(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Kota: 100 करोड़ से ज्यादा की ठगी के मुख्य आरोपी ने कोर्ट में किया सरेंडर, इस तरह 3 हजार निवेशकों को लगाया चूना
चिटफंड कंपनी के खिलाफ लगातार मामले दर्ज होते चले गए और संख्या 90 तक पहुंच गई. इस दौरान कई परिवार उजड़ गए और कई पुलिसकर्मियों को नौकरी से हाथ तक धोना पड़ा.
Kota Crime News: अमीर बनाने का सपना दिखाकर करीब 100 करोड़ से ज्यादा की ठगी करने के मुख्य आरोपी ने कोर्ट में आज सरेंडर कर दिया. 10 हजार का इनामी आरोपी मुरली मनोहर नामदेव लंबे समय से फरार चल रहा था. मुरली मनोहर नामदेव चिटफंड कंपनी बनाकर करीब 3 हजार निवेशकों को चूना लगा चुका है. चिटफंड कंपनी का जाल कोटा संभाग के कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ में फैला हुआ था. चिटफंड कंपनी के डायरेक्टर्स पर गुमानपुरा, भीमगंजमंडी, जवाहरनगर, आरकेपुरम सहित अन्य थानों में करीब 90 मामले दर्ज हैं.
चिटफंड कंपनी ने दिखाए मुंगेरी लाल के हसीन सपने
ठगी के मामले में 5 लोग पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं. चिटफंड कंपनी के खिलाफ लगातार मामले दर्ज होते चले गए और संख्या 90 तक पहुंच गई. इस दौरान कई परिवार उजड़ गए और कई पुलिसकर्मियों को नौकरी से हाथ तक धोना पड़ा. अपेक्षा ग्रुप की शुरुआत में लोगों को मुंगेरी लाल के हसीन सपने दिखाए गए. मोटर, बंगला और लखपति बनने के चक्कर में लोगों ने गाढ़ी कमाई दांव पर लगा दिया. जब पैसा डूबने लगा तो सभी निवेशक जमीन पर औंधे मुंह आ गिरे. 2012 में अपेक्षा ग्रुप चिटफंड कंपनी शुरू करनेवाला निदेशक मुरली मनोहर नामदेव बारां का निवासी है.
अमीर बनने का सब्जबाग दिखाकर करवाया निवेश
नामदेव ने बारां में लोगों को रकम दुगनी करने का झांसा देकर निवेश करने के लिए आकर्षित किया. फिर अन्य जिलों में नेटवर्क बिछाया. साल 2012 से 2016 तक पार्टनरशिप फर्म में काम किया. साल 2017 में दो कंपनियां बनाई और देखते देखते 12 अन्य कंपनी खड़ी कर ली. कंपनी ने कोटा के एरोड्राम सर्किल स्थित आकाश मॉल में ऑफिस खोला. नेटवर्क के जरिए लोगों को जल्द अमीर बनने का सब्जबाग दिखाकर निवेश करवाया. कंपनी मालामाल होती गई, निवेशकों को करोड़ो का चूना लगता गया और एक वक्त आया कि नामदेव सब कुछ समेटकर फरार हो गया.
सीएमडी मुरली मनोहर नामदेव ने चार्टर्ड अकाउंटेंट हिमांशु विजय को बतौर सलाहकार चिटफंडी कंपनी में शामिल किया. चार्टर्ड अकाउंटेंट हिमांशु विजय कंपनी का पूरा काम देखता था. एससी की जमीन खरीद बिक्री का काम हिमांशु के जिम्मे सौंपा गया. कंपनी ने एससी की खरीदी हुई जमीनों का कन्वर्जन भी नहीं करवाया. लुभावने ऑफर के जरिए ग्राहक बनानेवाली कंपनी ने दो तरह से निवेश करवाया. निवेश के बदले लोगों को प्लॉट की फाइल बतौर सिक्युरिटी दी जाती. इसके अलावा 3 साल में रकम दुगनी करने का झांसा भी मिलता था.
लुभावने ऑफर के मायाजाल में फंसते चले गए लोग
निवेशक से बकायदा स्टांप पर एग्रीमेंट होता था. कंपनी की तरफ से मिलनेवाले लुभावने ऑफर के मायाजाल में हजारों लोग फंसते चले गए और निकल नहीं सके. साल 2017 में अपेक्षा ग्रुप नाम से एक कंपनी रजिस्टर्ड करवाई गई. कंपनी में महिलाएं समेत कुल 38 लोगों का रजिस्ट्रेशन है. 16 लोग स्थायी रुप से बोर्ड ऑफ डायरेक्टर हैं. कंपनी के डायरेक्टर हर महीने शहर के बड़ी होटलों में पार्टी करते थे. ग्राहकों का विश्वास जीतने के लिए कंपनी ने एजेंट्स से ऑफर लोगों तक पहुंचाए.
सरकारी कर्मचारियों ने भी गाढ़ी कमाई लगाई दांव पर
तीन प्रतिशत मासिक दर से ब्याज और रकम दुगनी करने के ऑफर निवेशकों को दिए गए. कंपनी का कर्मचारी निवेशकों के घर ब्याज की रकम देकर आता था. घर बैठे ब्याज मिलने से निवेशकों का विश्वास और आकर्षण बढ़ता चला गया. कंपनी के मायाजाल का ना सिर्फ नासमझ लोग शिकार बने बल्कि सरकारी कर्मचारियों ने भी खून पसीने की कमाई दांव पर लगा दी. लोगों ने 1 लाख से लेकर 30-40 लाख रुपये तक निवेश कर दिए.
38 डायरेक्टर्स के खिलाफ दर्ज धोखाधड़ी का मामला
नवबंर 2021 में कंपनी ने ग्राहकों को ब्याज देना बंद कर दिया. कंपनी के ऑफिस में संपर्क करने पर टालमटोल होता रहा. लोगों को एहसास हुआ कि ठगी हुई है. अब पीड़ित लोग कंपनी के खिलाफ थाने में शिकायत देने पहुंचने लगे. इसी साल जनवरी में अपेक्षा ग्रुप कंपनी के 38 डायरेक्टर्स पर गुमानपुरा थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ था. पुलिस हिरासत से आरोपियों को रजिस्ट्री ऑफिस भेजकर कंपनी की प्रॉपटी नाम करवाने में मदद करने के आरोपी तत्कालीन गुमानपुरा सीआई लखन लाल मीणा और एएसआई रिहाना पर गाज गिरी थी.
मामला सामने आने के बाद एसपी ने दोनों को सस्पेंड कर जांच के लिए एसआईटी का गठन किया. डीएसपी अमर सिंह ने बताया कि मुख्य आरोपी ने आज कोर्ट में सरेंडर किया है. आरोपी को गिरफ्तार कर पूछताछ की जाएगी. ठगी के मामले में अबतक 90 एफआईआर दर्ज हो चुकी है.