Lokendra Singh Kalvi: करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र सिंह कालवी का हार्ट अटैक से निधन, पैतृक गांव में आज होगा अंतिम संस्कार
Lokendra Singh Kalvi News: जानकारी के मुताबिक, लोकेंद्र सिंह कालवी का अंतिम संस्कार नागौर जिले में स्थित उनके पैतृक गांव कालवी गांव आज दोपहर करीब 2:30 बजे किया जाएगा.
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Rajasthan News: करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र सिंह कालवी (Lokendra Singh Kalvi) का सोमवार देर रात हार्ट अटैक (Heart Attack) की वजह से निधन हो गया. जयपुर स्थित एसएमएस अस्पताल (SMS Hospital) के डॉक्टर्स ने रात करीब 2 बजे इसकी पुष्टि की. अंतिम दर्शन के लिए राजपूत सभा भवन जयपुर में उनका पार्थिव शरीर रखा जाएगा. जानकारी के मुताबिक, लोकेंद्र सिंह कालवी का अंतिम संस्कार नागौर जिले में स्थित उनके पैतृक गांव कालवी गांव आज दोपहर करीब 2:30 बजे किया जाएगा.
बताते चलें कि कालवी जून 2022 से ब्रेन स्ट्रोक के चलते अस्पताल में भर्ती थे और अपना इलाज करवा रहे थे. लेकिन सोमवार देर रात हार्ट अटैक की वजह से उनका निधन हो गया. पिछले करीब डेढ़ दशक से कालवी अपने समाज के मुद्दों के लेकर काफी मुखर थे. आए दिन उनके भड़काऊ भाषण सुर्खियों में रहते थे. वे करणी सेना के संस्थापक भी थे. करीब साढ़े 18 साल पहले उन्होंने करणी सेना के गठन की नींव रखी थी. सबसे ज्यादा सुर्खियों उन्होंने बॉलीवुड मूवी पद्मावत (Padmaavat) का विरोध करते वक्त बटोरी थीं, जब उन्होंने फिल्म के डायरेक्टर संजय लीला भंसाली और एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण को धमकी दे दी थी.
लोकेंद्र सिंह कालवी का जन्म मध्य राजस्थान के नागौर जिले के कालवी गांव में हुआ था. कालवी की पढ़ाई अजमेर में पूर्व राजपरिवारों के पसंदीदा स्कूल मेयो कॉलेज से हुई थी. उनकी हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में अच्छी पकड़ थी. इन सब के साथ ही वे बॉस्केटबॉल के अच्छे खिलाड़ी थे. उनके पिता कल्याण सिंह कालवी थे, जो थोड़े-थोड़ वक्त के लिए राज्य और केंद्र में मंत्री रहे हैं. उनके असमय चले जाने के बाद लोकेंद्र की राजनीति में एंट्री हुई. वे खुद को किसान नेता कहते थे. लेकिन 67 साल की बाद भी उन्हें राजनीति में वो सफलता नहीं मिल पाई जिसे वो पाना चाहते थे. हर बार वे कोशिश करते और असफल हो जाते. वर्ष 1993 में भी उन्होंने नागौर से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे. इसके बाद 1998 के लोक सभा चुनावों में उन्होंने बाड़मेर-जैसलमेर सीट से भाजपा के टिकट पर भाग्य आजमाया, लेकिन फिर शिकस्त का सामना किया. उस वक्त वह जाति की राजनीति नहीं कर रहे थे.
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