Rajasthan: कोटा की बेटी गोरांशी ने ब्राजील की डेफ एंड डंब वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में लहराया देश का परचम, जीता गोल्ड
Kota: मूकबधिर बालिका गौरांशी ने एक बार फिर रिकॉर्ड बनाया है. इस बार गौरांशी ने ब्राजील में चल रही डेफ एंड डंब बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया.
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Kota News: कोटा (Kota) जिले के रामगंज मंडी इलाके की मूकबधिर बालिका गौरांशी शर्मा ने एक बार फिर देश का परचम लहराया है और भारत को गौरांवित किया है. गौरांशी ने ब्राजील में चल रही डेफ एंड डंब बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है. टीम इवेंट में गौरांशी शर्मा ने जापान को हराते हुए 3-1 से विजय हासिल की है. उन्हें गोल्ड मेडल मिलते ही पूरे रामगंजमंडी और कोटा में खुशी की लहर दौड़ गई.
गौरांशी का परिवार भी बेहद खुश है. गौरांशी के साथ उनके माता-पिता गौरव और प्रीति शर्मा ब्राजील गए हुए हैं. उनकी दादी रामगंज मंडी की पूर्व चेयरमैन हेमलता शर्मा और दादा प्रमोद शर्मा के साथ पूरा परिवार काफी खुश है. उनके ताऊ सौरभ शर्मा का कहना है कि गौरांशी ने टीम इवेंट में यह विजय हासिल की है. इसके साथ ही वो वर्ल्ड चैंपियनशिप में दो ब्रॉन्ज मेडल भी जीत चुकी है, जिसमें मिक्स डबल और वूमेन डबल शामिल है. इससे पहले गौरांशी ने साल 2022 में ब्राजील में ही ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था.
एशिया पेसिफिक में दो ब्रॉन्ज मेडल भी चुकी है जीत
गौरांशी के ताऊ सौरभ शर्मा ने बताया कि वो बैंकॉक में आयोजित एशिया पेसिफिक में भी दो ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी है. वर्तमान में वह मध्य प्रदेश के जरिए खेल रही है, क्योंकि उसकी पढ़ाई भी एमपी भोपाल के डेफ एंड डंब स्कूल में हो रही है. गौरांशी के पिता गौरव और मां प्रीति भी डेफ एंड डंब में कार्यरत हैं. दोनों की मुलाकात भी भोपाल के डेफ एंड डंब स्कूल में ही हुई थी. गौरांशी के ताऊ ने बताया कि इसके बाद दोनों ने शादी का फैसला लिया. परिजन इसके लिए तैयार हुए और दोनों की शादी हो गई.
माता पिता का है बड़ा योगदान
उन्होंने बताया कि हालांकि, किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया. उनकी बेटी मूकबधिर हुई. कई सालों से दोनों पति-पत्नी बालिका के साथ मेहनत कर रहे थे. अब उन्होंने बेटी को बैडमिंटन का इंटरनेशनल प्लेयर बना दिया है. वो डेफ एंड डंब कंपटीशन में इंटरनेशनल लेवल पर पार्टिसिपेट करती है और ओलंपिक में गोल्ड मेडल भी जीत चुकी है. बता दें गौरांशी के इस मुकाम तक पहुंचने में उनके माता पिता का बड़ा योगदान है. गौरांशी के साथ उसके माता पिता पिछले 12 सालों से निरंतर मेहनत कर रहे हैं. तीन साल की उम्र से गौरांशी के साथ वो उसकी मदद कर रहे हैं.
उसकी रुची स्पोर्टस में थी. इसके बाद उसने बेडमिंटन खेलना शुरू किया तो उसमें प्रतिभा दिखी. उसके बाद लगातार बेडमिंटन खेला. बताया जा रहा है कि वो सानिया नेहवाल को देखती थी. हालाकिं माता पिता उसे तैराक बनाना चाहते थे, लेकिन उसकी रुची बेडमिंटन में थी और आज उसने इतिहास रच दिया.
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