Kota Cow News: कोटा (Kota) सहित पूरे प्रदेश में भले ही पॉलीथिन पर पाबंदी लगा दी गई हो लेकिन ये आदेश केवल कागजों में ही चल रहे हैं. धरातल पर हर जगह पॉलीथिन देखने को मिल रही है. शहर में जगह-जगह पॉलीथिन मवेशियों के लिए खतरा बनती जा रही है. नगर निगम की गौशालाओं में गायों की मौत का एक कारण पॉलीथिन के साथ खाद्य पदार्थ खाना है. पेट में पॉलीथिन और दूसरे कचरा जमा होने की वजह से स्वस्थ गाय भी मौत का शिकार हो रही है. यह बात कोटा नगर निगम की गौशाला में गायों के पोस्टमार्टम में सामने आयी. दरअसल कोटा नगर निगम की बंधा धर्मपुरा गौशाला और कायन हाउस में हर रोज गायों की मौतें हो रही है लेकिन प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है.


प्रतिदिन हो रही 10 से 15 गायों की मौत


बंधा धर्मपुरा गौशाला में रोज 10 से 15 गायों की मौत होती है. हालांकि निगम की गौशालाओं में आने वाली ज्यादातर गाय बीमार हालत में आती है. लेकिन स्वस्थ्य गाय भी आती है और इनकी मौत होने पर बड़े सवाल नगर निगम की गौशाला में व्यवस्थाओं पर लगते हैं. गौशाला समिति द्वारा स्वस्थ गायों की मौत का कारण जानने के लिए गौशाला में अधिकारियों के सामने गायों का पोस्टमार्टम करवाया गया. दो स्वस्थ गाय जिनकी मौत हुई थी उनका पोस्टमार्टम करवाया गया तो उनके पेट से बड़ी मात्रा में थैलियां और कपड़े के ढेर निकले. 2 साल के गौवंश के पेट में 25 किलो थैली निकली. दरअसल शहर में लोग पॉलीथिन का इस्तेमाल करके या अन्य कचरे को इधर-उधर फेंक देते हैं गाय इन्हें खा लेती है.


कचरा और पॉलीथिन खाने से इम्यूनिटी कम होती है


पशु रोग निदान केंद्र के उप निदेशक डॉ. लक्ष्मण राव ने बताया कि गोवंश के पेट में बड़ी मात्रा में कचरा जमा हो जाने की वजह से उनका पेट हमेशा भरा रहता है. ऐसे में वह चारा कम खाते हैं जिससे उन्हें लगातार कमजोरी होने लगती है और इसी के चलते उनकी मौत हो जाती है. बीमार गायों में इम्यूनिटी कम होने की वजह से जल्दी मौत का शिकार होती है.


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