Karwa Chauth Puja 2022: करवा चौथ (Karwa Chauth) का पर्व गुरुवार को मनाया जा रहा है. इस साल करवा चौथ पर विशेष संयोग बन रहा है, क्योंकि इस दिन लक्ष्मी योग, सिद्धि योग, बुधादित्य योग, लक्ष्मीनारायण योग के साथ कृतिका और रोहिणी नक्षत्र भी रहेंगे. चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेगा और इस दिन रोहिणी नक्षत्र का होना बहुत शुभ माना जाता है. पंडित सुरेश श्रीमाली (Suresh Shrimali) ने बताया कि शुभ मुहूर्त कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि 12 अक्टूबर की मध्य रात्रि 1 बजकर 59 मिनट से शुरू हुआ है, जो कि 13 अक्टूबर को रात 3 बजकर 8 मिनट तक रहेगा. ऐसे में करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त गुरुवार को शाम 5 से 6 बजे तक रहेगा.

 

करवा चौथ के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कार्यों को करने के बाद घर के मंदिर की साफ-सफाई, देवी-देवताओं का धूप-दीप कर पूजा करें और व्रत का संकल्प लें. करवा चौथ का दिन बहुत खास होता है, इसलिए इस दिन सोलह श्रृंगार करें, सजधज कर रहें. करवा चौथ की शाम को घर के पूजन कक्ष में पूर्व दिशा में आंगन पर कुमकुम से स्वातिस्क बनाएं. उस पर एक पाटा बिछाकर हल्दी, रोली और चावल रखें. फिर इस पर एक शुद्ध लाल वस्त्र बिछाकर मध्य में संपूर्ण शिव परिवार और माता करवा की फोटो स्थापित करें. भगवान गणेश को पीले पुष्प, लड्डू और केले चढ़ाएं. भगवान शिव और पार्वती को बेलपत्र और श्रृंगार की वस्तुएं पर कुमकुम से तिलक कर अर्पित करें. चौथ माता को चुनरी ओढ़ाकर कुमकुम से तिलक कर नैवैद्य अर्पित करें. उनके सामने चन्दन की अगरबत्ती और घी का दीपक जलाएं.

 


 

सास के पैर छूकर लें आशीर्वाद

इसके बाद मिट्टी के करवे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं. करवे में दूध, जल और गुलाब जल मिलाकर रखें और रात को छलनी के प्रयोग से चंद्र दर्शन करें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें. पति की दीर्घायु की कामना के लिए 'नमस्त्यै शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभा, प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे' मंत्र का 11 मिनट जाप जरूर करें. करवे पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें. कथा के बाद करवे पर हाथ घुमाकर अपनी सास के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें. 13 दाने गेहूं के और करवा अलग रख लें. पति-पत्नी का संबंध एक ऐसा अटूट संबंध है, जिस पर तन, मन, धन सब कुछ न्यौछार हो जाता है. यह प्रेम का संबंध है, ये संबंध है, उस रिश्ते का जिसे हम दिल और आत्मा से स्वीकार करते हैं.