Karanpur Vidhan Sabha 2024: राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार में राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार सुरेंद्र पाल सिंह टीटी की करणपुर विधानसभा चुनाव में बड़ी हार हुई है. चूंकि, बीजेपी प्रत्याशी सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार दिया गया था ऐसे में इस हार को सरकार के कामकाज से जोड़कर भी देखा जा रहा है. इसे लेकर राजनीतिक हंगामा तो पहले से ही मचा हुआ था. हालांकि, जब टीटी को मंत्री बनाया गया था तब यह कहा जा रहा था कि सरकार अपने कामकाज से चीजों को ठीक कर देगी और करणपुर का रण भी जीतेगी. हालांकि, अभी तक कोई बड़ा फैसला इस इलाके में नहीं देखने को मिला, जिससे कुछ बदलाव होता.
अपराधियों पर कार्रवाई को लेकर भी कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई थी. चुनाव के दौरान लोगों को लगता था कि बीजेपी सरकार आएगी तो बड़े बदलाव होंगे, लेकिन सरकार को एक महीना होने वाला है और न तो डीजल-पेट्रोल पर कोई निर्णय लिया गया और न ही कांग्रेस सरकार की किसी भी योजना पर कुछ बड़ा एक्शन हुआ. जबकि, चुनाव के समय में बीजेपी लगातार कांग्रेस सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही थी. करणपुर में पुलिस के उन अधिकारियों को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है, जिनकी छवि ईमानदार और सिंघम की मानी जात रही है. इलाके में कहा जा रहा है कि नई सरकार भी अपनी पुरानी परिपाटी को फॉलो करती नजर आ रही है.
कांग्रेस और AAP का बड़ा पलटवार
करणपुर में मिली जीत पर कांग्रेस इतरा रही है. मुख्यमंत्री के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा का कहना है कि सरकार ने जो वादे किए थे उन्हें पूरा नहीं किया गया. न तो डीजल और न ही पेट्रोल के दाम को कम किया गया है. इसका यही परिणाम है. सरकार को काम करना होगा. झूठे वादों से सरकार नहीं चलती है. वहीं आम आदमी पार्टी अध्यक्ष नवीन पालीवाल का कहना है कि AAP ने बीजेपी का खेल बिगाड़ दिया है. यह बीजेपी की बड़ी हार है. इसका असर लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा.
सहानुभूति का असर है करणपुर के नतीजे
बीजेपी प्रवक्ता लक्ष्मीकांत भारद्वाज का कहना है कि करणपुर में कांग्रेस ने सहानुभूति का खेल खेला है. इसलिए वहां पर कांग्रेस को जीत मिली है. इसका लोकसभा चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा. बीजेपी जनता के लिए काम कर रही है. जनता हमारे साथ है. राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार जगदीश शर्मा का कहना है कि करणपुर में कांग्रेस सहानुभूति के बल पर लड़ाई लड़ रही थी. हालांकि, बीजेपी ने बड़ा दांव चलते हुए सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को मंत्री बना दिया था. फिर भी लोगों ने सहानुभूति के आधार पर वोटिंग की और कांग्रेस को जीत मिली.