'ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का वंशज हूं लेकिन...', अजमेर दरगाह मामले में बोले सैयद नसरुद्दीन चिश्ती
Ajmer Sharif Dargah News: अजमेर शरीफ दरगाह को हिंदू मंदिर बताने के दावे पर सूफी परिषद के अध्यक्ष सैयद नसरुद्दीन चिश्ती को आपत्ति है, क्योंकि उन्हें मामले में पक्षकार नहीं बनाया गया.
Syed Naseruddin Chishti on Ajmer Sharif Dargah: राजस्थान की अजमेर शरीफ दरगाह को शिव मंदिर बताने वाली हिन्दू सेना की याचिका को निचली अदालत ने मंजूर कर लिया है. दरगाह से जुड़े तीन पक्षकारों को नोटिस जारी कर 20 दिसंबर को सुनवाई की तारीख तय की गई है. इस मामले में अब विवाद बढ़ता जा रहा है. मुस्लिम पक्ष कोर्ट के इस फैसले का विरोध कर रहा है. वहीं, अब अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद के अध्यक्ष सैयद नसरुद्दीन चिश्ती का भी बयान आया है.
सैयद नसरुद्दीन चिश्ती का कहना है कि वह ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वंशज हैं, लेकिन कोर्ट ने उन्हें इस मामले में पक्षकार नहीं बनाया है. समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने कहा, "संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किए गए हैं, एक है दरगाह समिति, ASI और तीसरा अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय. मैं ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का वंशज हूं, लेकिन मुझे इसमें पक्ष नहीं बनाया गया है. हम अपनी कानूनी टीम के संपर्क में हैं."
#WATCH अजमेर, राजस्थान: अजमेर दरगाह में शिव मंदिर पर दावा करने वाले मुकदमे पर स्थानीय अदालत द्वारा नोटिस जारी करने के निर्देश पर, अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद के अध्यक्ष सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने कहा, "... संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किए गए हैं, एक है दरगाह समिति, ASI और… pic.twitter.com/I2fKdGbDSD
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 27, 2024
भारत सरकार से की ये अपील
सूफी सज्जादानशीन परिषद के अध्यक्ष ने आगे कहा, "देश में ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं. यह हमारे समाज और देश के हित में नहीं है. अजमेर का 850 साल पुराना इतिहास है. मैं भारत सरकार से इसमें हस्तक्षेप करने की अपील करता हूं. एक नया कानून बनाया जाना चाहिए और दिशा-निर्देश जारी किए जाने चाहिए ताकि कोई भी इन जैसे धार्मिक संगठनों पर दावा न कर सके."
'अपने बच्चों को मंदिर-मस्जिद के विवाद देकर जाएंगे?'
सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने कहा, "आज भारत ग्लोबल शक्ति बनने जा रहा है. हम कब तक मंदिर और मस्जिद के विवाद में उलझे रहेंगे? क्या हम आने वाली पीढ़ी को क्या मंदिर-मस्जिद के विवाद ही देकर जाएंगे? सस्ती पब्लिसिटी पाने के लिए जल्दबाजी में गैर-जिम्मेदाराना कदम उठाए जा रहे हैं और ऐसी हरकतें की जा रही हैं जिससे लाखों करोड़ों लोगों की आस्था को ठेस पहुंचती है."
उन्होंने आगे कहा, "अजमेर शरीफ दरगाह से हिन्दुस्तान ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के हिन्दू-मुस्लिन-सिख और ईसाई जुड़े हुए हैं. इस दरगाह में सबकी आस्था है. इसका इतिहास 850 साल पुराना है. ख्वाजा मोइनुद्दीन औलाद-ए-अली हैं और 1195 में हिन्दुस्तान आए थे. सन् 1236 से यह दरगाह यहां कायम है. इन 850 साल में तमाम मजहबों के राजा-रजवाड़े, ब्रिटिश शासनकाल के लोग, सभी आए और इस दरगाह में आस्था रखी. यह दरगाह हमेशा मोहब्बत और अमन का पैगाम देती है. इस जगह के लिए ऐसी नापाक सोच रखना दुनिया के करोड़ों-अरबों लोगों की आस्था का अपमान है."
यह भी पढ़ें: 'इंशाअल्लाह किसी की मुराद पूरी नहीं होगी', अजमेर दरगाह पर अंजुमन कमेटी सचिव सरवर चिश्ती का बड़ा बयान