Rajasthan: केवलादेव नेशनल पार्क का सीजन होने वाला है शुरू, लेकिन पानी की समस्या का कोई स्थाई समाधान नहीं
Bharatpur News: भरतपुर पक्षियों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है केवलादेव नेशनल पार्क में देशी - विदेशी लगभग 300 प्रजाति के पक्षी देखने को मिलते है, परिंदों की अठखेलियों को देखने पर्यटक भी आते है.
Keoladeo National Park: राजस्थान का पूर्वी द्वार कहा जाने वाला भरतपुर जिला पक्षियों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है. भरतपुर केवलादेव नेशनल पार्क में देशी - विदेशी लगभग 300 प्रजाति के पक्षी देखने को मिलते है. केवलादेव नेशनल पार्क में परिंदों की अठखेलियों को देखने के लिए लाखों की संख्या में देशी - विदेशी पर्यटक भी आते है, लेकिन केवलादेव नेशनल पार्क में पानी के संकट का कोई भी स्थाई समाधान नहीं किया गया है.
केवलादेव नेशनल पार्क में पर्यटकों के आने का सीजन सर्दियों में शुरू होता है, लेकिन पार्क पक्षियों का आना अक्टूबर में ही शुरू हो जाता. कुछ पक्षी बरसात के मौसम भी नेस्टिंग के लिए केवलादेव नेशनल पार्क डेरा डालते है और अपनी अलग ही बस्ती बसाते है. बच्चों को जन्म देकर बड़ा कर उन्हें अपने साथ लेकर फुर्र हो जाते है.
अक्टूबर माह से पर्यटकों का आना शुरू हो जाता है
केवलादेव नेशनल पार्क मे पक्षियों की अठखेलियां देखने और उन्हें कैमरे में कैद करने के लिए लाखों की संख्या में पर्यटक केवलादेव नेशनल पार्क में आते है. केवलादेव में अक्टूबर माह से पर्यटकों का आना शुरू हो जाता है और फरवरी लास्ट या मार्च तक पक्षी केवलादेव नेशनल पार्क में रहते है उसके बाद विदेशों से आने वाले पक्षी अपने देश को चले जाते है. पक्षियों का आने जाने का सिलसिला हर वर्ष चलता रहता है.
पेटेंट स्टोर्क्स पहुंचे केवलादेव नेशनल पार्क में
भरतपुर स्थित केवलादेव नेशनल पार्क में सैकड़ों की संख्या मे पेटेंट स्टोर्क्स पहुंचे है. केवलादेव नेशनल पार्क पेटेंट स्टोर्क्स की उड़ान से आबाद नजर आ रहा है. पक्षी विहार में 700 से भी ज्यादा पेटेंट स्टोर्क की उड़ान से केवलादेव नेशनल पार्क का खासा उत्साहित नजर आ रहा है. पक्षी विहार प्रशासन का दावा है कि इस बार देशी विदेशी पक्षियों की संख्या में काफी इजाफा होगा. अब दो दिन से हो रही बरसात से पार्क की झीलों में पानी नजर आने लगा है. अभी भी केवलादेव नेशनल पार्क को लगभग 100 एमसीएफटी पानी जरुरत और है.
इस कारण खड़ी हो गई है समस्या
जानकारी के अनुसार अभी भी दो ब्लॉक खाली पड़े है. अगर बरसात अच्छी हो जाती है तो इन दो ब्लॉक में भी पानी भर जायेगा. केवलादेव नेशनल पार्क में सरकार द्वारा पानी की आपूर्ति के लिए कोई भी स्थाई व्यवस्था नहीं की गई है. पहले बरसात के मौसम में बाढ़ॉगंगा नदी और रूपारेल नदी अजान बांध में पानी आता था. उस पानी को केवलादेव में छोड़ा जाता था. उस पानी में पक्षियों के लिए खाने को पर्याप्त मात्रा में मछली और वनस्पति खाने को मिल जाती थी, लेकिन करौली के पांचना बांध में पानी को रोकने के बाद अजान बांध में पानी नहीं आता और केवलादेव नेशनल पार्क के लिए पानी की समस्या खड़ी हो गई है.
लोगों का पानी रोककर परिंदों के लिए की गई है पानी की आपूर्ति
शहर में लोगों को मिलने वाला चम्बल के पानी से केवलादेव नेशनल पार्क की प्यास बुझाई जाती है. शहर के लोगों को पानी की सप्लाई को रोककर पार्क के परिंदों के लिए पानी की आपूर्ति की गई है. केवलादेव नेशनल पार्क को गोवर्धन ड्रेन से भी पानी की आपूर्ति का जा रही है. केवलादेव नेशनल पार्क में प्राकृतिक पानी कमी पिछले एक दशक से देखने को मिल रही है. उस बार अगस्त माह में बरसात अच्छी नहीं होने के कारण पार्क की एन और डी ब्लॉक खाली नजर आ रहे है.
क्या कहना है उप वन संरक्षक का
केवलादेव नेशनल पार्क के उप वन संरक्षक ने बताया है की गोवर्धन ड्रेन से पानी मिल रहा है पार्क के कई ब्लॉक में पानी आ गया है. अभी बरसात हो रही है अगर बरसात अच्छी हो जाएगी तो जिन ब्लॉक में पानी नहीं है. उस ब्लॉक में भी पानी की आपूर्ति हो जाएगी. अभी पार्क को लगभग 100 एमसीएफटी पानी की जरूरत है. गोवर्धन ड्रेन और बरसात से पानी की आपूर्ति हो जाएगी. पार्क का सीजन अच्छा जाएगा ऐसी उम्मीद है.
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