Rajasthanकभी कोटा संभाग के लिए वरदान बन चुकी बूंदी (bundi) जिले के केशवरायपाटन सहकारी शुगर मिल (Keshavraipatan Cooperative Sugar Mill) आज भी हजारों किसानों के साथ युवाओं और लोगों को रोजगार दे सकती है, पैसा भी है, किसानों का सकारात्मक रूख भी है, किसान गन्ना लगाने को तैयार भी हैं, हर तरह से केशवराय पाटन सहकारी शुगर मिल शुरू की जा सकती है. आज हाडौती संभाग के किसानों को हर साल लाखों का नुकसान हो रहा है.
देशभर में कभी विख्यात इस शुगर मिल से हजारों किसान सम्पन्न हो गए थे. जमीने सोना उगल रही थी, लोगों को रोजगार मिल रहा था, लेकिन तीन साल पड़े आकाल के कारण इसे बंद कर दिया गया, लेकिन इस बाद चुनाव हो या वास्विकता लेकिन इसके शुरू करने की सुखद पहल की जा रही है.
सम्पूर्ण क्षेत्र का भाग्य बदल देगी यह शुगर मिल
पाटन में बंद पड़ी सहकारी शुगर मिल के पुन: संचालन की संभावना को लेकर विशेषज्ञों की टीम ने मिल का निरीक्षण किया. सहकारी शुगर मिल संयुक्त किसान समन्वय समिति के प्रतिनिधि नवीन श्रृंगी ने बताया की किसानों के लंबे संघर्ष और मांग के बाद मिल संचालन का रास्ता खुलने लगा है.
भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से किसान प्रतिनिधियों की भेंट के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देश पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर के तकनीकी विशेषज्ञ एसपी सिंह, अजय कुमार, अनुपम सिंह,युद्धवीर सिंह, नितिन शर्मा, सिदार्थ सिंह ने पाटन पहुंचकर मिल का निरक्षण किया एवं आसपास के क्षेत्र और खेतों की भी जानकारी ली. इसके बाद समन्वय समिति और किसान प्रतिनिधियों के साथ चामुंडा माता मंदिर पर लंबी मंत्रना की एवं मिल संचालन के सभी पहलुओं पर विस्तार पूर्वक चर्चा की. वरिष्ठ किसान नेता दशरथ कुमार ने कहा कि यह मिल क्षेत्र के लिए वरदान है जो किसानों सहित सम्पूर्ण क्षेत्र का भाग्य बदलेगी.
गन्ना उगाने के लिए तैयार बैठा है किसान
दशरथ कुमार ने विशेषज्ञों को किसानों की ओर से आश्वस्त करते हुए कहा कि मिल संचालन में जितने गन्ने की आवश्यकता होगी किसान उससे ज्यादा गन्ना उत्पादन करने को तैयार बैठा है. साथ ही किसान अपनी हिस्सेदारी की राशि भी बड़ाने को तैयार है. किसान मिल चलाने को लेकर हर तरह से तैयार है बस राजनैतिक इच्छा शक्ति होनी चाहिए.
चिमनी से धुआं नहीं निकलेगा तब तक आंदोलन जारी रहेगा
युवा किसान नेता गिर्राज गौतम ने कहा कि गन्ने से ज्यादा लाभकारी फसल क्षेत्र में कोई और नहीं है. क्षेत्र के युवाओं और किसानों का संघर्ष व्यर्थ नहीं जायेगा. उन्होंने कहा की हम संकल्पित है की मिल की चिमनी से धुंआ निकलने तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा. जो इस संघर्ष में किसानों का सहयोग करेगा किसान उसका सहयोग करेगा. किसानों से वार्ता के पश्चात सभी विशेषज्ञ एवं प्रशासनिक अधिकारी किसानों के साथ क्षेत्र में लगे गन्ने के खेत पर पहुंचे जहां पर गन्ने रिपोर्ट की जानकारी ली एवं खेत पर निर्मित गुड़ का स्वाद भी चखा. निरीक्षण क्षेत्रीय वातावरण एवं किसानों से सकारात्मक वार्ता के बाद विशेषज्ञों ने विश्वास दिलाया कि सारा वातावरण मिल संचालन के पक्ष में है. मिल संचालन में किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है.जिस प्रकार सरकार ने उन्हें यहां भेजा है. जल्द ही उनके रिपोर्ट के बाद विश्वास है कि मिल संचालन की घोषणा होगी.
5 विधानसभा के 80 हजार किसान प्रभावित
गिर्राज गौतम ने बताया कि वर्ष 1970 में शुरू हुई शुगर मिल वर्ष 2003 में अकाल के कारण बंद हुई लेकिन उसके बाद भी इसके खाते में 49 करोड रुपए की राशी जमा है. शुगर मिल पांच विधानसभा (Assembly) के 80 हजार किसानों को प्रभावित करती है. आज भी इसके 4 हजार से अधिक किसान शेयर होल्डर हैं. 14 प्रतिशत हिस्सेदारी किसानों की और 86 प्रतिशत सरकार की है. यदि यह मिल शुरू होती है तो कोटा, बूंदी, बारां के किसान माला माल हो जाएंगे. लेकिन भू माफियाओं की नजर इसकी बेशकीमती भूमि पर हैं जो सरकार को भी भ्रंमित कर देते हैं और निजी स्वार्थ के कारण हजारों किसानों का नुकसान कर देते हैं.
5 हजार मेट्रिक टन गन्ना भी दे सकता है यहां का किसान
केशवराय पाटन शुगर मिल को शुरू करने में कोई परेशानी नहीं आ रही. यहां के किसान ने आश्वस्त किया कि मिल से करीब 20 किलोमीटर क्षेत्र में ही इतना गन्ना हो जाएगा कि 5 हजार मैट्रिक टन के प्लांट को भी चलाया जा सकता है, पहले तो यहां केवल 1200 मेट्रिक टन का प्लांट लगा हुआ था और उस समय पानी की सुविधा भी नहीं थी ना ही कोई संसाधन थे, लेकिन अब तो हाडौती में पर्याप्त पानी के साथ सभी सुविधाएं हैं.
चीनी, बिजली के साथ बनेगा अथनोल
जल्द ही किसी भी समय मिल संचालन की घोषणा हो सकती है साथ ही अथनोल का प्लांट भी डाला जायेगा जिससे किसानों को और ज्यादा लाभ मिल सके. चीनी उत्पादन के साथ अथनोल (ethanol) भी निकलेगा जो वर्तमान समय की महत्ती आवश्यकता है और सरकार भी इसके लिए प्रयास कर रही है, पेट्रोल के विकल्प के रूप में इसे देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि प्रति बीघा किसान को 80 हजार से 1 लाख का मुनाफा होगा जो किसी फसल में नहीं है और इस फसल में ओलावृष्टि, बाढ का भी कोई फर्क नहीं पडता और एक बार लगाने के बाद तीन साल तक बिना लागत के मुनाफा कमाया जा सकता है. उत्तर प्रदेश, पंजाब और महाराष्ट्र (Maharashtra) का किसान शुगर मिल के कारण ही सम्पन्न है.
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