झंडी दिखाकर जंगल सफारी की शुरुआत की. इसके बाद मंत्री मीना, उपवन संरक्षक रामानंद भाकर और स्टूडेंट्स ने जंगल सफारी का लुत्फ उठाया. पंचायतीराज मंत्री रमेशचंद मीना ने  कहा जंगल सफारी शुरू होने के बाद करौली जिले को पर्यटन के क्षेत्र में खास पहचान मिलेगी. लंबे समय से कैलादेवी वन्यजीव अभयारण्य (Kailadevi Wild Life Sanctuary)में सफारी शुरू होने का इंतजार था, जो अब खत्म हो गया है.


जंगल सफारी को लेकर लोगों में काफी खुशी है. इस नेशनल पार्क में देश-विदेश से सैलानियों के आने और अभयारण्य क्षेत्र का विकास होने से इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. करौली जिले के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय और छोटे व्यवसायियों को सीधा लाभ होगा. साथ ही लोगों को सीधे प्रकृति से जुड़ने का अवसर मिलेगा.


विस्थापित परिवारों को मिले 25 लाख मुआवजा
रमेश चंद  मीना ने कहा अभयारण्य क्षेत्र में बसे लोगों को सही स्थान पर विस्थापित किया जाना चाहिए. आज की महंगाई को देखते हुए अभयारण्य क्षेत्र के विस्थापित परिवारों को कम से कम 25 लाख रुपए की मुआवजा राशि मिलनी चाहिए जिससे लोग जीवनयापन कर सकें. इस दौरान उपवन संरक्षक सुरेश मिश्रा सहित अन्य अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे.


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39 साल पहले मिला था नेशनल पार्क का दर्जा
कैलादेवी वन्यजीव अभयारण्य राजस्थान के सवाई माधोपुर एवं करौली जिले के 376 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में स्थित है. वर्ष 1983 में इसे वन्य जीव अभयारण्य का दर्जा दिया गया था. यहां मुख्य रूप से बघेरा, रीछ, चिंकारा, सांभर, चीतल, लोमड़ी व अन्य वन्य जीव देखे जा सकते हैं. यह अभयारण्य राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमा को जोड़ता है. अभयारण्य के पश्चिमी किनारे पर बनास नदी और दक्षिण-पूर्व दिशा में चम्बल नदी का प्रवाह है. कैला देवी वन्यजीव अभयारण्य का नाम का नाम विख्यात कैला देवी मंदिर के नाम से रखा गया था.


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