Jodhpur News: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) जोधपुर के नेफ्रोलॉजी विभाग और स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं ने किडनी में स्टोन होने के कारणों का शोध किया है. इस शोध में कई बातें निकलकर सामने आई हैं. इसके मुताबिक ज्यादा नमक का इस्तेमाल करने, प्रतिदिन ज्यादा चाय और कम पानी पीने वालों की किडनी में पथरी हो रही है.


एम्स जोधपुर के शोधकर्ता डॉ पंकज भारद्वाज ने बताया कि देशभर में किडनी में पथरी की बीमारी से समस्या लगातार बढ़ रही है. विश्व में 15 से 20 फीसदी लोगों को यह बीमारी है. वहीं, देश में 12 फीसदी लोग इस से ग्रसित हैं. मिल्क प्रोडक्ट का उपयोग कम करने और जंक फूड का ज्यादा सेवन करने वालों के किडनी में पथरी की शिकायत मिल रही है.


शोधकर्ताओं ने 207 मरीजों पर किया शोध


इस शोध में जोधपुर एम्स के यूरोलॉजी और नेफ्रोलॉजी विभाग में आने वाले 207 मरीजों को शामिल किया गया. इसे लेकर स्टडी की गई. इसमें शोध करने वाली टीम ने 106 मरीजों को एक ग्रुप में रखा जबकि 101 मरीजों को कंट्रोल में रखा गया था. शोधकर्ताओं ने शोध में शामिल किए गए मरीजों की अल्ट्रासाउंड और रेडियोग्राफी जांच के बाद सामने आया है कि उन सभी में पथरी की शिकायत है.


इन सभी मरीजों की उम्र 15 से 65 साल के बीच है. शोधकर्ताओं की टीम ने शोध में शामिल लोगों में 147 पुरुष और 60 महिलाएं शामिल थीं. इन मरीजों में 71 की आयु 15 से 40 साल के बीच है. वहीं 136 मरीजों की आयु 41 से 65 साल के बीच थी. इनमें 26 अविवाहित और 181 विवाहित थे, जबकि 65 मरीज बेरोजगार थे.


50 फीसदी मरीजों की हालत गंभीर 


जोधपुर एम्स की शोधकर्ता डॉक्टर भारद्वाज ने बताया कि राजस्थान, गुजरात ,महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब को स्टोन बेल्ट घोषित किया गया है. देश में करीब 12 फीसदी लोग किडनी स्टोन से पीड़ित हैं. इनमें से 50 फीसदी मरीजों की बीमारी गंभीर है. जिसके कारण उनकी पथरी की बीमारी से किडनी तक फैलने से किडनी फेल हो चुकी है .


जोधपुर एम्स में शोधार्थियों की टीम में शामिल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की स्टूडेंट सोनाली भट्टाचार्य, कम्युनिटी मेडिसिन विभाग डॉक्टर नितिन के जोशी, डॉ योगेश के जैन, नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ नितिन वाजपेई, कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के डॉक्टर पंकज भारद्वाज, नेफ्रोलॉजी के डॉक्टर मनीष चतुर्वेदी, मनोज एस पाटील, जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के अभय, जहरूद्दीन काजी सयैद, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ गांधीनगर के दीपक सक्सेना ने शोध किया.


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