Kanwar Yatra 2022: कोटा में सावन के पहले सोमवार पर शिव भक्तों में दिखा उत्साह, निकाली गई भव्य कांवड़ यात्रा
Kanwar Yatra 2022: श्रावण माह के पहले सोमवार को भीतरिया कुंड स्थित श्री सोमेश्वर महादेव मंदिर से भगवान श्री पिप्पलेश्वर महादेव मंदिर तक भव्य कांवड़ यात्रा निकाली गई और भक्तों में भरपूर उत्साह देखा गया.
Kanwar Yatra 2022: राजस्थान (Rajasthan) के कोटा (Kota) और आस-पास के क्षेत्रों में सावन (Sawan) के पहले सोमवार को शिवभक्तों में खूब उत्साह देखने को मिला. सुबह से ही शिवभक्त मंदिर पहुंचने शुरू हो गए थे. यहां उन्होंने बेल्वपत्र, चंदन, अक्षत, फल, फूल, मिष्ठान, धतूरे सहित दुग्धाभिषेक कर पूजन-अर्चन किया. कहीं रुद्राभिषेक हो रहे हैं तो कहीं शिव पुराण के पाठ हो रहे हैं. इसके अलावा पारद शिवलिंग की पूजा भी हो रही है तो नीलकंठ महादेव का विशेष अभिषेक के साथ श्रंगार किया जा रहा है.
श्रावण माह के प्रथम सोमवार को भीतरिया कुंड स्थित श्री सोमेश्वर महादेव मंदिर से भगवान श्री पिप्पलेश्वर महादेव मंदिर तक भव्य कांवड़ यात्रा निकाली गई. कांवड़ यात्रा को लेकर भक्तों में भरपूर उत्साह देखा गया. यात्रा के दौरान मोटे महादेव जी से दशरथ दास महाराज, मौजी बाबा आश्रम की महामंडलेश्वर साध्वी हेमा सरस्वती का सानिध्य मिला. कांवड़ यात्रा के दौरान कांवडियों की ओर से हर-हर महादेव का जयघोष किया जाता रहा. पंडित शीतल प्रसाद ने बताया कि नए कोटा क्षेत्र में 2022 की पहली भव्य कांवड़ यात्रा को लेकर भक्तजन उत्साहित हैं.
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कावड़ियों के लगाए गए हैं 100 स्वागत द्वार
कांवड़ यात्रा मार्ग में जन सहयोग से लगभग 100 स्वागत द्वार लगाए गए हैं. सम्पूर्ण यात्रा मार्ग पर जगह-जगह कांवड़ियों की यात्रा को सुगम बनाने के लिए शीतल जल, पुष्पवर्षा, अल्पाहार आदि की व्यवस्था शिव भक्तों की तरफ से की गई है. उन्होंने बताया कि अब तक लगभग 500 कांवड़ियों ने कांवड यात्रा में भाग लिया है. यात्रा की भव्यता में जय श्री कृष्ण मित्र मंडल, भामाशाह मंडी और इस्कॉन कोटा की मंडलियां संकीर्तन के साथ भक्तिरस की गंगा बहाते चल रही थीं.
यहां जाकर संपन्न हुई कांवड़ यात्रा
कांवड़ यात्रा भीतरिया कुंड स्थित सोमेश्वर महादेव मंदिर से प्रारंभ होकर दादाबाड़ी छोटे चौराहे से तीन बत्ती चौराहे होते हुए केशवपुरा मुक्तिधाम के रास्ते केशवपुरा चौराहे से रंगबाड़ी मुख्य मार्ग होते हुए महावीर नगर तृतीय स्थित पिप्पलेश्वर महादेव मंदिर पर संपन्न हुई, जहां पर भक्तों ने कांवड़ के पवित्र जल से भालेनाथ अभिषेक किया.
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