(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Kota: 16 साल की छात्रा का अश्लील वीडियो बनाकर एक साल तक रेप करता रहा ऑटो चालक, अब कोर्ट ने सुनाई ये सजा
Rape Case: ऑटो चालक अश्लील वीडियो बनाकर एक साल तक नाबालिग के साथ दुष्कर्म करता रहा. 22 वर्षीय हरीश यादव को अदालत ने 20 साल की जेल और 55 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई.
Rape Case in Kota: कोटा में अदालत ने रेप के दोषी को कड़ी सजा दी है. ऑटो चालक अश्लील वीडियो बनाकर एक साल तक नाबालिग के साथ रेप करता रहा. जुर्म साबित हो जाने के बाद 22 वर्षीय हरीश यादव को अदालत ने 20 साल की जेल और 55 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई. जुर्माना अदा नहीं करने पर दोषी को 6 माह और जेल में बिताना होगा. विशिष्ट लोक अभियोजक विजय कछावा ने बताया कि 3 साल पुराने मामले में पॉक्सो कोर्ट नंबर 2 के जज धीरेंद्र सिंह राजावत ने सजा का एलान किया.
अश्लील वीडियो बनाकर एक साल तक रेप
उन्होंने बताया कि पेशे से ऑटो चालक हरीश ने 16 वर्षीय स्कूली छात्रा का अश्लील वीडियो बनाने के बाद ब्लैकमेल कर एक साल तक रेप करता रहा. हरीश स्कूली छात्रा से पैसों की भी डिमांड करता था. ब्लैकमेलिंग और पैसे की मांग से छात्रा परेशान रहने लगी. कछावा के मुताबिक 12 अगस्त 2019 को पीड़िता के पिता ने कुन्हाड़ी थाने में गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. रिपोर्ट में बताया था कि 11वीं की छात्रा बेटी 11 अगस्त को गायब हो गई. रिश्तेदारों के घर तलाश करने पर भी पता नहीं चला. शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू की.
मुंह बोले भाई को दी घटना की जानकारी
बताया जाता है कि नाबालिग बच्ची के माता पिता पेशे से मजदूर हैं. ऑटो चालक की ब्लैकमेलिंग और पैसों की डिमांड से तंग आकर मुंह बोले भाई के पास गुजरात चली गई. बड़ौदा जाकर बच्ची ने घटना की जानकारी मुंह बोले भाई को दी. मुंह बोले भाई ने बच्ची के पिता को बुलाया. परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने रेप की धाराएं जोड़ी. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश किया. कोर्ट में 11 गवाहों के बयान हुए और 25 दस्तावेज पेश किए गए.
दोषी को 20 साल की सजा और जुर्माना
कोर्ट ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि अभियुक्त के कृत्य से पीड़िता का संपूर्ण जीवन प्रभावित होता है. अभियुक्त ने 16 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ एक से अधिक बार लगातार रेप जैसा घृणित काम किया. भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (3) में न्यूनतम 20 वर्ष के कठोर कारावास की सजा का प्रावधान है. ऐसी स्थिति में प्रकरण के सभी तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अभियुक्त के प्रति किसी प्रकार की नरमी का रुख अपनाया जाना न्यायसंगत नहीं लगता है. अभियुक्त को कठोर कारावास और दंड से दंडित किया जाना उचित है ताकि इंसाफ के उद्देश्यों की पूर्ति भी हो.
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