Khatu Shyam Mela 2023: राजस्थान (Rajasthan) की खाटू नगरी में बाबा श्याम का लक्खी मेला शुरू हो गया है. खाटू की तरह ही धार्मिक नगरी ब्यावर (Beawar) में भी खाटू श्याम बाबा का वार्षिक लक्खी मेला हर्षोल्लास व धूमधाम से मनाया जाएगा. यहां आगामी 1 मार्च से 4 मार्च तक भव्य मेला आयोजित किया जाएगा. इस मौके पर श्री श्याम परिवार (Shyam Pariwar) की ओर से चार दिन तक कई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. इस मेले का शुभारंभ ध्वजारोहण से होगा.


धूमधाम से निकलेगी भव्य शोभायात्रा
मंदिर प्रमुख सुनिल कौशिक ने बताया कि चार दिवसीय कार्यक्रम के तहत 1 मार्च को शाम 7.15 बजे चंग धमाल व केसर होली का आयोजन किया जाएगा. गायक कलाकार चंग की थाप के साथ फाल्गुन और श्याम होली भजनों की प्रस्तुति देंगे. 2 मार्च को दोपहर 12.15 बजे से श्री श्याम अखण्ड मंगल पाठ गाएंगे. पाठ पूर्ण होने पर भक्त बाबा की महाआरती करेंगे. 


3 मार्च को सुबह 8.15 बजे से भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी. इसमें कलश धारण किए महिलाएं एवं निशान लिए भक्त शामिल होंगे. शोभायात्रा के दौरान बाबा को नगर भ्रमण करवाया जाएगा. यह शोभायात्रा फतेहपुरिया चौपड़ स्थित श्री श्याम मंदिर से प्रारंभ होगी. यहां से मुख्य मार्गों व बाजारों से होकर गुजरेगी. मार्ग में जगह-जगह भक्त शोभायात्रा का स्वागत कर बाबा का पूजन करेंगे. दोपहर 1.15 बजे से पंडित विकास शास्त्री के मार्गदर्शन में भक्त विधिवत मंत्रोच्चार के बीच शीश पूजन व पंचामृत अभिषेक करेंगे. शाम 7.15 बजे से भजन संध्या में श्री श्याम परिवार के गायक भजनों की प्रस्तुति देंगे.


4 मार्च को होगी विशाल भजन संध्या
श्री श्याम परिवार के दिलीप खत्री ने बताया कि चार दिवसीय कार्यक्रम के दौरान 4 मार्च को भक्त मंदिर में सुबह से अखंड ज्योत दर्शन कर सकेंगे. इसी दिन शाम 7.15 बजे से विशाल भजन संध्या आयोजित होगी. फतेहपुरिया चौपड़ पर आयोजित होने वाले भक्ति कार्यक्रम में मुंबई से प्रमोद त्रिपाठी, इंदौर से सावन नागदा, नीमच से विमल परिहार सुमधुर भजनों की प्रस्तुति देंगे. वार्षिक मेले के दौरान प्रतिदिन बाबा का आकर्षक श्रृंगार कर भव्य दरबार सजाया जाएगा. मंदिर को कृत्रिम फूलों और सतरंगी रोशनी से सजाएंगे. आयोजन को लेकर श्याम परिवार के सदस्य व अन्य भक्त तैयारियों में जुटे हैं.


कौन हैं बाबा श्याम?
बाबा श्याम को भगवान श्री कृष्ण का कलयुगी अवतार कहा जाता है. महाभारत काल में उनका नाम बर्बरीक था. वे भीम और हिडिम्बा के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थे. बर्बरीक श्रेष्ठ धनुर्धर थे. उनके तरकश में तीन बाण थे, जिसके बल पर वे कौरवों और पांडवों की पूरी सेना को समाप्त कर सकते थे. उन्होंने अपने पितामह पांडवों की विजय के लिए भगवान श्रीकृष्ण को स्वेच्छा से शीश दान किया. बर्बरीक के इस बलिदान को देखकर श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि वे कलयुग में श्याम नाम से पूजे जाएंगे. आज बर्बरीक की पूजा बाबा श्याम के नाम से की जाती है. जिस स्थान पर श्रीकृष्ण ने उनका शीश रखा था, उस स्थान का नाम खाटू है जो राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है. 


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