Kota News: कोटा (Kota) के सपनों के पंख लगने वाला ड्रिम प्रोजेक्ट में अब एक नया पेच फंस गया है. दरअसल ओम बिरला के ड्रीम प्रोजेक्ट कोटा न्यू ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट (Kota New Greenfield Airport) जिस डाबी एरिया में प्रस्तावित है, उसकी 466 हेक्टेयर भूमि रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के बफर में शामिल है. मामले की रिपोर्ट केंद्रीय वन-पर्यावरण मंत्रालय ने सप्ताहभर पहले ही राज्य सरकार को भेजी है. इसमें कहा है कि प्रस्तावित एरिया बफर क्षेत्र में है. अब प्रोजेक्ट के लिए स्टेट और नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड की मंजूरी चाहिए होगी. ऐसे में ये प्रोजेक्ट फिर लम्बी प्रक्रिया से गुजरेगा.


30 करोड़ की जगह अब खर्च होंगे 120 करो़ड़


जानकारी के मुताबिक नेट प्रजेंट वेल्यू की राशि भी 5 गुना लगेगी. यानी 120 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार आएगा. पहले वन भूमि के डायवर्जन के लिए केवल 30 करोड़ देने थे और एयरपोर्ट का बजट 1200 करोड़ रु. आंका गया था. बफर क्षेत्र में शामिल होने के चलते राशि बढ़ने के साथ नई मंजूरियों के लिए अब ये प्रक्रिया कई महीने पीछे चली गई है. सर्वे के मुताबिक इस एरिया में 9672 पेड़ भी आ रहे हैं, इन्हें हटाना भी एक बडी समस्या है. दो महीने पहले अधिसूचना, एयरपोर्ट का पहले से प्लान बफर एरिया में शामिल जमीन का नोटिफिकेशन मई 2022 में जारी हुआ. जबकि एरयपोर्ट का मामला 2021 से चल रहा था. जनवरी 2022 में एयरपोर्ट अथोरिटी ऑफ इंडिया ने वन भूमि के डायवर्जन के लिए आवेदन किया. फिर पर्यावरण मंत्रालय ने निरीक्षण कराया तो इसका खुलासा हुआ. लेकिन वन विभाग इससे बेखबर रहा.


बफर से बाहर निकालना है समाधान


वहीं जो भूमि 466 हेक्टेयर बफर में शामिल हुई है, उसे अधिसूचित बफर से निकाला जाए. इसके लिए एनटीसीए और मंत्रालय में भेजकर अनुमति लेनी होगी. फिर नए सिरे से प्रस्ताव भेजना होगा. स्पीकर के यहां से इसी पर जोर डाला जा रहा है, चूंकि एयरपोर्ट के लिए जगह चिह्नित करने के बाद बफर नोटिफाई हुआ है, जिसके लिए वन विभाग जिम्मेदार है.


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एयरपोर्ट के रास्ते में आने वाली समस्याएं


डायवर्जन के लिए प्रस्तावित एरिया रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में पड़ता है. वहीं चंबल घड़ियाल सेंक्चुरी से 10 किमी दूर है. नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ से क्लियरेंस जरूरी.


यहीं से 400 केवीए ट्रांसमिशन बिजली लाइन ग्रिड गुजर रही है ये लाइन शिफ्ट होगी लेकिन उसकी प्रस्तावित जगह भी जंगल में आ रही है. ऐसे में इस फॉरेस्ट लैंड डायवर्जन की भी जरूरत होगी.


जाखमुंड फॉरेस्ट ब्लॉक की 466 हेक्टेयर जमीन डायवर्जन के लिए प्रस्तावित होगी. इस ब्लॉक का कुल एरिया 2276.26 हेक्टेयर है. बचे एरिया में अतिक्रमण होंगे. यहां प्रोपर फेन्सिंग की जरूरत होगी.


जमीन बफर में, अथॉरिटी को पता नहीं


वहीं कोटा एयरपोर्ट अथॉरिटी के डायरेक्टर नरेंद्र कुमार मीणा ने बताया कि, डायवर्जन का प्रस्ताव वन विभाग में चल रहा है. वहां से मंजूरी आने पर काम शुरू करेंगे. ये जमीन बफर एरिया में आ गई है, इसकी जानकारी नहीं है.


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