Kota News: कांग्रेस (Congress) हो या बीजेपी (BJP) की सरकार हो कोटा की बंधा धर्मपुरा गोशाला और कायन हाउस गोशाला हमेशा से ही गोवंश की मौत के लिए चर्चा में रहती है.  यहां बजट भरपूर है, लेकिन उसके बाद भी लगातार यहां गोवंश की मौत होती है. जब भी इन दोनों गोशालाओं में गोवंश की मौत होती है, तो उसका मामला जोर शोर से उठता है, लेकिन कुछ दिन बाद मामला ठंडा हो जाता है. एक बार फिर यहां गायों की मौत से हाहाकार शुरू हो गया है.


इस बार भी देखना होगा की खानापूर्ति होगी या वास्तव में गोवंश को बचाने का प्रयास होगा. इन दोनों गोशालाओं में 31 दिसम्बर से 11 जनवरी तक 184 गोवंश की मौत हो गई और प्रशासन आंखे बंद कर बैठा रहा, लेकिन जैसे ही मामले की चर्चा शहर में हुई, तो अधिकारियों ने गोवंश की सुध ली और व्यवस्थाओं को देखा. इस पूरे मामले में निगम के अधिकारियों, कर्मचारियों और प्रशासन की लापरवाही सामने आई है. गोशाला समिति के चेयरमैन जितेन्द्र सिंह ने बताया कि कमीश्नर को कई बार अवगत करा दिया कि सर्दी तेज है. ऐसे में कमजोर गोवंश दम तोड़ देगा, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया.


पिछले 12 दिन में सैकड़ों गायों की सांसे थमी
जितेन्द्र सिंह ने बताया कि इसका परिणाम यह निकाला की एक दिन में कभी 30 तो कभी 20 गोवंश दम तोड़ता रहा. पिछले 12 दिन में तो सैकड़ों गायों की सांसे थम गई. गोशाला समिति के चेयरमैन ने बताया कि यहां गाय पॉलिथिन खाती है, ऐसे में उनका लीवर कमजोर हो जाता है और खून भी कम होता है. पहले जब यहां इन गायों का पोस्टमार्टम कराया गया, तो उनकी मौत का कारण पॉलिथिन को बताया गया. निगम को गोशाला में कमजोर गोवंश के बारे में पहले ही अवगत करा दिया था.


2600 गोवंश सर्दी में कहर रहीं
उन्होंने बताया कि साथ ही निगम से अधिक सर्दी को देखते हुए इन्हें बचाने के लिए भी कहा गया था, लेकिन निगम ने ध्यान नहीं दिया. हम सेवा कर रहे हैं, लगातार सफाई पर ध्यान  देर रहे हैं, लेकिन सर्दी में तिरपाल, हीटर, के साथ-साथ  पोष्टिक आहार के इंतजाम तो निगम को ही करने थे, जो समय रहते नहीं किए गए. कोटा शहर में इन दिनों कडाके की सर्दी पड़ रही है. ऐसे में गोवंश को बंधा धर्मपुरा और कायन हाउस गोशाला में मरने के लिए छोड़ रखा है. इतनी गायों की मौत के बाद भी यहां अभी 2600 गोवंश सर्दी में कहर रही हैं. 


बंधा धर्मपुरा गोशाला में तीन प्रमुख बाड़े
इन दोनों  गोशालाओं का बजट भी किसी से छुपा नहीं है. बताया जा रहा है कि 18 करोड़ का बजट गोशालाओं के लिए आता है, जिसके बाद भी यहां व्यवस्थाओं के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है. यहां गायों को ना ही पोष्टिक आहार दिया जा रहा है. ना ही उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखा जा रहा है. बता दें बंधा धर्मपुरा गोशाला में तीन प्रमुख बाड़े हैं, जिनमें स्वस्थ गायों का, दूसरा नंदी शाला और तीसरा बीमार गोवंशों का बाड़ा है. चौथा बाड़ा बड़ा है, लेकिन चौथे बाड़े में केवल गोशाला में सफाई के समय ही गोवंशों को छोड़ा जाता है.


बंधा धर्मपुरा गोशाला में हमेशा ही कीचड़
स्वस्थ गायों के बाड़े में ऊपर टीनशेड लगे हुए हैं. बाकी कुछ जगह से खुला है. बारिश में तो इन गायों का बचाव हो जाएगा, लेकिन सर्दी को रोका नहीं जा सकता. सर्दी से बचाव के दूसरे और कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं. वहीं बंधा धर्मपुरा गोशाला की क्षमता से अधिक गोवंश को वहां रखा जा रहा है. उसकी क्षमता केवल 700 गायों की हैं, जबकी यहां एक हजार के करीब गायों को ढूस-ढूस कर रखा गया. बंधा धर्मपुरा गोशाला में हमेशा ही कीचड़ देखने को मिलता है, जिस कारण गोवंश गिरते रहते हैं. घायल हो जाते हैं और पर्याप्त मात्रा में विचरण भी नहीं कर पाते.


निगम की गोशालाओं में गोवंश को संभालने के लिए पर्याप्त चिकित्सा व्यवस्था नहीं हैं. यदि गोवंश बीमार हो जाए तो डॉक्टर तक नहीं है. केवल कंपाउंडर के भरोसे दोनों गोशालाएं चल रही है. करीब आठ कंपाउंडर गोशालों में गायों का इलाज करने के लिए हैं. पोष्टिक आहार की बात करें तो गायों को गुड, हल्दी, तेल, अजवाइन, हरा चारा दिया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है. सर्दी से बचाव के लिए चारों और से ढका हुआ परिसर होना चाहिए, लेकिन ऐसा भी नहीं है.


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