(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Kargil Diwas 2024: कारगिल युद्ध में सबसे पहले कोटा के लाल हुए थे शहीद, जानिए स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा की शौर्य गाथा
Vijay Diwas 2024: कारगिल युद्ध में सबसे पहले शहीद होने वाले जवान स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा कोटा से थे. उन्होंने दुश्मन के ठिकानों की जानकारी ली और अपने लड़ाकू विमान को पाकिस्तानी सीमा में ले गए थे.
Kargil Vijay Diwas 2024: आज पूरे देश भर में कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है. शहीदों की शहादत को नमन किया जा रहा है, उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है. ऐसे ही कारगिल में सबसे पहले शहीद होने वाले शहीद जवान राजस्थान के कोटा से थे. बता दें स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा कोटा ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए गौरांवित करने वाला नाम है.
स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा ने दुश्मन के ठिकानों की जानकारी ली और अपने लड़ाकू विमान को पाकिस्तानी सीमा में ले गए, जहां एक मिसाइल उनके विमान से टकराई और उन्हें इजेक्ट करना पड़ा. इसके बाद उनके शहीद होने की सूचना आई और उनका शव भारत को सौंपा गया. कारगिल युद्ध में कोटा निवासी स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा शहीद हो गए थे, लेकिन कोटा में आज भी उनकी स्मृतियां हैं.
उनके पिता पुरुषोत्तम लाल आहूजा रेलवे की नौकरी में थे. अजय आहुजा भी अपने छोटे भाई और माता पिता के साथ कोटा की रेलवे कॉलोनी में रहा करते थे. इसके बाद वह जेएन मार्शल में रहे. उन्होंने यहीं से पढ़ाई की और फौज में भर्ती हुए. 25 साल पहले कारगिल युद्ध में दुश्मनों के ठिकानों को तलाशते हुए स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा शहीद हो गए थे.
कोटा में उनके नाम से एक कॉलोनी और पार्क
कोटा शहर में उनके नाम से एक पार्क और एक अफॉर्डेबल हाउसिंग योजना का नाम रखा गया है. अजय आहूजा का जन्म कोटा में ही हुआ था. 1985 से 1999 तक भारतीय वायु सेवा में तैनात रहे और कारगिल युद्ध में 36 वर्ष की आयु में अजय आहूजा शहीद हो गए थे. अजय आहूजा की पोस्टिंग भटिंडा में थी. कारगिल युद्ध के दौरान कुछ दिन पहले ही उन्हें श्रीनगर भेजा गया था. अब उनकी पत्नी दिल्ली में रहती हैं, जबकि उनके छोटे भाई आज भी कोटा में हैं.
उन्होंने दोस्ती का फर्ज निभाया तो देश भक्ति का जज्बा भी दिखाया. आहूजा कारगिल ऑपरेशन के दौरान श्रीनगर भेजे गए थे. वह मिग-21 स्क्वाड्रन के फ्लाइट कमांडर थे. उन्हें दुश्मनों की ठिकानों को तलाशने की जिम्मेदारी दी गई थी. उड़ान भरने के दौरान उन्हें मिग-27 विमान के क्रैश होने की जानकारी मिली जो, उनके दोस्त नचिकेता उड़ा रहे थे.
दो लाख सैनिकों ने युद्ध में लिया था हिस्सा
आहुजा ने खुद की परवाह किए बिना ही वह नचिकेता को तलाशने निकल पड़े. इसी दौरान पाकिस्तानी मिसाइल उनके विमान से टकराई और इंजन में आग लगने के कारण उन्हें इजेक्ट करना पड़ा. 28 मई 1999 के दिन भारतीय सेना को अजय का शव सौंप दिया गया. उनके शरीर पर गोलियों के भी निशान थे. 15 अगस्त 1999 को मरणोपरांत उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया. यह युद्ध 1999 में 60 दिन चला. दो लाख सैनिकों ने इस युद्ध में हिस्सा लिया था.
भारत के 527 जवान इसमें शहीद हो गए थे. मई की शुरूआत में भारतीय सेना को पता चला कि पाकिस्तानी सेना ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की है. इस घुसपैठ के कारण दोनों पक्षों के बीच जंग छिड़ गई. इसके बाद लड़ाई शुरू हो गई जो दो माह तक चली. आखिरकार भारतीय सेना ने पाकिस्तान के मंसूबों को नाकाम किया और 26 जुलाई को कारगिल पर विजय प्राप्त की.
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