बांसवाड़ा में मनाया जाएगा कर्क संक्रांति, पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए होंगे कई कार्यक्रम
Banswara News: राजस्थान के बांसवाड़ा और डूंगरपुर ज़िले, जहां से कर्क रेखा गुजरती है. अब कर्क संक्रांति मनाएंगे. इस आयोजन का उद्देश्य पर्यटकों को आकर्षित करना है.
Kark Sankranti 2024: देशभर में मकर संक्रांति के आयोजन होते हैं जिसमें अलग अलग राज्यों और जिलों में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. लेकिन अब बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिले में कर्क संक्रांति महोत्सव के रूप में मनाई जाएगी, क्योंकि राजस्थान के यह एक मात्र जिले हैं जहां से कर्क रेखा होकर गुजरती है. इसी को लेकर कर्क संक्रांति मनाई जाएगी, क्योंकि पर्यटकों को भी आकर्षित कर सके. जानिए क्या होंगे आयोजन और क्या होती कर्क संक्रांति.
बांसवाड़ा संभागीय आयुक्त डॉ. नीरज के पवन ने बताया कि हमारे लिए यह गौरव का विषय है कि हम इस ब्रह्मांड में एक विशिष्ट भौगोलिक स्थिति पर निवास कर रहे हैं. समूचा भारत मकर संक्रांति मनाता है परंतु कर्क रेखा पर स्थित होने के कारण वागड़वासी मकर संक्रांति के साथ-साथ कर्क संक्रांति भी मनाने जा रहे हैं. इसका प्रमुख उद्देश्य है कि हमारे इस अंचल के गौरवमयी तथ्य को लेकर देश-दुनिया के पर्यटकों को यहां आमंत्रित किया जाए.
उन्होंने कहा कि प्रयास किया जा रहा है कि कर्क संक्रांति के आयोजन को पूरा जिला यादगार तरीके से मनाए. इस आयोजन को उत्सवी माहौल में मनाया जाएगा और इसके लिए विविध गतिविधियों की कार्ययोजना तैयार की जा रही है. कार्य योजना में पर्यटकों को कैसे आकर्षित किया जाए इसके लिए भी कार्यक्रम तैयार कर रहे हैं.
यह होती है कर्क संक्रांति
वागड़ अंचल के ख्यातनाम ज्योतिषाचार्य महर्षि यादवेंद्र द्विवेदी ने बताया कि सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश को कर्क संक्रांति कहते हैं. हिंदू कैलेंडर के अनुसार इसे छह महीने के उत्तरायण काल का अंत भी माना जाता है क्योंकि सूर्य 6 महीने के लिए उत्तरायण और 6 महीने के लिए दक्षिणायन में रहते हैं.
कर्क संक्रांति से दक्षिणायन की शुरुआत होती है. उन्होंने बताया कि कर्क संक्रांति इस वर्ष 16 जुलाई मंगलवार को है. इस दिन सुबह 11.17 मिनट पर सूर्य मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में गोचर करने वाले हैं.
इस दिन की गई पूजा-पाठ से सभी दोष होते हैं दूर
इसलिए इस तिथि को कर्क संक्रांति कहा जा रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि सूर्य सभी 12 राशियों में( पृथ्वी का 360 डिग्री में परिभ्रमण ) प्रवेश करते हैं, इस तरह साल में कुल 12 संक्रांतियों होती हैं. जैसे मेष संक्रांति 0 से 30 अंश तक व अंतिम मीन संक्रांति 330 से 360 अंश तक. इनमें मकर और कर्क संक्रांति का विशेष महत्व है. कर्क संक्रांति पर पूजा-पाठ, जप-तप और दान आदि करना विशेष फलदायी माना जाता है. यह एक मान्यता साथ ही इस दिन की गई पूजा-पाठ से सभी दोष दूर होते हैं और ग्रह-नक्षत्रों का शुभ फल प्राप्त होता है.
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